सम्पादकीय

कार अगर पॉल्यूशन नहीं फैला रही तो जबरन स्क्रैप कराना खून-पसीने की कमाई पर डाका है

Gulabi
17 Jun 2021 1:19 PM GMT
कार अगर पॉल्यूशन नहीं फैला रही तो जबरन स्क्रैप कराना खून-पसीने की कमाई पर डाका है
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दिल्ली के डिफेंस कॉलनी में रहने वाले एक सरदार जी आजकल बेहद परेशान हैं

संयम श्रीवास्तव .दिल्ली के डिफेंस कॉलनी में रहने वाले एक सरदार जी आजकल बेहद परेशान हैं. सेना से करीब 2 दशक पहले अच्छे पद से रिटायर होने के बाद मिलने वाली पेंशन से राजधानी में बड़ी शांति से जिंदगी कट रही थी. पर दिल्ली सरकार के एक आदेश ने उनकी जिंदगी में तूफान खड़़ा कर दिया है. पेट्रोल से चलने वाली उनकी करीब 15 साल पुरानी मारुति जेन अभी भी बहुत शान से चलती है. अब उनके सामने दिक्कत है कि अगर वो अपनी कार से किसी पुराने दोस्त या रिश्तेदार से मिलने जाते हैं तो उनकों 10000 रुपये जुर्माना देना पड़ सकता है या कार भी जब्त हो सकती है. उनकी स्थित न तो जुर्माना भरने की है और न ही नई गाड़ी खरीदने की है. अब उन्हें लगता है देश छोड़कर अपने बेटे-बहू के पास कनाडा न जाना शायद उनका गलत फैसला था.

दरअसल दिल्ली परिवहन विभाग ने हाल ही में ऐलान किया था कि 10 साल से ज्यादा पुराने डीजल वाहनों या 15 साल से अधिक पुराने पेट्रोल वाहनों का इस्तेमाल करने वाले लोगों पर 10,000 रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा. इतना ही नहीं, अधिकारियों का कहना है कि जुर्माना लगाने के अलावा, उल्लंघन करने वाले वाहनों को जब्त कर लिया जाएगा या स्क्रैप कर दिया जाएगा. इस आदेश के बाद आम लोगों की मिलने वाली खराब प्रतिक्रिया के बाद सरकार बैकफुट पर आ गई और जनता को राहत दिलवाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में जाने का निर्णय लिया है.

सुप्रीम कोर्ट से राहत की अपील करेगी दिल्ली सरकार
दिल्ली सरकार 10 साल पुरानी डीजल और 15 साल पुरानी पेट्रोल गाड़ियों के स्क्रैप करने के मुद्दे पर एक बार फिर से सुप्रीम कोर्ट में अपील करने की तैयारी कर रही है. दिल्‍ली सरकार के परिवहन (Delhi Transport Department) मंत्री कैलाश गहलोत (Kailash Gehlot) का कहना है कि NGT और सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक 1 5 साल पुराने पेट्रोल वाहन और 10 साल पुराने डीजल वाहनों को चलाने पर पाबंदी है. हालांकि केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय के दिशानिर्देशों के मुताबिक तय समय सीमा पूरी करने के बाद भी फिटनेस टेस्ट पास करने पर पुरानी गाड़ियों को दिल्ली में चलाने की छूट है. ऐसे में गहलोत का कहना है कि दिल्ली में गाड़ियों की आयु सीमा के बजाय फिटनेस के आधार पर गाड़ियां चलने देने की अनुमति के लिए, दिल्ली सरकार एनजीटी और सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर करेगी. इस विषय पर सरकार जल्द ही सुप्रीम कोर्ट का रुख करेगी. जबकि केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय की गाइडलाइंस के मुताबिक तय समय सीमा पूरी करने के बाद भी फिटनेस टेस्ट पास करने की सूरत में पुरानी गाड़ियां चलाई जा सकती हैं.


जीवन में एक से दो बार कार खरीदता है आदमी
दरअसल सुप्रीम कोर्ट के आदेश का सबसे ज्यादा प्रभाव ऐसे लोगों पर पड़ रहा है जो अपनी जिंदगी में दूसरी गाड़ी खरीदने की हैसियत में नहीं है. शहर में हजारों की संख्या में ऐसे रिटायर्ड बुजुर्ग लोग हैं जिनकी हैसियत नई गाड़ी खरीदने की नहीं है. वैसे भी आम आदमी अपने जीवन में बड़ी मुश्किल से एक कार खरीद पाता है. इस तरह के कानून का असर ऐसे लोगों पर ही पड़ता दिख रहा है.
उनमें आधे से अधिक की गाड़ियां भी ऐसी हैं जो प्रदूषण नहीं फैलाती हैं. इसलिए एक ही डंडे से सभी को हांकना कहां का न्याय होगा.

जहर घोलने में कारों का योगदान बेहद कम
आजतक वेबसाइट में छपी टेरी की एक रिपोर्ट के अनुसार सर्दियों में जब दिल्ली के लिए सबसे मुश्किल वक्त होता है उस समय भी दिल्ली के वायुमंडल में अपने स्रोत से केवल 36 प्रतिशत ही प्रदूषण फैलता है. बाकी का प्रदूषण के लिए शहर के बाहरी तंत्र जिम्मेदार हैं. टेरी के अनुसार 2016 में दिल्ली के 2.5 पीएम के आंकड़ों का विश्लेषण किया गया तो चार पहिया वाहनों से होने वाला प्रदूषण केवल 3 प्रतिशत ही मिला. कुल प्रदूषण में केवल 3 प्रतिशत हिस्से में सुधार के लिए इतना बड़ा फैसला फिजीबल नहीं हो सकता है. सरकार और एजेंसियों को इसके लिए कोई और रास्ता निकालना चाहिए.

कार कितनी पुरानी है की बजाय कार कितना प्रदूषण फैलाती है इस पर जोर होना चाहिए
न्यायशास्त्र का नियम है पाप से घृणा करो पापी से नहीं को आधार माने तो कार अगर प्रदूषण फैला रही है तो दोषी है पर अगर प्रदूषण नहीं फैला रही है और फिटिनेस जांच में परफेक्ट है तो इसमें कार का क्या दोष है? प्रदूषण रोकने वाली एजेंसियों और सरकार को यह सोचना होगा कि प्रदूषण फैलाने वाली गाड़ियों की उम्र उनके मापदंडों से कम भी हो सकती है. न्यायशास्त्र का एक और नियम गुनाह करने वाला भले ही कानून के पंजे से छूट जाए पर किसी निर्दोष को सजा न हो जाए को भी ध्यान में रखना चाहिए. इस नियम के आधार पर अगर एक भी ऐसी गाड़ी जो प्रदूषण नहीं फैला रही है और उसके स्क्रैप होने की नौबत आती है तो यह उसके न्याय से वंचित होने जैसी बात होगी. इस लिए जितना जोर रेग्युलेटरी एजेंसियां कार की उम्र पता लगाने में लगा रही हैं उससे ज्यादा जोर कार की फिटनेस देखने में लगे तो बेहतर होगा.
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