सम्पादकीय

अगर संयम से और पूरी जागरुकता के साथ कोई चीज ली जाए, तो कोई भी फूड खराब नहीं होता

Rani Sahu
18 Dec 2021 4:06 PM GMT
अगर संयम से और पूरी जागरुकता के साथ कोई चीज ली जाए, तो कोई भी फूड खराब नहीं होता
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मैं कई लोगों को जानता हूं जिन्होंने विभिन्न कारणों से इन दो सालों 2020-21 में दूध, दही और चीज़ से तौबा कर लिया, उनकी मुख्य चिंता वज़न बढ़ना थी

एन. रघुरामनमैं कई लोगों को जानता हूं जिन्होंने विभिन्न कारणों से इन दो सालों 2020-21 में दूध, दही और चीज़ से तौबा कर लिया, उनकी मुख्य चिंता वज़न बढ़ना थी। अगर आप उनमें से एक हैं या खाने को चुनिंदा निगाह से देखते हैं, तब यह जानकारी आपके लिए है। और ये पुनर्विचार करने का सही समय है क्योंकि जिस दूध, दही और चीज़ को कभी हम खाने का दुश्मन मानते थे, नए निष्कर्ष इसकी पुष्टि करते हैं कि असल में इनका हमारी सेहत पर अच्छा असर पड़ता है।

हेल्दी इटिंग के हिसाब से दिल सेहतमंद रखने के लिए मीट-डेयरी उत्पादों से मिलने वाला सैचुरेटेड फैट कम लेना चाहिए। सलाह दी जाती है कि पुरुषों को रोजाना 30 ग्राम व महिलाओं को 20 ग्राम से ज्यादा सैचुरेटेड फैट नहीं लेना चाहिए। ये लक्ष्य मुश्किल नहीं क्योंकि सिर्फ एक बड़ा चम्मच बटर या 200 एमएल शुद्ध दूध, एक आइसक्रीम स्कूप या थोड़ी चीज़ टॉपिंग वाला पिज्जा ही एक दिन के ये मापदंडों पूरा कर देगा।
इसलिए पोषणसंबंधी महामारी विज्ञान प्रोग्राम की लीडर प्रोफेसर नीता फोरोही और उनकी कैम्ब्रिज यूनि. की टीम इन सब खाद्य का स्वास्थ्य पर पड़ने वाला असर जानना चाहती थी। उनका पिछला अध्ययन बताता है कि खाने में फैट से जुड़ी कहानी उतनी सीधी नहीं, जैसा हम सोचते हैं। अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन के जर्नल में प्रकाशित उनका निष्कर्ष बताता है कि जब मीट जैसे अन्य फैट के सेवन से तुलना की गई, तो सैचुरेटेड फैट की मात्रा और हृदय रोग की घटनाओं में कोई संंबंध नहीं मिला।
उन्होंने और टीम ने पाया कि जो लोग रेड मीट और बटर के रूप में ज्यादा सैचुरेटेड फैट लेते हैं, उनमें हृदय रोग की आशंका ज्यादा होती है। जबकि जो चीज़ व दही से सैचुरेटेड फैट लेते हैं, वे कुछ हद तक इससे बचे रहते हैं। पेपर कहता है कि दूध, यहां तक कि फुल फैट वाले दूध से भी दिल की सेहत पर कोई खास असर नहीं पड़ता। उनके अनुसार हर खाद्य पोषक तत्वों का मिश्रण है, जो कई क्रियाविधियों से सेहत अच्छी करेगा या नुकसान करेगा। उदाहरण के लिए सैचुरेटेड फैट के कारण लोग चीज़ को कोसते हैं।
पर नीता कहती हैं कि चूंकि ये चीजें दूध मेंं खमीर उठाकर बनाते हैं, ऐसे में इनमें प्रोबायोटिक्स के साथ विटामिन के2 होता है, यह दिल के लिए अच्छा है। एक अन्य पत्र में यूनि. ऑफ साउथ ऑस्ट्रेलिया व यूनि. ऑफ मेन के शोधकर्ताओं ने बताया कि कैसे दही खाने से उच्च रक्तचाप से पीड़ित में बीपी कम रहता है, यह हृदय रोग में जोखिम का एक कारक है। दही प्रोटीन-कैल्शियम का अच्छा स्रोत है और इसमें विटामिन डी, बी12, बी2 और जिंक होता है।
पोषक तत्वों का ये संग्रह ब्लड शुगर नियंत्रित या कम करता है, साथ ही इंफ्लेमेशन, कोलेस्ट्रॉल कम करता है। सादे दही में सूक्ष्म पोषक तत्व जैसे पोटेशियम, मैग्नीशियम ब्लड प्रेशर नियंत्रित करने में मदद करते हैंं और मौजूद लाभकारी बैक्टीरिया खास प्रभाव डालते हैं। अगर आपको लगता है कि दूध फैशन से बाहर हो गया है, तो आपको जान लेना चाहिए कि गाय का दूध पोषण के मामले में कइयों से आगे है।
कैम्ब्रिज शोधकर्ताओं ने शोधपत्र में स्वीकारा कि लोग गाय का दूध गलत कारणों से छोड़ रहे हैं। पेपर में कहा गया कि 'अपना डायग्नोसिस करके डेयरी उत्पादों से एलर्जिक बताना' कई लोगों की समस्या है। हालांकि ये निष्कर्ष सैचुरेटेड फूड समेत किसी भी खाने पर टूट पड़ने की छूट नहीं देते। हमें पूर्वजों की बात सुननी चाहिए, जो कहते थे कि हर चीज खाओ (इसमें रेड-वाइट मीट शामिल नहीं) पर संयम से। आधुनिक जीवनशैली के लिए इन वैज्ञानिक निष्कर्षों से भी अपडेट रहें।
फंडा यह है कि अगर संयम से और पूरी जागरुकता के साथ कोई चीज ली जाए, तो कोई भी फूड खराब नहीं होता है।


Rani Sahu

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