सम्पादकीय

मशीनें खाने की वैकल्पिक चीजें खरीदने का सुझाव दें तो लोग अपने खान-पान की आदतों को बदल देंगे

Gulabi
16 Jan 2022 8:31 AM GMT
मशीनें खाने की वैकल्पिक चीजें खरीदने का सुझाव दें तो लोग अपने खान-पान की आदतों को बदल देंगे
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लाखों व्यंजनाें के डेटाबेस और बारकोड स्कैन क्षमता से वह यह पता लगाता है कि आप रोज अपने शरीर में क्या डाल रहे हैं
एन. रघुरामन का कॉलम:
आपने मॉल में पॉइंट ऑफ सेल एरिया (पेमेंट काउंटर) देखा होगा, जो बारकोड स्कैन करते हैं, कंप्यूटर में उत्पाद की कीमत दर्ज होती है और अंत में भुगतान के लिए बिल देते हैं। यदि इसी तरीके से उत्पादों के सटीक संयोजन, पोषक तत्व और सामग्री जानी जा सके, यह भी जाना जा सके कि यह खराब या दूषित तो नहीं है और यह कैलोरी भी बताए, तो इससे आपकी मदद कैसे होगी? मेरी बहन दो दिन पहले ही अमेरिका के मिल्वाकी से पोंगल मनाने आई है, वह मोबाइल फोन से खाने की हर सामग्री स्कैन करती है।
गूगल एप स्टोर पर 'फूड स्कैनर' एप जो भी वस्तु आप खा रहे हैं उसके बारे में सब बताता है। जब मैंने उनसे इसके सिर्फ एक बड़े फायदे के बारे में पूछा, तो उन्होंने बताया 'इस सप्ताह मैंने चीनी के 40 क्यूब (160 ग्राम), 80 ग्राम सेचुरेटेड फैट और 30 पाउच (15 ग्राम) नमक कम लिया है!' वह घर पर 'स्नैक मॉन्स्टर' हुआ करती थी, कुछ न कुछ खाते रहने वाली। एप ने सिर्फ तीन महीनों में हानिकारक खान-पान की आदतों को बदल दिया है।
कोई आश्चर्य नहीं कि यूके में नेशनल हेल्थ सर्विस (एनएचएस) ने 'फूड स्कैनर' लॉन्च किया है, जिसे देश का कोई भी व्यक्ति स्मार्टफोन पर डाउनलोड कर सकता है। फोन का कैमरा बारकोड स्कैन करता है और चीनी, नमक और सेचुरेटेड फैट के बारे में तुरंत बताता है। यह आधुनिक एप यहीं नहीं रुकता। अगर उस दिन के लिए फैट ज्यादा है तो यह ऐसे 'स्वैप' (बदलाव) का सुझाव देता है जो सेहतमंद हो।
लाखों व्यंजनाें के डेटाबेस और बारकोड स्कैन क्षमता से वह यह पता लगाता है कि आप रोज अपने शरीर में क्या डाल रहे हैं और उसी के अनुसार सुझाव देता है। अमेरिका में हर 13 में से 1 बच्चे को फूड एलर्जी है। इससे हर साल दो लाख से अधिक लोग अस्पताल के आपातकालीन रूम में पहुचंते हैं- हर 3 मिनट में एक व्यक्ति। इसका एक ही इलाज है कि एलर्जी वाली चीजों से बचा जाए।
खास तौर पर जब आप विदेश में छुट्टी पर हों या बाहर खाना खा रहे हों। ऐसे में फूड स्कैनर भोजन से पहले चेतावनी के संकेत देते हैं। खास तौर पर छोटे बच्चों वाले परिवारों के लिए यह उपयोगी है जो मेरी बहन की तरह 'स्नैक मॉन्सटर' हो सकते हैं। इसलिए एप से मोबाइल पर आने वाली जानकारी एनिमेटेड होती है, जिसमें फैट की कार्टून जैसी बूंदें और स्माइली वाले चीनी क्यूब्स फोन स्क्रीन पर उभरते हैं।
अपने मोबाइल फोन पर इसका उपयोग करने के बाद मैं इस नतीजे पर पहुंचा कि 1,20,000 उत्पादों के साथ एप पूरी तरह से ठीक नहीं है, इसमें ऐसे सामान नहीं हैं जो आप तेज भूख लगने पर सलाद और सैंडविच जैसे फूड सेक्शन से खरीदते हैं। लेकिन एक बात साफ दिखाई देती है कि जब यह पूरी तरह से विकसित हो जाएगा तो एक उपदेशक की तरह होगा और यह हमारे सुबह के नाश्ते की मेज को 'जलेबी' के बजाय कॉर्नफ्लेक्स या इडली से बदल सकता है।
अमेरिका और यूके जैसे विकसित देशों के लिए यह एप खास है क्योंकि 2019-20 में लाखों लोगों को मोटापे की समस्या के कारण अस्पताल में भर्ती किया गया। मैं कल्पना कर सकता हू कि शायद कल मेरी स्मार्ट घड़ी मुझसे कहे "रघु, आपने सुबह से अब तक 22%अधिक फैट खा लिया है और सोने में अभी दस घंटे और बचे हैं"! फंडा यह है कि अगर मशीनें पुख्ता डेटा के साथ डराकर खाने की वैकल्पिक चीजें खरीदने का सुझाव दें तो लोग अपने खान-पान की आदतों को बदल देंगे।
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