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पहले भारत को बर्बाद करें या अपनी जान बचाएं
संजीव चौहान।
जमाने भर में अपने कुकर्मों के लिए बदनाम पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई यानि Inter-Services Intelligence को भला कौन नहीं जानता. उसकी खूबियों के लिए नहीं. वरन् उसकी बेजा हरकतों के लिए. जिसके नए डीजी यानि डायरेक्टर जनरल मतलब सर्वे-सर्वा बने हैं लेफ्टिनेंट जनरल नदीम अंजुम. यह वही खुफिया एजेंसी है जिसका अपने नाम के अलावा जमाने में और शायद कोई वजूद नहीं है. इस खुराफाती खुफिया एजेंसी की जिम्मेदारियों का जमाने के सामने अगर जिक्र करूं तो, चंद खुराफातों को सिर-ए-अंजाम चढ़ाना इसके जीवन का पहला मकसद है.
मैं जिक्र कर रहा हूं हिंदुस्तान के धुर-विरोधी पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के कुकर्मों-करतूतों की, जन्म कुंडली कहिए या काली-किताब के फटे हुए पन्नों पर मौजूद बेतरतीबी से लिखी आधी-अधूरी इबारतों का. वे पन्ने जिन पर लिखी है इस खुफिया एजेंसी के काले कारनामों की लंबी फेहरिस्त. वही खुफिया एजेंसी आईएसआई जिसका खुफियागिरी छोड़ अगर कोई जिंदगी का फलसला है तो वो यही है कि, कैसे बढ़ते हुए हिंदुस्तान के पांवों में और भारतीयों के रास्तों में कीलें बिछाने की खुराफाती सोच को सिर-ए-अंजाम चढ़ाया जा सके.
पहले भारत को बर्बाद करें या अपनी जान बचाएं
चर्चा कर रहा हूं उस पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के डरपोक मौजूदा चीफ की मुंहजुबानी का, जो भारत को बर्बाद करने की तमन्ना तो दिल में पाले बैठा है, मगर डरता अपनी तस्वीर तक मीडिया में सर-ए-आम होने से है. एक खुफिया एजेंसी की असल जिम्मेदारियों से बे-खबर आईएसआई के नये नये चीफ बने यानि डीजी जनरल लेफ्टिनेंट नदीम अंजुम ने जानते हैं जमाने के सामने क्या फरियाद की है? अपने देश के मीडिया और अपनों को ही बे-खबर करते हुए कहा है, खबरदार जो अगर मेरी यानि आईएसआई के मौजूदा चीफ लेफ्टिनेंट जनरल नदीम अंजुम की तस्वीर जमाने में किसी ने भी आम की तो समझिए उसकी खैर नहीं.
खौफ और क्रूरता का यह आलम
सोचिए दोस्त जिस देश के खुफिया चीफ को अपनी तस्वीर तक आम होने का खौफ लम्हा-लम्हा इस तरह दीमक की मानिंद चुंग रहा हो. वह भला किसी देश की खुफिया एजेंसी का किस दर्जे का बुजदिल कहें या फिर कथित बहादुर खुफिया चीफ होगा? मजे की बात तो यह है कि जब अफगानिस्तान में वहां की अवाम पर तालिबानी लड़ाके निहत्थों पर बम-गोले दाग रहे थे. अफगानिस्तान की चुनी हुई सरकार के हुक्मरान-नुमाईदें अपनी और अपनों की जान बचाने की खातिर रातों रात वहां से (अफगानिस्तान से) दुम दबाकर भाग गए. खूनी और हथियारबंद तालिबान लड़ाकों से जब सिर्फ और सिर्फ निहत्थी जनता अफगानिस्तान में बेबसी के आलम में जीने मरने को बाकी बची रह गई. पंजशीर को हड़पने की खूनी ख्वाहिश में पागल हुए पड़े बेकाबू तालिबान ने जब अपने हजारों काबिल लड़ाकों को वहां गंवा दिया.
इससे और घटिया सोच क्या होगी?
उसके बाद जब तालिबान को लगने लगा कि वो, एक एक खेप में अपने हजारों-हजार बहादुर लड़ाकों को काठ के पुतलों की मानिंद पंजशीर के रणबांकुरों के हाथों बे-मौत ही मरवाता जा रहा है. तब इसी पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी के चीफ ने अपने पाकिस्तानी आकाओं को मश्विरा दिया था कि, "अगर पाकिस्तान ऐसे खराब वक्त में तालिबान की मदद करके उसे पंजशीर दिलवा देगा तो, तालिबान जिंदगी भर पाकिस्तान का एहसान नहीं भूलेंगे". सोचिए खूनी घमासान में पंजशीर सी किसी घाटी के अंदर चारों ओर से बुरी तरह से घिरे हुए, मजबूर पंजशीर के नागिरकों के ऊपर आसमान से बम-गोल बरसवा कर मरवा डालने का मश्विरा देने वाली आईएसआई खुफिया एजेंसी के चीफ की मानसिकता, किस घटिया स्तर की रही होगी?
सोचिए कैसा खुफिया नेटवर्क होगा ISI का
ऐसी आईएसआई अपने देश के लिए किस तरह का खुफिया नेटवर्क खड़ा कर रही होगी? मैं ही क्या जमाने में कोई भी अंदाजा लगा सकता है. ऐसी खुफिया एजेंसी आईएसआई के चीफ अगर जमाने से डरकर खुद की तस्वीर दुनिया में 'आम' न होने देने की नसीहत अपनों को दे रहे हैं तो फिर सहज अंदाजा लगाया जा सकता है कि, आईएसआई के मौजूदा चीफ लेफ्टिनेंट जनरल नदीम अंजुम किस हद के काबिल और बहादुर इंसान या आईएसआई चीफ होंगे? जो अपनी तस्वीर तक जमाने के सामने लाने के खिलाफ हैं. ताकि उन्हें कोई पहचान न ले. लंबी लंबी डींगें मारने वाली यह वही पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई है जो, अमेरिका सेना द्वारा पाकिस्तान के घर में घुसकर अंजाम दिए गए "ऑपरेशन लादेन"(Operation Laden in Abbottabad Pakistan) की कानों-कान भनक तक लगा पाने में नाकाम रही थी.
लादेन के ढेर होने वाली रात कहां थी ISI?
लिहाजा इसी आईएसआई एजेंसी (ISI Pakistan) की मांद में छिपे पड़े तबाही और खौफ के उस जमाने में पहला नाम रहे ओसामा बिन लादेन (Osama Bin Laden) को, माथे में गोली मारकर अमेरिका उसकी लाश तक घसीट ले गया. तब इसी आईएसआई के खुफिआई कारिंदे आखिर कहां मुंह छिपाए बैठे थे? ऐसी नाकाबिल किसी देश की खुफिया एजेंसी का उस्ताद अगर अपनी तस्वीर जमाने में आम करने से भी डरता हो तो, इसमें भला ताज्जुब की क्या बात है? ऐसी खुफिया एजेंसी के 'बॉस' का खुद को और अपने मुंह अपनी पहचान को छिपाना तो लाजिमी तौर पर उसका पहला ह़क बनता है! बिचारा ऐसी एजेंसी का ऐसा कोई बॉास पहले अपना मुंह-पहचान छिपाकर भला अपनी जान नहीं बचाएगा या तो क्या फिर देश की खातिर खुफिया जानकारियां इकट्ठी करके अपनी जान जोखिम में डालने की सोचेगा!
आईएसआई चीफ बनते ही गायब हैं नदीम
दरअसल जब से पाकिस्तानी हुकूमत (Pakistan Government) ने अपनी खुफिया एजेंसी आईएसआई का चीफ मेजर जनरल नदीम अंजुम को बनाया है, तभी से वे आम-जन-जीवन से नदारद हैं. शायद ही पाकिस्तानी अवाम ने कभी कहीं जनरल नदीम अंजुम को आईएसआई प्रमुख बनने के बाद किसी पब्लिक प्लेटफार्म पर देखा हो. ऐसे जनरल नदीम अंजुम के सिर पर कोई अज्ञात खौफ किस हद की सवारी कर रहा है कि, कुछ दिन पहले एक सरकारी बैठक में मौजूद तमाम अफसरान को हुक्म कहिए या फिर सख्त हिदायत दी गई थी कि, कोई भी उस मीटिंग से संबंधित वीडियो, फोटो जमाने में वायरल नहीं करेगा. जो करेगा वो फिर अंजाम भुगतने को तैयार रहे.
राष्ट्रीय सुरक्षा समिति की बैठक से उठा बवाल
दरअसल उस बैठक में आईएसआई प्रमुख मेजर जनरल नदीम अंजुम (Nadeem Anjum DG ISI) भी मौजूद थे. यह सब उन्हीं के इशारे पर कहा और सुनाया गया था. बीते सोमवार को ही पाकिस्तान में राष्ट्रीय सुरक्षा समिति की बैठक हुई थी. यह उसी बैठक के हवाले से आ रही खबरों के जरिए जमाने में फैला थी. मीटिंग खतम होने के बाद जब सरकारी सूचना विभाग द्वारा मीटिंग की खबर और तस्वीरें जारी की गईं, तो उन तमाम तस्वीरों में से मेजर जनरल नदीम अंजुम की शकल और खबर दोनो गायब थे. मीटिंग में बाकी तमाम अफसरों का जिक्र और तस्वीरें मौजूद रहीं. कारण पूछे जाने पर तब संबंधित विभाग के मंत्री ने कहा भी था कि, "यह सभी संबंधित अधिकारियों के लिए मौजूदा डीजीआईएसआई की ओर से एक स्थायी निर्देश है. वे किसी भी आधिकारिक बैठक की कोई फोटो या वीडियो जारी नहीं कर सकते जिसमें डीजी आईएसआई मौजूद हों."
क्या कहते हैं नदीम को लेकर अफसर, नेता
'द न्यूज' की एक रिपोर्ट पढ़ने से पता चलता है कि, मंत्री इन तमाम तथ्यों के बाबत खुलकर बोलने से कन्नी काट रहे थे. ज्यादा कुरेदे जाने पर ही मंत्री ने उगला था कि, "डीजी आईएसआई के रूप में जब से मेजर जनरल नदीम अंजुम (Nadeem Anjum Director General of Inter Services Intelligence of Pakistan ISI) उनकी नियुक्ति हुई है. उनकी कोई भी तस्वीर या वीडियो फुटेज मीडिया में सामने नहीं आई है." लेफ्टिनेंट जनरल (रि.) अमजद शोएब ने उस दिन कहा था कि, खुफिया सेवाओं का मूल सिद्धांत मीडिया की नजरों से दूर रहना है. उन्होंने कहा था कि, अतीत में अक्सर इस नसीहत का या सिद्धांत का उल्लंघन हुआ था. जोकि किसी भी कीमत पर आईएसआई चीफ के हित में नहीं था. कई बार तो जाने-अनजाने खुद पाकिस्तानी हुकमतें ही मीडिया को खुफिया प्रमुखों की तस्वीरें और वीडियो जारी कर चुकी हैं.
आईएसआई चीफ की पहचान उजागर होना गलत
अमजद शेख ने आगे बोलते हुए कहा था कि, खुफिया प्रमुखों को मीडिया और टीवी पर नहीं दिखाया जाना चाहिए. अफगान युद्ध के दौरान इस सिद्धांत का खुले तौर पर उल्लंघन किया गया था. उस वक्त जब जनरल हमीद गुल और जनरल जावेद नासिर आईएसआई का नेतृत्व कर रहे थे. आईएसआई में काम कर चुके मेजर जनरल (रि.) एजाज अवान ने "द न्यूज" से बात करते हुए तब कहा था कि, "नए डीजी आईएसआई मीडिया के सामने आए बिना अपना काम करते दिख रहे हैं. य़ह ऐसा पद है जो बिना तस्वीरों-सुर्खियों में आए हुए ही अपने काम से दिखाई देता रहता है. बस देखने को आंख चाहिए. उधर इस मुद्दे पर बात करते हुए उन दिनों पाकिस्तानी मंत्री ने कहा था कि, मीडिया कवरेज से आईएसआई चीफ हमेशा दूर रहते हैं. और उन्हें ऐसा करना भी चाहिए. क्योंकि बात देश और डीजी की सुरक्षा से जुड़ी है.
आईएसआई चीफ की उस बैठक में नसीहत
पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के नव-नियुक्त डायरेक्टर जनरल लेफ्टिनेंट जनरल नदीम अंजुम ने, उस बैठक में मौजूद रहे सभी संबंधित अधिकारियों से कहा था कि, किसी भी आधिकारिक बैठक के दौरान बनाई गई उनकी वीडियो या फोटो को मीडिया में जारी न किया जाए. यह सुनते ही बैठक में मौजूद तमाम अफसरान को सांप सूंघ गया था. क्योंकि तब से पहले किसी भी आईएसआई प्रमुख के मुंह से ऐसी हिदायत किसी पाकिस्तानी अफसर ने तब तक नहीं सुनी थी. पहचान न खोलने की शर्त पर एक संघीय मंत्री ने सोमवार को पाकिस्तानी मीडिया से जुड़े कुछ खबरनवीसों से साझा किया था कि, "इन्हीं तमाम वजहों से सरकार ने उस बैठक में मौजूद रहे आईएसआई चीफ की कोई तस्वीर या वीडियो पब्लिक प्लेटफार्म पर जारी नहीं की थी. जोकि जायज भी है.
अपनी कुर्सी और जान की सुरक्षा को प्राथमिकता
ऐसे में सोचिए कि जो आईएसआई चीफ अपनी तस्वीर तक आमजन के बीच में पहुंचा दिए जाने की कल्पना से ही सिहर उठता हो, वो फिर अपने देश के लिए किस दर्जे की घटिया या वाहियात खुफिया तंत्र जुटा रहा होगा? जाहिर है कि अगर ऐसी किसी एजेंसी का इस कदर बुजदिल उस्ताद अपने घर के अंदर दुबक कर अगर कुछ सोच-समझ सकता है, अपनी जान और अपनी कुर्सी बचाये रखने को तो सिर्फ और सिर्फ वह, जो मैं यहां बयान कर रहा हूं बस वही. मसलन भारत को कैसे नीचा दिखाया जाए… भारत में किस तरह गृह युद्ध के से हालात पैदा करवाए जाएं… भारत के ही नौजवानों को बरगलाकर कैसे यहां अशांति पैदा करने के लिए खून-खराबा कराया जा सके..?
ISI का एक मूल मकसद, भारत की तबाही
कैसे पाकिस्तान में पाल-पोसे जा रहे अंडरवर्ल्ड डॉन दाउद इब्राहिम की काली कमाई के कमीशन की रकम के चंदे से, पाकिस्तान में छापी गई हिंदुस्तानी जाली करेंसी को श्रीलंका, बांग्लादेश, नेपाल के रास्ते हिंदुस्तान में पहुंचाया जा सके? ताकि हिंदुस्तान की इकॉनामी को धवस्त किया- कराया जा सके. कैसे पाकिस्तान की सीमा पर मौजूद हिंदुस्तानी गांवों में रातों को डर के साये में सोते हुए बेकसूर हिंदुस्तानियों के ऊपर ड्रोन से बम फिंकवाकर उन्हें नुकसान पहुंचाया जा सके? कैसे हिंदुस्तानी सीमा में ड्रोन के जरिए मादक पदार्थ और हथियारों की खेप गिराकर हिंदुस्तान में मौजूद अपने गुर्गों को मजबूत और भारतीय नौजवानों की नई और मौजूदा नस्लों को ड्रग की दलदल में धकेल कर उन्हें तबाह किया जा सके.
Gulabi
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