- Home
- /
- अन्य खबरें
- /
- सम्पादकीय
- /
- यदि कृषि कानूनों को...
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। यह संभव है कि नए कृषि कानून कुछ किसानों और किसान संगठनों को रास न आ रहे हों। ऐसे किसानों और उनके संगठनों को इन कानूनों का विरोध करने और यहां तक कि उनके खिलाफ धरना-प्रदर्शन का भी अधिकार है। वे यह भी कह सकते हैं कि सरकार इन कानूनों को खत्म करे, लेकिन उन्हें या फिर किसी अन्य को यह अधिकार नहीं कि वह रास्ते रोककर इन कानूनों को खत्म करने की जिद पकड़ ले। करीब 40 किसान संगठन ठीक यही कर रहे हैं। वे न केवल दिल्ली के विभिन्न रास्तों को अवरुद्ध किए हुए हैं, बल्कि इस तरह की धमकियां भी दे रहे हैं कि यदि उनकी मांग नहीं मानी गई तो वे रास्तों को पूरी तरह जाम कर देंगे अथवा गणतंत्र दिवस पर दिल्ली में ट्रैक्टर परेड निकालेंगे। यह और कुछ नहीं, लोगों को तंग कर सरकार को झुकाने की प्रवृत्ति है। यह एक तरह से लोगों को बंधक बनाकर सरकार से कानूनों की वापसी के रूप में फिरौती मांगने की कोशिश है। यदि सरकार इस दबाव के समक्ष झुक जाती है तो कल को कोई भी संगठन दस-बीस हजार लोगों को दिल्ली लाकर और यहां के रास्ते जाम कर यह मांग कर सकता है कि फलां कानून खत्म किया जाए। इससे तो लोकतंत्र पर भीड़तंत्र ही हावी होगा।