सम्पादकीय

विचारधारा महत्त्वपूर्ण

Subhi
24 Jun 2022 5:43 AM GMT
विचारधारा महत्त्वपूर्ण
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अभी महाराष्ट्र में जो चल रहा है, इसी कुर्सी के लिए बाला साहेब के सुपत्र ने अपने स्वर्गीय पिता की हिंदुत्व वाली राजनीति को दरकिनार कर दिया था। पर कुर्सी तो निर्जीव है, उसे क्या पता कौन बैठा।

Written by जनसत्ता: अभी महाराष्ट्र में जो चल रहा है, इसी कुर्सी के लिए बाला साहेब के सुपत्र ने अपने स्वर्गीय पिता की हिंदुत्व वाली राजनीति को दरकिनार कर दिया था। पर कुर्सी तो निर्जीव है, उसे क्या पता कौन बैठा। जो बैठ जाए वह सही, लेकिन जनता सजीव है और उनके प्रतिनिधि भी। देश लोकतांत्रिक है, तो सबको हक है अपने हिसाब से समर्थन या विरोध करने का।

पर एक बात साफ है, जनता को आपकी विचारधारा से मतलब है, कुर्सी से नहीं। इसलिए पहले अपनी विचारधारा पर टिके रहें। आपने अपनी पैतृक विचारधारा को छोड़ कर कुर्सी को चुना, तो उसका परिणाम भी आपके समक्ष है। सबके हित में मेरा हित वाली विचारधारा आपको शायद बढ़ा देती, पर आपने अपना हित चुना, इसलिए विधायकों ने विचारधारा के अनुरूप अपना हित चुन लिया।

वैश्विक राजनीतिक स्थितियां बदल रही हैं, जिसके चलते नए-नए समीकरण बन रहे हैं। अपने राष्ट्रीय हितों के लिए समय आने पर देश एक हो रहे हैं। भारत भी वैश्विक स्तर पर अपनी छवि मजबूत बना रहा है। भारत ने कई नए रिश्ते बनाए हैं, और कई सम्बंध मजबूत किए हैं। भारत की विदेश नीति और कूटनीति काफी सफल रही है। क्वाड इंडो पैसिफिक श्रेत्र का एक संगठन है, ठीक उसी तरह एक नया संगठन आइ-2 यू-2 घटित हो रहा है। आइ-2 यानी इंडिया और इजराइल और यू-2 अमेरिका और यूएई।

इस नए संगठन की पहली बैठक अगले महीने जुलाई में रखी गई है, इसमें चारों देशों के राष्ट्राध्यक्ष शामिल होंगे। इस गठबंधन का एजेंडा हिंद प्रशांत क्षेत्र में चल रही समस्याएं हैं। साथ ही खाद्य संकट समेत ट्रेड, टेक्नोलाजी और जलवायु परिवर्तन जैसे अहम मुद्दों पर बात होगी। इस समूह में भारत की मुख्य भूमिका है, मगर फिर भी भारत को संतुलित रह कर चलना होगा।

मध्य एशिया में चीन की दादागिरी बढ़ती जा रही है, और चीन को अगर कोई रोक सकता है तो वह भारत है। अमेरिका इस स्थिति में भारत के कंधे पर बंदूक रख कर निशाना दाग रहा है। ऐसे में भारत को सावधान रहना होगा। भारत के संबंध खाड़ी देशों से अच्छे हैं, मगर यह संगठन उसे और मजबूत करेगा, जो भारत के लिए फायदेमंद साबित होगा।

बाबा साहेब आंबेडकर वंचितों को हमेशा शिक्षित होने पर जोर देते थे। वे कहते थे कि शिक्षा शेरनी के दूध जैसा है, जो पियेगा, वही दहाड़ेगा। द्रौपदी मुर्मू अपने बच्चों की खातिर शिक्षक बनी थीं, लेकिन आज देश के शीर्ष स्थान पर पहुंचने की दौड़ में हैं। इस तरह एक आदिवासी समुदाय की पहली महिला राष्ट्रपति पद पर आसीन होने वाली हैं। आजादी के पचहत्तरवें साल में इतना बड़ा चक्र घूम जाएगा, किसी ने सोचा भी न था। आने वाले समय में देश पर आधिपत्य वंचितों का होगा, इसमें कोई शक नहीं है। द्रौपदी मुर्मू आदिवासी जातीय समूह संथाल से संबंध रखती हैं।

बाबा साहब का सपना था कि हम एक ऐसा समाज बनाएं, जहां भेद-भाव, अन्याय और शोषण के लिए कोई जगह न हो। सभी लोग एक-दूसरे के सुख-दुख में खड़े हों और सभी समान रूप से विकास करें। उन्होंने भगवान बुद्ध के अप्प दीपो भव के भाव को जीवन में अंगीकार करने का प्रयास किया। यही कारण है कि आज केवल भारत में नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में जहां कहीं भी गरीबों, वंचितों और समाज के अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्ति की बात होती है, न्याय बंधुता व स्वाधीनता की बात होती है वहां पर बाबा साहब का नाम बड़ी श्रद्धा के साथ लिया जाता है। आने वाला कल वंचितों का होगा।


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