सम्पादकीय

लोकतंत्र पर वैचारिक युद्ध

Gulabi
8 Dec 2021 5:00 AM GMT
लोकतंत्र पर वैचारिक युद्ध
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अमेरिका ने लोकतांत्रिक देशों के शिखर सम्मेलन का आयोजन कर चीन और रूस को घेरने की कोशिश की है
अमेरिका ने लोकतांत्रिक देशों के शिखर सम्मेलन का आयोजन कर चीन और रूस को घेरने की कोशिश की है। नौ और दस दिसंबर को वर्चुअल माध्यम से होने वाले इस सम्मेलन का मकसद तानाशाही व्यवस्थाओं का मुकाबला करना और मानव अधिकारों को बढ़ावा देना बताया गया है। अमेरिका ने इस शिखर सम्मेलन लगभग 110 देशों को आमंत्रित किया है, जिनमें ताइवान भी है। जबकि चीन ताइवान को अपना प्रदेश समझता है। चीन ने पहले तो ताइवान को बुलाने को लेकर अमेरिका पर जुबानी हमला बोला था।
लेकिन अब उसने अमेरिकी लोकतंत्र और अपनी शासन प्रणाली के बीच एक वैचारिक बहस की शुरुआत कर दी है। गौरतरब है कि अमेरिका ने सम्मेलन उस समय आयोजित किया है, जब शिनजियांग प्रांत और हांगकांग में मानव अधिकारों के कथित हनन के आरोप में चीन पर दबाव बढ़ता गया है। लेकिन इन आरोपों को दरकिनार करते हुए बीते शनिवार और रविवार को चीन ने दो दस्तावेज जारी किए। इनमें से एक में उसने अपनी शासन प्रणाली को बेहतर लोकतंत्र बताया।
उसने इसे 'समग्र प्रक्रिया लोकतंत्र' कहा। फिर उसने एक और विस्तृत दस्तावेज जारी किया, जिसमें चीन ने अमेरिकी लोकतंत्र की खामियों का उल्लेख किया। चीन का दावा है कि अपनी समग्र प्रक्रिया लोकतंत्र के जरिए ही उसने करोड़ों लोगों को गरीबी से उबारा है। यह मानव अधिकारों के प्रति उसकी निष्ठा का प्रमाण है। चीन ने दलील दी है कि लोकतंत्र एक आम उसूल है, जिसके कई रूप दुनिया में मौजूद हैँ। उसने कहा है कि सभी देश अमेरिकी प्रकार वाले लोकतंत्र से ही चलें, यह जरूरी नहीं है। अमेरिकी लोकतंत्र के बारे में में चीन कहा है कि इसकी वजह से अमेरिका अफरातफरी में फंसा हुआ है। इस बात की मिसाल इस साल जनवरी में वहां संसद भवन पर हुए हमले में देखने को मिली थी। साथ ही अमेरिका में नस्लभेद गहरे बैठा हुआ है। तो साफ है कि चीन जवाबी हमला बोला है।
सोवियत संघ के ढहने के बाद अमेरिकी उदारवादी लोकतंत्र को ऐसी वैचारिक चुनौती देने की कोशिश किसी ने नहीं की थी। इसका अर्थ यह समझा जा सकता है कि चीन ने सिर्फ आर्थिक और सैनिक शक्ति से ही नहीं, बल्कि अब वैचारिक ताकत से भी अमेरिका को चुनौती देने की तैयारी कर ली है। इससे सचमुच अब एक नया शीत युद्ध शुरू हो सकता है। जाहिर है, यह दुनिया के लिए अच्छी खबर नहीं है।
नया इण्डिया
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