सम्पादकीय

'मैं भारत-पाकिस्तान मैच देखने स्टेडियम नहीं जाऊंगा', भारत-पाक मैच को राष्ट्रीय गर्व का विषय मत बनाइए

Gulabi
19 Oct 2021 2:39 PM GMT
मैं भारत-पाकिस्तान मैच देखने स्टेडियम नहीं जाऊंगा, भारत-पाक मैच को राष्ट्रीय गर्व का विषय मत बनाइए
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भारत-पाक मैच को राष्ट्रीय गर्व का विषय मत बनाइए

बिक्रम वोहरा।

24 अक्टूबर को मैं टीवी पर ही भारत-पाकिस्तान का मैच (India-Pakistan Match) देखूंगा. और वह भी पूरे परिवार के साथ स्नैक्स का मजा लेते हुए. कमेंटेटरों की बकबक सुनूंगा और थर्ड अंपायर के फैसलों का मजाक उड़ाऊंगा. क्योंकि मेरा मकसद सिर्फ मैच का आनंद उठाना है. मैं किसी हाल में स्टेडियम नहीं जाऊंगा. ऐसा नहीं है कि मैं पहले कभी वहां गया नहीं. एक वक्त मैं अब्दुलरहमान बुखातिर शारजाह स्टेटियम में मीडिया एडवाइजर था. मैंने मियांदाद का वह ऐतिहासिक छक्का देखा है, सचिन के एक के बाद एक शतक देखे हैं. मैंने वहां दर्जनों खेल का लुत्फ उठाया है.


क्रिकेट मुझे पसंद है, भले ही मैं इस खेल में किसी काम का नहीं था. लेकिन भारत-पाकिस्तान मैच को खराब रंग दिया जाना मुझे ठीक नहीं लगता. यह ऐसा मैच होता है, जिसमें हम पड़ोसी से अपनी तुलना के जाल में फंस जाते हैं, और खुद को इसी नजरिए से देखने लगते हैं.

पाकिस्तान से हमारी तुलना ही नहीं हो सकती
हे, भगवान! भारत-पाक मैच! इसमें अगर हम हार गए तो जैसे आसमान फट पड़ेगा. जबकि हम हर दृष्टिकोण से पाकिस्तान से आगे हैं. लंबाई-चौड़ाई से लेकर, जनसंख्या और जीडीपी तक हमारे बीच कोई तुलना ही नहीं हो सकती. लेकिन जब बात क्रिकेट की होती है तो यह हमारे लिए गर्व और अहंकार का विषय हो जाता है. सब कुछ दांव पर लग जाता है. फैन तो खुदकुशी तक कर लेते हैं. कितनी बुरी बात है कि खिलाड़ी तक अपनी परिवार की सुरक्षा को लेकर भयभीत हो जाते हैं. मैंने देखा है कैसे हारने पर खिलाड़ी अपने परिवारवालों को फोन कर आगाह करते हैं कि वो अपने घर से बाहर नहीं निकलें.

हमारी टीम पाकिस्तान के मुकाबले काफी मजबूत है
ऐसा माहौल बनाने के लिए मीडिया जिम्मेदार है. सच कहें तो अब इन सबसे बोरियत होने लगी है. हमारे आसपास ऐसा बहुत कुछ हो रहा है जो हमारे जीवन को प्रभावित कर रहा है. इसके बावजूद वो एक मैच के पीछे पड़ जाते हैं. जबकि आज की पीढ़ी के लिए बरसों पुराना पागलपन कोई मायने नहीं रखता. ऑस्ट्रेलिया के लोगों को देखिए. ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड के बीच मैचों में भी काफी तनाव का माहौल रहता था. लेकिन समय बीतने के साथ इसमें कमी आ गई है. और हमें देखिए, हम आज भी वैसा ही व्यवहार कर रहे हैं, जैसे सामने वाली टीम जीत जाए तो हमारी पूरी दुनिया उजड़ जाएगी.

देशभक्ति की भावना अच्छी होती है और मुझे भी जीत पसंद है. लेकिन जब बात खेल की हो तो इतना ओछापन और इतनी घृणा मुझे बिलकुल पसंद नहीं. वैसे भारतीय टीम को जीतना चाहिए. क्योंकि हमारी टीम मजबूत है. हमने ज्यादा क्रिकेट खेला है, हमारे पास प्रतिभावान खिलाड़ियों की कमी नहीं है, हाल ही में आईपीएल हुआ है और हमारे खिलाड़ी तैयार हैं. पाकिस्तान की टीम कमजोर दिखाई पड़ती है और दबाव उन पर भी है, लेकिन यह तो केवल एक खेल है. यदि उनकी मीडिया को देखें, तो पता चलेगा कि उनके लिए यह मैच एक जेहाद की तरह है. क्रिकेट अनिश्चितताओं का खेल है, एक मजबूत पारी पूरा पासा पलट सकती है.

आराम से घर में बैठकर मैच का लुत्फ उठाइए
मैंने कई बार फैन्स को यह कहते हुए सुना है कि पाकिस्तान को हरा दिया तो आगे चाहे फाइनल में जो भी हो कोई फर्क नहीं पड़ता. एक मैच को लेकर इतने तनाव के बीच सच तो ये है कि खिलाड़ी भी आपस में दोस्त ही होते हैं. वे एक साथ हंसते-बोलते हैं, एक साथ खाते-पीते हैं. उनके बीच शायद ही कोई कटुता या शत्रुता होती है. अगर कोविड प्रोटोकॉल की पाबंदियां नहीं होती तो इन खिलाड़ियों का साथ बैठना और बातें करना कोई हैरानी की बात नहीं होती. हालांकि फैंस नफरत से भरे, ओछे या हिंसक दिख सकते हैं.

असल में हर पल रंग बदलने वाले इस खेल को सिर्फ हल्के-फुल्के अंदाज में कुछ मस्ती, कुछ हंसी-मजाक के लहजे में ही देखा जाना चाहिए. जिसमें जीत मिलने से भी कोई फर्क नहीं पड़ना चाहिए. इसलिए मैं तो कहीं नहीं जा रहा. आप भी मेरे साथ ड्रिंक का लुत्फ उठाइए और कमेंटेटरों की हंसी-ठट्ठा के बीच आराम से अपने घरों में बैठकर मैच का आनंद लीजिए.


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