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- मुझे मरने की भी फुरसत...
यह मजाक नहीं, अक्षरशः सत्य है कि मुझे मरने की भी फुरसत नहीं है। सुबह पोती को स्कूल छोड़ने घर से निकल रहा था, तभी यमदूत आ गए, बोले -''चलिए नरकलोक में आपको याद फरमाया जा रहा है।'' मैं बोला 'देखिए, डेढ़-दो घंटे बाद आना, मैं अपनी पोती को स्कूल छोड़ आऊं।'' बेचारे मान गए, चुपचाप चले गए। स्कूल से छोड़कर आया तो पत्नी ने थैला थमा दिया और बोली -''जाओ बाजार से सब्जी ले आओ।'' सब्जी लेने के लिए निकलने लगा और यमदूत फिर आ गए, मैने कहा -''कमाल कर दिया। मैंने डेढ़-दो घंटे का नाम लिया और आप इसी दरम्यान आ गए। थोड़ी तो लिहाज करो, मुझे तो ले जाना, लेकिन घर के सात सदस्यों की सब्जी तो लाकर दे दूं। अभी आप घंटे भर और ठहरो।' वे बोले -''देखो हमारी भी नौकरी है। महाराज यम कहेंगे कि किसी को लाने में इतना वक्त थोड़े ही लगता है। हम तो कोरियर वाले हैं, आत्मा को ले जाना हमारा काम है। चलो घंटे भर बाद आ जाएंगे। लेकिन अब की बार नहीं चलेगा कोई बहाना।'' मैने कहा-''मैं कोई बहाना नहीं कर रहा। यह वास्तविकता है।'' वे चले गए और मैं सब्जी लेने बाजार। वापस घर आया, शेव बनाने और नहाने-धोने तथा टिफिन तैयार करने में लग गया। मुझे याद ही नहंीं रहा कि यमदूत आएंगे। स्कूटर स्टार्ट कर ही रहा था कि वे आ गए। वे बोले -''लाला, कहां रफूचक्कर हो रहे हैं। अभी घर से निकल जाते तो हम ढूंढते फिरते। अब चलो।'' मैंने कहा -''अब तो शाम के 6 बजे तक मैं दफ्तर जाने के लिए बुक हूं।