सम्पादकीय

निकल गई हुंडई की हेकड़ी

Subhi
10 Feb 2022 3:10 AM GMT
निकल गई हुंडई की हेकड़ी
x
सोशल मीडिया पर पाकिस्तान की हुंडई मोर्ट्स की ओर से ट्वीट पर जबर्दस्त विवाद के बाद दक्षिण कोरिया के विदेश मंत्री चुंग थुई यांग ने विदेश मंत्री एस. जयशंकर को फोन कर इस मुद्दे पर खेद व्यक्त किया है।

आदित्य नारायण चोपड़ा: सोशल मीडिया पर पाकिस्तान की हुंडई मोर्ट्स की ओर से ट्वीट पर जबर्दस्त विवाद के बाद दक्षिण कोरिया के विदेश मंत्री चुंग थुई यांग ने विदेश मंत्री एस. जयशंकर को फोन कर इस मुद्दे पर खेद व्यक्त किया है। हुंडई दक्षिण कोरिया की ही कम्पनी है। यद्यपि हुंडई कम्पनी ने भी माफी मांग ली है लेकिन इससे भारतीयों की आहत भावनाएं शांत नहीं हो रहीं। भारत ने भी इस मामले पर भारत में कोरिया के राजदूत चांग जाइ-बोक को तलब कर उन्हें चेतावनी दी थी कि पाकिस्तान हुंडई का ट्वीट भारत की भौगोलिक अस्मिता से जुड़ा हुआ है, जिस पर कोई समझौता नहीं किया जा सकता। अभी यह विवाद ठंडा ही नहीं पड़ा था कि सोशल मीडिया पर केएफसी स्थित फ्रैंचाइजी की अकाउंट से एक संदेश पोस्ट किया गया, जिसमें कश्मीर में अलगाववादियों का समर्थन किया गया था। पोस्ट में यह भी लिखा था कि 'कश्मीर कश्मीरियों का है।' ट्विटर पर केएफसी इंडिया के आधिकारिक अकाउंट से जारी संदेश में कहा गया है कि ''हम उस पोस्ट के लिए दिल से माफी मांगते हैं, जिसे देश के बाहर के कुछ सोशल मीडिया पर प्रकाशित किया गया था, हम भारत का सम्मान करते हैं और सभी भारतीयों की गर्व के साथ सेवा करने के अपने संकल्प के प्रति प्रतिबद्ध हैं। अमेरिका के ही एक अन्य रेस्टोरेंट चेन पिज्जा हट ने भी बयान जारी कर कहा है कि वह सोशल मीडिया पर प्रसारित पोस्ट की सामग्री से न तो सहमत है न ही उसका समर्थन करता है। दोनों मामलों में यह साफ है पाकिस्तान में बैठे अलगाववादी ताकतों के आका और पाक प्रायोजित प्रतिष्ठान भारत विरोधी दुष्प्रचार में लगे हुए हैं।जम्मू-कश्मीर का भारत में विलय भारतीयों के लिए बहुत संवेदनशील और भावनात्मक मुद्दा है। आजादी के बाद से अब तक कश्मीर में हमारे सैकड़ों जवानों ने अपनी शहादतें दी हैं। भारत उनकी शहादत को कभी भूल नहीं सकता। आम जनमानस की भावनाएं यही हैं-''दूध मांगोगे तो खीर देंगेसंपादकीय :खैरात बांटने के घोषणापत्रपिता के रास्ते पर चल रहे राजीव गुलाटी जीस्कूलों में चहल-पहलहिजाब की जरूरत क्योंदल-बदल न करने की 'शपथ'नवजोत सिद्धू :कटी पतंगकश्मीर मांगोगे तो चीर देंगे।''पाकिस्तान हुंडई द्वारा कश्मीरियों के साथ एकजुटता व्यक्त करने का ट्वीट भारतीयों को नागवार गुजरा, ऐसा ही केएफसी पाकिस्तान के ट्वीट पर हुआ। देखते ही देखते हैशटेग बॉयकाट हुंडई ट्विटर पर टॉप ट्रेंड बन गया। कश्मीर मुद्दे पर दोनों भारत-पाक में युद्ध भी लड़े हैं, हुंडई के पाकिस्तानी सोशल मीडिया अकाउंट पर ट्वीट से आक्रोश फैल गया। लोग कम्पनी को भारत में बिकने वाली उसकी 2021 की कुल यूनिट और पाकिस्तान में बिकने वाली कुल यूनिट याद दिलाने लगे। मोदी सरकार ने अगस्त 2019 में जम्मू-कश्मीर के राज्य के दर्जे को रद्द कर अनुच्छेद 370 को निरस्त करने की घोषणा की थी और स्थानीय आबादी के लिए देशभर के लागू अधिकारों का लाभ उठाने का मार्ग प्रशस्त किया था। भारत में ट्वीट्स को लेकर लोग हुंडई इंडिया से सवाल करने लगे थे कि क्या वो हुंडई पाकिस्तान के बहिष्कार की अपील भी करने लगे थे। जब लोगों ने कम्पनी को फोन करके उसकी कारों को नहीं खरीदने की धमकियां दीं और कुछ ने आर्डर रद्द करने को कहा तो कम्पनी को अहसास हुआ कि इससे तो उनका बाजार प्रभावित होगा। हुंडई कम्पनी कई दशकों से भारत में निवेश कर रही है। तब जाकर हुंडई ने सफाई देते हुए माफी मांगी और भारत को अपना दूसरा घर बताया। बायकाट हुंडई की आंच केएफसी और पिज्जा हट तक भी जा पहुंची। जब इन कम्पनियों ने तपिश महसूस की तो इन्होंने भी ट्वीट को हटा दिया। पाकिस्तान के हुंडई के दो साल के बाजार के आंकड़ों पर नजर डालें तो 2020 में पाकिस्तान में हुंडई निशात की दो कारें मौजूद थीं। एसयूवी हुंडई टकसन और पिकअप ट्रक हुंडई पोर्टर। उस साल कम्पनी ने टकसन की 819 और पोर्टर की 768 यूनिट बेची थी, 2021 में कुल 841 कारों बिक्री हुई। वहीं बात भारत की करें तो हुंडई ने 2021 में 6 लाख 35 हजार 413 यूनिट बेचीं। इनमें एक लाख 30 हजार 380 कारों का निर्यात भी शामिल है। कम्पनी का भारत में 6 अरब डालर का कारोबार है। कम्पनी भारत में सालाना 5 लाख कारें बेचती है। हालांकि हुंडई ऐसा पहला ब्रांड नहीं है जिसे किसी पोस्ट पर एड के कारण बायकाट का सामना करना पड़ा है। पहले भी ऐसा हो चुका है।हुंडई विवाद अन्य ब्रांडों की बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के लिए एक सबक है। भारतीय मानस की भावनाएं आहत कर कोई अपना उत्पाद नहीं बेच सकता। बाजार उनके लिए है जो भारत की प्रभुत्ता और अस्मिता का सम्मान करते हैं। इलैक्ट्रिक वाहन विनिर्माण कम्पनी टेस्ला को लेकर यह मामला गर्माया हुआ है। ऐसा हो ही नहीं सकता कि कोई बाजार चाहे भारत का लेकिन रोजगार किसी दूसरे देशवासियों को मिले । अगर उसे भारत में काम करना है तो उसे नियम और शर्तें माननी होंगी। यह भारतीयों के आक्रोश की ही ताकत है कि हुंडई और केएफसी की हेकड़ी निकल गई। किसी को भी भारत के स्वाभिमान पर चोट करने की अनुमति नहीं दी जा सकती। जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है और रहेगा। ऐसे ट्वीट तनाव पैदा कर सकते हैं, अंततः तनाव का खामियाजा कम्पनियों को ही भुगतना पड़ता है। इस बात का अहसास हुंडई को हो गया होगा।

Next Story