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- शांत हिमाचल में सिसकती...
हिमाचल प्रदेश जैसे पहाड़ी प्रदेश को देश और दुनिया में सुखी, समृद्ध और शांत प्रदेश कहा जाता है। इस प्रदेश के लोग अत्यधिक भौतिकवाद से परे है। इज्ज़त से कमाकर, जीवन यापन करते सुख-चैन से रहते हैं। थोड़े में गुजऱ-बसर कर संतोषपूर्ण जीवन व्यतीत करते ईश्वर को धन्यवाद देते हैं। पहाड़ी लोगों में अति महत्त्वाकांक्षा तथा संसाधनों के लिए छीना-झपटी नहीं होती। भोले-भाले कहे जाने वाले हिमाचली जीवन मूल्यों, विरासत से मिले पारिवारिक संस्कारों तथा परम्परागत सांस्कृतिक परिधि में रहते हुए मान-सम्मान से संतुष्ट होकर जीवन जीते हैं। ऐसा भी नहीं है कि हिमाचली जनमानस भौतिकवाद तथा जीवन के विषय विकारों से निर्लिप्त है, लेकिन दुनिया की आपाधापी, छीनाझपटी, महत्त्वाकांक्षा तथा पनपते अति भौतिकवाद की तुलना में बहुत कम हैं। कुछ समय से इस शांत प्रदेश के लोगों तथा आब-ओ-हवा को भी दुनिया की नजऱ लगने लगी है। अब यहां भी व्यवसायीकरण तथा भौतिकवाद लोगों की मानसिकता, व्यवहार तथा जीवन शैली पर असर करने लगा है। धीरे-धीरे अब हिमाचल पर भी दुनिया का रंग चढऩे लगा है। इस शांत प्रदेश में भी मानवीय मूल्यों का पतन होने लगा है। अपराधों में बढ़ोतरी होने लगी है।
By: divyahimachal