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- हिमाचल में मानविकी...
दिव्याहिमाचल।
हिमाचल प्रदेश से संबंधित अध्ययन का पाठ्यक्रम तथा प्रेरणा का माहौल दिखाई नहीं देता है, नतीजतन शिक्षा के उद्देश्य एक तरह से करियर की मंडी में सीमित सी बोली लगाते हैं। शिक्षा की सफलता और शिक्षा में सफलता का मूल्यांकन न तो समग्रता से भविष्य को पढ़ पा रहा है और न ही युवाओं की ऊर्जा का दोहन, उनकी क्षमता का रेखांकन है। शिक्षा को जीवन की उपलब्धियों के जो भी ताज मिले, उनसे पढ़ाई का दस्तूर बदल गया। पिछले तीन दशकों में पढ़ाई से रोजगार की जरूरतें तो पूरी की गईं, लेकिन इससे हिमाचली युवा का क्षितिज नहीं खुला। हिमाचली शिक्षा की मेरिट का बाजार इंजीनियरिंग-डाक्टरी तक की पढ़ाई का संबोधन बना, लेकिन इसके दूसरी ओर योग्यता के दर्पण शिकायत करते रहे। करियर की विविधता में मानविकी अध्ययन आज भी हिमाचल की क्षमता में सामने नहीं आ रहा है। प्रदेश भर के स्कूली माहौल में विज्ञान की पढ़ाई को ही श्रेयस्कर मानने से अभिभावक व छात्रों की तलाश को पूरा करते कई संस्थान खुल गए, मगर ह्यूमैनिटीज में श्रेष्ठता का माहौल अछूता रह गया। बच्चे चाहकर भी हिमाचल भर में ऐसे स्कूल नहीं ढूंढ पाते जहां मनुष्य जाति संबंधित ज्ञान-विज्ञान का उपार्जन हो।