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Written by जनसत्ता: यूक्रेन के युद्धग्रस्त इलाकों में फंसे नागरिकों को निकालने के लिए सुरक्षित गलियारे नहीं मिल पाने से मानवीय संकट गहराता जा रहा है। यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की ने इसके लिए अब अंतरराष्ट्रीय रेडक्रास से मदद मांगी है। संयुक्त राष्ट्र और दूसरे देशों से वे पहले ही गुहार लगा रहे हैं कि सुरक्षित गलियारे बनाने और युद्धविराम के लिए रूस पर दबाव बनाया जाए। पर रूस किसी की सुन कहां रहा है! बल्कि वह हमले और तेज करता जा रहा है, ताकि यूक्रेन का मनोबल टूट जाए और वह हथियार डाल दे।
हालांकि यूक्रेन की सेना पूरी ताकत से रूसी हमलों का जवाब दे रही है, लेकिन रूसी मिसाइलों और बमों के सामने वह कितने दिन टिक पाएगी, यह बड़ा सवाल है। रूसी हमलों से राजधानी कीव सहित कई प्रमुख शहर खंडहरों में तब्दील हो गए हैं। रूसी बमवर्षक और टैंक नागरिक ठिकानों को भी निशाना बनाने से नहीं चूक रहे। इससे समस्या और विकट हो गई है। युद्ध के दौरान मानवीय हालात कितने गंभीर हो जाते हैं, यूक्रेन के तबाह हो रहे शहरों से आने वाली दर्दनाक तस्वीरों से इसका पता चल रहा है। लोगों के पास खाना और पानी तक नहीं बचा है। कड़ाके की ठंड में लोग खुले में पड़े हैं। बंकरों में भी सुरक्षित नहीं हैं। हर कोई इसी खौफ में जी रहा है कि कहीं अब बम या मिसाइल उस पर ही न गिर जाए।
गौरतलब है कि युद्धग्रस्त इलाकों से नागरिकों को निकालने के लिए सुरक्षित गलियारे बनाने को लेकर रूस और यूक्रेन के बीच दो बार बात हो चुकी है। इनमें इस बात पर सहमति बनने की खबरें आई थीं कि रूस कुछ घंटे के लिए हमले रोक देगा। लेकिन पीड़ा की बात यह कि रूस ने मानवीयता नहीं दिखाई और संघर्षविराम तोड़ते हुए हमले जारी रखे हुए है। पिछले तेरह दिनों में बीस लाख से ज्यादा लोग यूक्रेन छोड़ चुके हैं। पर अभी भी लाखों लोग फंसे हैं। ऐसे में इन लोगों को बचाना सिर्फ यूक्रेन की नहीं, बल्कि रूस सहित सभी देशों की भी नैतिक जिम्मेदारी बनती है।
भारत सहित कई देशों ने युद्ध रोकने और बात करने की अपील की है। तुर्की और पाकिस्तान जैसे देश मध्यस्थता के लिए भी आगे आए हैं। लेकिन विडंबना यह है कि रूस युद्ध के पागलपन में सब कुछ भूल बैठा है। वरना क्या कारण है कि उसने अभी तक सुरक्षित गलियारे बनाने को लेकर कोई गंभीरता नहीं दिखाई, बल्कि यूक्रेन पर नागरिकों को ढाल बनाने के आरोप लगा रहा है। बार-बार ऐसी खबरें तो आती हैं कि रूस संघर्षविराम के लिए राजी हो गया है, लेकिन अगले ही क्षण वह इसका उल्लंघन कर अपनी मंशा जाहिर कर दे रहा है।
यूक्रेन के कुछ युद्धग्रस्त क्षेत्रों में अभी भी कई भारतीय फंसे हैं। भारत ने सुरक्षित गलियारे का मुद्दा संयुक्त राष्ट्र में भी उठाया और मांग की कि जल्द ही लोगों को निकालने का काम शुरू हो। भारत की चिंता इसलिए भी बढ़ती जा रही है कि अब जिन शहरों में भारतीय नागरिक रह गए हैं, वहां रूस के ताबड़तोड़ हमले जारी हैं। रूस इस वक्त बेहद आक्रामक मुद्रा में है। उसके रुख से साफ हो चला है कि उसे लोगों की जान की परवाह नहीं है। अंतरराष्ट्रीय कानूनों के मुताबिक नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित होनी चाहिए। यह अंतरराष्ट्रीय समुदाय का कर्तव्य है। अगर बेगुनाह लोग हमलों में इसीलिए मारे जाते रहे कि उनके लिए सुरक्षित गलियारे नहीं बनने दिए गए, तो इक्कीसवीं सदी की दुनिया पर इससे बड़ा कलंक और क्या होगा!