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पश्चिमी देशों में बसने की चाहत
ज्योतिर्मय रॉय.
देश में बढ़ती बेरोजगारी से त्रस्त और पश्चिमी देशों के समृद्ध आधुनिक जीवन-शैली की ओर आकर्षित होकर लोग पश्चिमी देशों में बसने का प्रयास करते हैं. इसी चाहत ने मानव तस्करी को बढ़ावा दी है. यूरोप में मानव तस्करी ( Human Trafficking) का सबसे बड़ा मार्ग अब भूमध्यसागरीय देश लीबिया (Libya) है. युद्धग्रस्त इस देश को यूरोप में मानव तस्करों के लिए पनाहगाह के रूप में इस्तेमाल किया जाता रहा है. यह मार्ग मानव तस्करों के लिए मौत के जाल के रूप में दुनिया भर में जाना जाता है. इस मार्ग पर नाव के डूबने से मौत की खबर आए दिन देश-विदेश की मीडिया में सुर्खियां बटोरती रहती हैं. अभी हाल ही में कनाडा (Canada) माइग्रेट कर रहे भारतीयों की ठंड से मौत की खबर सुनकर पूरा देश हिल गया था. इसके बाद भी खतरनाक मौत का जुलूस और मानव तस्करी का जघन्य खेल थमने का नाम नहीं ले रहा है. कई लोग बेहतर जीवन की तलाश में यूरोप जाने का सपना देख रहे हैं और मानव तस्करों के समूह द्वारा इस अवसर का फायदा उठाया जा रहा है.
लगातार बढ़ रही हैं जान गंवाने की खबरें
25 जनवरी को लीबिया से यूरोप के लिए नाव पर सवार होकर जाते समय भूमध्य सागर में सात बांग्लादेशियों की ठंड में मौत हो गई थी. वे लीबिया से इटली के लैम्पाडुसा द्वीप के लिए रवाना हुए. लैम्पेडुसा के मेयर सल्वाटोर मार्टेलो ने मरने वालों की संख्या की पुष्टि करते हुए कहा कि जहाज में 280 अप्रवासी सवार थे, जो मुख्य रूप से बांग्लादेश, मिस्र, माली और सूडान से थे. इससे पहले जुलाई 2021 में ट्यूनीशियाई रेड क्रिसेंट के अनुसार भूमध्य सागर में 84 लोगों को बचाया गया था, लेकिन 43 लोग डूब गए. बचाए गए 84 लोगों में मिस्र, सूडान, इरिट्रिया और बांग्लादेश देशों के नागरिक थे. घटना में कम से कम 11 अन्य घायल हो गए. मई 2020 में, लीबिया के मिज़दाह शहर में मानव तस्करों द्वारा 26 बांग्लादेशियों और 4 अफ्रीकियों की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. ऐसे खबरें लगातार आ रही हैं. खतरनाक भूमध्य सागर को पार करके यूरोप जाने वाले प्रवासियों के लिए लीबिया एक आकर्षक प्रस्थान केंद्र है. 2014 के बाद से अफ्रीका से यूरोप पहुंचने की कोशिश में 20,000 से अधिक प्रवासियों और शरणार्थियों की समुद्र में मौत हो गई है.
हाल ही में 19 जनवरी, 2022 तक, संयुक्त राज्य-कनाडा सीमा पर -35 डिग्री तापमान ने मानव तस्करी के शिकार एक शिशु सहित चार लोगों की जान ले ली है. मारे गए सभी लोग गुजरात के गांधीनगर जिले के रहने वाले एक ही परिवार के थे. मृतकों में 35 वर्षीय जगदीश पटेल, 33 वर्षीय उनकी पत्नी वैशाली, 13 वर्षीय बेटी विहांगी और तीन वर्षीय पुत्र धर्मिक शामिल हैं.
मानव तस्करी संगठन बांग्लादेश, भारत, पाकिस्तान सहित विभिन्न देशों के युवाओं को बेहतर जीवन के लालच में लीबिया ले जाते हैं. उन्हें बंधक बनाकर और उनके परिवारों से 6-7 लाख रुपये की फिरौती लेने के बाद, उन्हें भूमध्य सागर पार करने के लिए नावों या ट्रॉलरों में छोड़ दिया जाता है ताकि उन्हें इटली या यूरोप के किसी अन्य देश में ले जाया जा सके. ज्यादातर मामलों में इन लोगों को समुद्र में ही जल समाधि हो जाती हैं.
मानव तस्कर स्वभाव से क्रूर और निर्दयी होते हैं. मानव तस्करों की यातना और क्रूरता के कारण कई लोग अपनी जान भी गंवा देते हैं. मानव तस्करी गिरोह के सदस्य बांग्लादेश, भारत, पाकिस्तान सहित विभिन्न देशों के युवाओं को यूरोप ले जाने के लिए लुभाने की कोशिश करते हैं और बाद में उन्हें सड़क, विमान और जहाजों द्वारा समूहों में लीबिया ले जाते हैं. लीबिया से जलमार्ग के माध्यम से ट्यूनीशियाई तट से होते हुए यूरोप भेजा जाता है. 7-8 लाख रुपये लेते हुए पूरी प्रक्रिया को पूरा करने में 2 महीने से लेकर एक साल तक का समय लगता है. पीड़ितों के पासपोर्ट, वीजा वसूली, टिकट खरीद-यह सब इसी सिंडिकेट की देखरेख में किया जाता है.
मानव तस्करों ने बनाया लीबिया को यूरोप का पहला ट्रांजिट प्वाइंट
लीबिया के नियंत्रण को लेकर यहां गृहयुद्ध चल रहा है. इसी मौके का फायदा उठाकर मानव तस्करी का गिरोह यहां करीब एक दशक से सक्रिय है. तस्करों के लिए लीबिया यूरोप का पहला ट्रांजिट प्वाइंट है.
विभिन्न देशों से लोगों को गैरकानूनी तरीकों से यूरोप भेजने के लिए पहले उन्हे लीबिया लाया जाता है. सुनहरे भविष्य के लिए यूरोप जा रहे इन लोगों को मानव तस्करों और बिचौलियों द्वारा पैसे के लिए बेरहमी से प्रताड़ित किया जाता है. कई चरणों में पैसे लेने के बाद उन्हे लीबिया से समुद्र के रास्ते इटली के लिए भेज दिया जाता है. वहां भी बिचौलियों द्वारा पैसे के लिए उन्हें फिर से प्रताड़ित किया जाता है. भाग्यशाली होने पर कुछ लोगों को अवैध रूप से काम करने का अवसर मिलता है. पकड़े जाने पर कुछ को जेल में भी जाना पड़ता है. भाग्य से कुछ ही लोग इटली के तट तक पहुंच पाते हैं और अधिकतर लोग इस यात्रा के दौरान समुद्र में डूबकर हमेशा के लिए खो जाते हैं. आधिकारिक यात्रा दस्तावेजों की कमी के कारण, परिवार के सदस्यों के लिए इन लोगों का पता लगाना या लीबिया या यूरोपीय दलालों को पकड़ना लगभग असंभव है.
बांग्लादेश के रैपिड एक्शन बटालियन (आरएबी)-14 ने मई 2020 को एक मानव तस्करी गिरोह का भंडाफोड़ किया था, जो कोलकाता और मुंबई के माध्यम से मध्य पूर्व और यूरोप में भारत, बांग्लादेश, श्रीलंका के श्रमिकों की तस्करी करते थे. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई गिरोह सक्रिय हैं, जो अवैध रूप से भारत, बांग्लादेश, श्रीलंका, नेपाल, पाकिस्तान, अफगानिस्तान के श्रमिकों को लीबिया के रास्ते यूरोपीय देशों में भेजते हैं.
मानव तस्करी विश्व में आधुनिक समाज की एक गंभीर और संवेदनशील समस्या है
दरअसल मानव तस्करी विश्व में आधुनिक समाज का एक गम्भीर और संवेदनशील समस्या बनकर उभरा है. नशीली दवाओं और हथियारों के कारोबार के बाद मानव तस्करी दुनिया में तीसरा सबसे बड़ा संगठित अपराध है. विदेशों मे रोजगार पाने की चाहत ने लोगों को यूरोप जाने की इच्छा को आगे बढ़ाया है. इस संबंध में विदेश मंत्रालय द्वारा समय-समय पर एडवाइजरी जारी की जाती है और विदेशों में नौकरी चाहने वाले युवाओं से सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त एजेंटों और केंद्रों से संपर्क करने का बार-बार आग्रह किया जाता है. लेकिन दुर्भाग्य से, मानव तस्करी से जुड़े एजेंटों द्वारा दिए गए प्रलोभनों के कारण लोग अवैध मार्गों का सहारा ले रहे हैं और भारी जोखिम उठा रहे हैं.
मानव तस्करी को रोकने के लिए जहां देश के भीतर लोगों को जागरूक करने के साथ-साथ विभिन्न विभागों के बीच समन्वय की आवश्यकता है, वहां विशेष रूप से हमारे पड़ोसी देश के साथ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर समन्वय की भी आवश्यकता है. इसके साथ ही विभिन्न अंतरराष्ट्रीय संगठनों को आगे आकर जिम्मेदारी लेनी होगी ताकि उज्ज्वल भविष्य के लिए मजबूर प्रवासी श्रमिकों को गुमनामी का जीवन न मिले.
Gulabi
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