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- मुद्रास्फीति कम कैसे...

भारतीय रिजर्व बैंक ने अचानक रेपो दरें और नकदी आरक्षित अनुपात (सीआरआर) बढ़ाकर बाज़ार और उपभोक्ता को हैरान कर दिया है। बल्कि स्तब्ध कर दिया है। बीते दिनों ही केंद्रीय बैंक की मौद्रिक नीति समिति की बैठक में सर्वसम्मति से तय हुआ था कि रेपो दरें 4 फीसदी ही रहेंगी। पहला सवाल तो यही है कि अचानक उनमें बढ़ोतरी कर 4.4 फीसदी क्यों कर दिया गया? सीआरआर में भी बढ़ोतरी कर अलग से उन्हें 4.5 फीसदी किया जाएगा। अगस्त, 2018 के बाद से रेपो दरों में यह पहली बढ़ोतरी है। इससे करीब 87,000 करोड़ रुपए की नकदी प्रभावित होगी। केंद्रीय बैंक का यह अर्थशास्त्र उसी के विशेषज्ञ और अधिकारी जानते हैं। आम भारतीय बिल्कुल नहीं जानता। चूंकि मुद्रास्फीति के दौर में रेपो दरें बढ़ाई गई हैं, तो आम जिज्ञासा यह है कि क्या इस बढ़ोतरी से महंगाई कम होगी? यदि मुद्रास्फीति की स्थिति नियंत्रित होकर कम होगी, तो वह कैसे होगी, क्योंकि पहली प्रतिक्रिया यह आई है कि आम उपभोक्ता के बैंक कजऱ् की ब्याज दर भी बढ़ जाएगी, नतीजतन ईएमआई भी ज्यादा हो जाएगी। यानी आम आदमी पर आर्थिक बोझ बढ़ेगा। बाज़ार के औद्योगिक संगठन और विशेषज्ञ इसे रिजर्व बैंक का दोहरा झटका करार देते हुए संभावनाएं जता रहे हैं कि केंद्रीय बैंक भविष्य में ज्यादा सख्ती कर सकता है। रेपो दरों में आधा फीसदी की बढ़ोतरी अभी और की जा सकती है।
क्रेडिट बाय दिव्याहिमाचली
