सम्पादकीय

चीन को जवाब कैसे?

Triveni
29 July 2021 2:52 AM GMT
चीन को जवाब कैसे?
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चीन की फौज लद्दाख में अपना जमावड़ा मजबूत कर रही है। इससे जुड़ी खबरें बार- बार आती हैं।

चीन की फौज लद्दाख में अपना जमावड़ा मजबूत कर रही है। इससे जुड़ी खबरें बार- बार आती हैं। लेकिन भारत सरकार की तरफ से ना तो उसकी पुष्टि की जाती है, और ना ही उसका खंडन। सैन्य अधिकारियों के बीच बातचीत के दौर जरूर चलते रहे हैं। इस बीच विदेश मंत्री एस जयशंकर ऐसे बयान देते रहते हैं जिससे यह पता चलता है कि चीन ने सीमा पर गौर-दोस्ताना रुख अपना रखा है। संकेत यह भी मिलता है कि वार्ताओं से कुछ हासिल नहीं हो रहा है।

तो मतलब यह निकाला जा सकता है कि ना सिर्फ भारत की भावनाओं, बल्कि ताकत की भी अनदेखी करते हुए चीन वास्तविक नियंत्रण रेखा के करीब अपने रणनीतिक मकसदों की तरफ आगे बढ़ रहा है। तो सवाल है कि भारत क्या करे? इस बिंदु पर आकर मामला भ्रम का शिकार दिखने लगता है। पिछले साल चीन ने उस क्षेत्र में घुसपैठ की, जहां पहले भारत का नियंत्रण था- ये बात मीडिया में आई।
लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कह दिया कि कोई घुसपैठ नहीं हुई है। उससे आगे बढ़ते हुए बाद में केंद्रीय मंत्री और पूर्व सेनाध्यक्ष जनरल वीके सिंह ने कह दिया कि जितनी घुसपैठ चीन ने की है, उससे ज्यादा बार भारत ने ऐसा किया है। तो फिर संकेत यह गया कि चीन ने कोई ऐसा काम नहीं किया है, जिसको लेकर भारत के लोगों को ज्यादा आक्रोश में आना चाहिए। लेकिन अब भारतीय मीडिया में वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों के हवाले से ये खबर आई है कि चीनियों ने पूर्वी लद्दाख के डेमचोक में चारडिंग नाला के भारतीय हिस्से में तंबू लगाए हैं।
बेहतर यह होता कि सरकार आधिकारिक तौर पर या तो इसकी पुष्टि करती या फिर इसका खंडन करती। लेकिन फिर वही हाल है। भ्रम बना हुआ है। और जब ये हाल हो, तो फिर जवाबी कार्रवाई क्या होगी, इस बारे में कुछ भी सोच या अनुमान लगा पाना कठिन हो जाता है। राष्ट्रीय अखंडता और सुरक्षा के मुद्दे पर अतीत में कभी ऐसा हाल हुआ होगा, यह याद करना किसी के लिए मुश्किल है। सवाल है कि क्या हम चीन के आगे लाचार हैं? या चीन ने ऐसा असल में कुछ किया ही नहीं, जिसको लेकर परेशान हुआ जाए? ये स्थिति अजीब है। मगर आज के भारत की यही हकीकत है। हकीकत यह है कि हर तरह की हकीकत से देश की जनता अनजान बनी हुई है।


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