सम्पादकीय

उत्पादन बढ़े तो कैसे?

Gulabi Jagat
16 Sep 2022 8:36 AM GMT
उत्पादन बढ़े तो कैसे?
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NI Editorial
उम्मीद त्योहारों के मौसम से जोड़ी गई है, जिसमें अमूमन लोग खरीदारी करते हैं। लेकिन खरीदरी तभी होगी जब लोगों की आय बढ़े और अति आवश्यक चीजों के अलावा कुछ और खरीदने की उनकी क्षमता हो।
इस हफ्ते जारी सरकारी आंकड़ों के अनुसार भारत में औद्योगिक उत्पादन क्षेत्र में जुलाई में पिछले साल के इसी महीने की तुलना में सिर्फ 2.4 प्रतिशत की वृद्धि हुई। यह आंकड़ा महामारी के बाद अर्थव्यवस्था की चिंताजनक तस्वीर पेश करता है। साफ है कि 2020 में महामारी और लॉकडाउन के अर्थव्यवस्था पर चोट के बाद 2021 में आर्थिक गतिविधि के फिर खुलने की वजह से जो अच्छा असर दिखा था वो अब फीका पड़ गया है। 2021 में इसी अवधि में आईआईएपी में 11,5 प्रतिशत की बढ़ोतरी देखी गई थी। जून 2022 में भी 12.7 वृद्धि देखी गई थी। जाहिर है, जुलाई में इसका इतना नीचे गिर जाना अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा संकेत नहीं है। आईआईपी के तहत आने वाले तीन मुख्य क्षेत्रों में से उत्पादन क्षेत्र में 3.2 प्रतिशत बढ़त देखी गई। यह क्षेत्र आईआईपी के 77 प्रतिशत का जिम्मेदार होता है, लिहाजा इसमें गिरावट पूरे आईआईपी को नीचे ले आती है। एक साल पहले इस क्षेत्र में 10.5 प्रतिशत और एक महीने पहले 13 प्रतिशत बढ़त दर्ज की गई थी।
बिजली उत्पादन में जुलाई में 2.3 प्रतिशत बढ़त दर्ज की गई। भारतीय अर्थव्यवस्था महामारी से पहले ही नोटेबंदी और जीएसटी के झटकों के असर से जूझ रही थी। महामारी ने संकट को और विकराल बना दिया। 2020-2021 के दौरान भारी संख्या में लोगों की नौकरियां गईं और आय में कमी हुई। करोड़ों लोग गरीबी रेखा के नीचे चले गए। पहले से गिरी हुई मांग और नीचे चली गई। ताज आंकड़े इस बात की ओर भी इशारा कर रहे हैं कि अर्थव्यवस्था में उपभोग अभी भी वापस नहीं आया है। उम्मीद जताई गई है कि त्योहारों का मौसम आने वाला है, जिसमें अमूमन लोग खरीदारी करते हैं। लेकिन खरीदरी तब ही होगी जब लोगों की आय बढ़ी हो और अति आवश्यक चीजों के अलावा कुछ और खरीदने की उनकी क्षमता होगी। महंगाई भी नीचे आने का नाम नहीं ले रही है। इस बीच सरकार का ध्यान सिर्फ सप्लाई साइड पर केंद्रित रहा है। परोक्ष करों में लगातार वृद्धि कर उसने आम जन की वास्तविक आय घटाने में योगदान किया है। ऐसे में आखिर उत्पादन बढ़ेगा भी कैसे?
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