- Home
- /
- अन्य खबरें
- /
- सम्पादकीय
- /
- मनी प्लांट कैसे उगा
आजादी मिलने के बाद से आज तक उसकी स्थिति में केवल एक ही अंतर आया कि उसने अब झोंपड़ी के बाहर मनी प्लांट लगा दिया है। उसे उम्मीद है कि कोई तो ऐसा दिन आएगा जब मनी प्लांट के बहाने कुछ मनी भी आ जाएगी। उसके पड़ोसी ईर्ष्या करने लगे हैं कि अब गरीब भी अमीरों के चोंचले कैसे कर सकता है। वह बाकायदा इसकी पूजा करता है और दिवाली के दीए जलाता है। जब भी देश कुछ अच्छा करता है या वित्त मंत्री के हवाले से मालूम होता है कि अच्छे दिन आ रहे हैं, वह मनी प्लांट के कान में खुसर-फुसर करता रहता है। उसने यह प्लांट दरअसल ऐसे ही नहीं चुराया, बल्कि कई असफल प्रयास करके उसे एक दिन बैंक कार्यालय के बाहर उखड़ा हुआ मिल गया। उसे मालूम नहीं था कि बैंक प्रबंधन ने एनपीए मामलों से तंग आकर ही इसे उखाड़ा, बल्कि वह अपनी किस्मत को मनी प्लांट के मिल जाने से जोड़ रहा था। यह मनी प्लांट आजादी से ही उखड़ रहा है। सर्वप्रथम कोई अंग्रेज इसे लाया था और इसलिए यह दिल्ली की सत्ता से हिल मिल गया। इसे कमोबेश हर बार सत्ता ने भरपूर तरीके से उगाया और अंततः हर नेता खुद ही मनी प्लांट बन गया।