सम्पादकीय

भ्रष्टाचार का बचाव, नेताओं के खिलाफ जांच प्रतिशोध की राजनीति कैसे

Rani Sahu
4 Aug 2022 5:08 PM GMT
भ्रष्टाचार का बचाव, नेताओं के खिलाफ जांच प्रतिशोध की राजनीति कैसे
x
नेशनल हेराल्ड (National Herald) मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) यानी ईडी की जांच को लेकर कांग्रेस नेताओं की चीख-पुकार यही रेखांकित कर रही है

सोर्स- Jagran

नेशनल हेराल्ड (National Herald) मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) यानी ईडी की जांच को लेकर कांग्रेस नेताओं की चीख-पुकार यही रेखांकित कर रही है कि वह गांधी परिवार को कानून से ऊपर मानती है। स्वयं सोनिया और राहुल गांधी भी ऐसी ही प्रतीति करा रहे हैं। यह एक तरह से खुद को विशिष्ट समझने की सामंती मानसिकता का ही प्रदर्शन है। कांग्रेस इस मानसिकता का परिचय एक लंबे समय से देती चली आ रही है। जैसे कांग्रेस नेशनल हेराल्ड मामले की जांच को लेकर आपत्ति जता रही है, वैसे ही अन्य विपक्षी दल भी। बेहतर हो कि कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल देश को यह समझाएं कि गांधी परिवार ने नेशनल हेराल्ड की हजारों करोड़ की संपत्ति कैसे हथिया ली?
यह जानना हैरान करता है कि कांग्रेस समेत 17 विपक्षी दलों ने एक संयुक्त बयान जारी कर धन शोधन निवारण अधिनियम यानी पीएमएलए की संवैधानिकता बरकरार रखने वाले सुप्रीम कोर्ट के फैसले को खतरनाक करार देते हुए उसकी समीक्षा की मांग की। कांग्रेस ने तो इस कानून को लोकतंत्र को क्षति पहुंचाने वाला भी करार दिया। आखिर भ्रष्टाचार निरोधक किसी कानून को लोकतंत्र के विरुद्ध कैसे कहा जा सकता है?
क्या इससे विचित्र और कुछ हो सकता है कि भ्रष्टाचार के विरुद्ध जांच को लोकतंत्र के खिलाफ बताया जाए? आखिर विपक्षी दलों की ओर से ऐसी कोई बात तब सुनने को क्यों नहीं मिली कि जब ईडी की ओर से भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे विभिन्न कारोबारियों और नौकरशाहों के खिलाफ जांच-पड़ताल की जा रही थी? क्या विपक्षी दल यह कहना चाहते हैं कि भ्रष्टाचार के मामले में अन्य सबके खिलाफ तो कार्रवाई हो, लेकिन नेताओं को बख्श दिया जाए? यदि नहीं तो फिर यह सिद्ध करने की चेष्टा क्यों की जा रही है कि नेताओं के खिलाफ भ्रष्टाचार की जांच प्रतिशोध की राजनीति अथवा ईडी का मनमाना इस्तेमाल है?
इससे हास्यास्पद और कुछ नहीं कि जब नेताओं और नौकरशाहों के भ्रष्टाचार के मामलों की गिनती करना कठिन हो रहा है, तब विपक्षी दल ईडी को मिले अधिकारों का विरोध करने में लगे हुए हैं। ऐसा करके वह एक तरह से भ्रष्ट नेताओं की पैरवी ही कर रहे हैं। जिन नेताओं पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप हैं और जो ईडी की जांच का सामना कर रहे हैं, उनके संदर्भ में इसकी अनदेखी नहीं की जा सकती कि उनके पास से अकूत संपत्ति मिली है। तमाम उपायों के बाद भी राजनीतिक भ्रष्टाचार जिस तरह खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है, उसे देखते हुए यह आवश्यक ही नहीं, अनिवार्य है कि काला धन बटोरने और उसे सफेद करने की कोशिश करने वालों के खिलाफ कठोर कार्रवाई हो।


Rani Sahu

Rani Sahu

    Next Story