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- रूस और यूक्रेन के बीच...
डा. मोनिका शर्मा।
विश्व के हर हिस्से में घर-परिवार से लेकर राष्ट्र तक को संवारने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली स्त्रियां युद्ध और अस्थिरता जैसी दशाओं का सर्वाधिक शिकार होती हैं। ऐसे पीड़ादायी हालातों के मामले में विकसित हो या विकासशील, हर देश में औरतों की मुश्किलें बढ़ जाती हैं। युद्ध के हालातों से जूझने वाले समाज का रुख प्रगतिशील हो या परंपरागत, आधी आबादी को घाव ही मिलते हैं। ऐसे जख्म जो युद्ध खत्म हो जाने के बाद भी स्त्री जीवन में अपनी स्थायी मौजूदगी दर्ज करवाते हैं, वर्तमान के छीजने का कारण बनते हैं और भावी पीढिय़ों पर दुष्प्रभाव डालते हैं। राष्ट्र और समाज का पूरा ढांचा बिखेरकर रख देते हैं। शिक्षा और सुरक्षा के मोर्चे पर ही नहीं, बल्कि स्त्री होने के नाते बर्बरता झेलने के मामले में भी औरतों को अमानवीय स्थितियों का सामना करना पड़ता है।