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- लता जी के एक नाराजगी...
लता मंगेशकर (Lata Mangeshkar) ने आज दुनिया को अलविदा कह दिया. फिल्मी दुनिया ही नहीं पूरे देश में उनके लिए शोक है. उन्होंने भले ही 'प्लेबैक सिंगिंग' काफी समय से छोड़ दी हो पर उनकी लोकप्रियता जस की तस थी. सोशल मीडिया में लता जी खासी सक्रिय रहती थीं. वो बड़ी विनम्रता से अपने समकालीन कलाकारों की पुण्यतिथि या जन्मदिन पर उन्हें याद करती थीं. कई नए कलाकारों को जन्मदिन पर बधाई देती थीं. कई बार क्रिकेट के खेल को लेकर ट्वीट करती थीं. तमाम त्योहारों पर शुभकामनाएं देना भी वो नहीं भूलतीं थीं. इन सारी बातों के चलते लता जी आम लोगों से टच में रहती थीं. उनक स्वभाव के बारे में जानने के बाद यकीन नहीं होता कि कभी वो नाराज भी होती रही होंगी. कोई यह मान भी नहीं सकेगा कि किसी बात के विरोध करने के लिए उन्हें विद्रोह भी करना पड़ा होगा. लेकिन सच यही है कि लता मंगेशकर ने जरूरत पड़ने पर फिल्म इंडस्ट्री (Film Industry) में अपनी बात बड़ी मजबूती से रखी. बल्कि बेहद मीठी आवाज में गाने वाली लता मंगेशकर ने अपने अधिकारों के लिए विरोध के कड़े सुर भी लगाए. उनके इस विद्रोह का ही नतीजा है कि आज गायकों को भी सम्मान मिल रहा है. 6 दशक पहले किए गए इस कार्य के लिए देश के सभी प्लेबैक गायकों (Playback Singers) को उनका आभार व्यक्त करना चाहिए. ये सच है कि अगर उन्होंने आवाज ना उठाई होती तो शायद किसी और ने इस पर ध्यान भी नहीं दिया होता. और दूसरे लोग अगर आवाज उठाते भी तो उतना प्रभाव नहीं पड़ता जितना लता जी के आवाज उठाने का हुआ. साथ ही ताकतवर संगीतकारों के सामने अपनी बात इतनी मजबूती से कहने की हिम्मत भी शायद हर किसी में नहीं थी.