सम्पादकीय

मोदी सरकार ने आठ साल में नौकरशाही में लागू किया रिफॉर्म और परफॉर्म का फार्मूला, मंत्रालयों में विशेषज्ञों को मिली एंट्री तो भ्रष्ट अफसर हुए एक्जिट

Rani Sahu
26 May 2022 10:13 AM GMT
मोदी सरकार ने आठ साल में नौकरशाही में लागू किया रिफॉर्म और परफॉर्म का फार्मूला, मंत्रालयों में विशेषज्ञों को मिली एंट्री तो भ्रष्ट अफसर हुए एक्जिट
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केन्द्र की नरेन्द्र मोदी (PM Narendra Modi) सरकार ने आज अपने आठ साल का कार्यकाल पूरा कर लिया है

हरीश तिवारी |

केन्द्र की नरेन्द्र मोदी (PM Narendra Modi) सरकार ने आज अपने आठ साल का कार्यकाल पूरा कर लिया है. केन्द्र में 2014 में नरेन्द्र मोदी की अगुवाई में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनी और इसके बाद सरकार ने कई क्षेत्र में रिफॉर्म लागू किए. केन्द्र में नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद सरकारी तंत्र में कई तरह के बदलाव देखने को मिले. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जो प्रयोग गुजरात के मुख्यमंत्री के रहते हुए राज्य में किए थे, उसमें से कुछ प्रयोग उन्होंने केन्द्र सरकार में भी किए. पीएम मोदी ने नौकरशाही (Bureaucracy) के साथ ही सरकारी अफसरों की कार्यप्रणाली में बदलाव किए. केन्द्र सरकार में पहली बार गैर सिविल सेवा और विशेषज्ञों को सरकारी मंत्रालयों में ज्वाइंट सेक्रटरी के तौर पर नियुक्त किया. इसके साथ ही पिछले आठ साल में आईएएस (IAS), आईपीएस और आईआरएस अफसरों को जबरन रिटायर भी किया गया. अगर देखें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का पिछले आठ साल का कार्यकाल नौकरशाही में रिफॉर्म और परफॉर्म के मूल मंत्र पर केन्द्रित रहा.
केन्द्र में प्रधानमंत्री बनने के साथ ही नरेन्द्र सरकार ने नौकरशारी को लेकर सख्त फैसले किए. आमतौर पहले केन्द्रीय प्रतिनियुक्ति में आईएएस वर्ग का एकाधिकार चलता था और ज्यादातर अफसर केन्द्रीय प्रतिनियुक्ति में आते थे और अच्छे विभागों और मंत्रालयों में पोस्टिंग पाते थे. लेकिन मोदी सरकार ने केन्द्रीय प्रतिनियुक्ति में पहली बार 50-50 का फार्मूला लागू किया. इसके तहत केन्द्रीय प्रतिनियुक्ति में आने वाले अखिल भारतीय सेवाओं के अफसरों के 50 फीसदी पदों पर आईएएस और 50 फीसदी पदों पर गैर आईएएस अफसरों की नियुक्ति का नियम बनाया गया. इसका फायदा यह हुआ कि आईपीएस, आईआरएस और आईएफओएस अफसर भी केन्द्रीय प्रतिनियुक्ति में आने लगे हैं और आईएएस अफसरों का एकाधिकार खत्म हुआ. आज केन्द्र में कई गैर आईएएस अफसर तैनात हैं. हालांकि इसमें से कुछ ही अफसर सचिव स्तर तक पहुंच पाते हैं. लेकिन पिछली सरकार में गैर आईएएस अफसरों को केन्द्रीय प्रतिनियुक्ति में मौके तक नहीं मिलते थे.
मंत्रालयों में नियुक्त किए विशेषज्ञ
केंद्र की नरेन्द्र मोदी सरकार ने सबसे पहले 2018 में एक नायाब प्रयोग किया. इसके तहत सरकार ने विभिन्न विभागों में निजी क्षेत्र के नौ विशेषज्ञों को संयुक्त सचिव के तौर पर नियुक्त किया. इन पदों पर पहली बार है सीधे निजी क्षेत्र से विशेषज्ञों को नियुक्त किया गया था. जबकि पहले इन पदों पर सिर्फ आईएएस, आईपीएस, आईएफएस और आईआरएस अफसरों की नियुक्ति की जाती थी. लेकिन मोदी सरकार ने विज्ञापन निकालकर विशेषज्ञों को ज्वाइंस सेक्रेटरी के पद पर नियुक्त किया. मोदी सरकार के इस फैसले से नौकरशाही ने भी नाराजगी जताई. केन्द्र सरकार ने राजस्व, वित्तीय सेवा, आर्थिक मामलों, कृषि और किसान कल्याण, सड़क परिवहन और राजमार्ग, शिपिंग, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन, नवीकरणीय ऊर्जा, नागरिक उड्डयन और वाणिज्य विभाग में निजी क्षेत्र के विशेषज्ञों को संयुक्त सचिव के तौर पर नियुक्त किया. इसके बाद मोदी सरकार ने 30 और विशेषज्ञों को संयुक्त सचिव और निदेशक के पद पर नियुक्त करने का फैसला किया. नरेन्द्र मोदी सरकार ने संयुक्त सचिव ही नहीं बल्कि सचिव स्तर पर भी विशेषज्ञों को नियुक्त किया है. सरकार ने आयुष मंत्रालय में सचिव के पद पर राजेश कोटेचा को नियुक्त किया जो पेशे से वैद्य हैं.
360 डिग्री का सिस्टम बनाकर भ्रष्ट और नकारे अफसरों की डेपुटेशन में एंट्री हुई बैन
इसके साथ ही केन्द्रीय प्रतिनियुक्ति में आने वाले अफसरों के लिए केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार ने 360 डिग्री रिव्यू सिस्टम को लागू किया. यह सिस्टम अपॉइंटमेंट्स, प्रमोशन्स और इनडायरेक्ट वॉर्निंग के लिए काम करता है. इसके कारण केन्द्रीय प्रतिनियुक्ति पर आने वाले अफसरों की वार्षिक गोपनीय रिपोर्टों पर निर्भरता कम हो रही है और पोस्टिंग का तरीका भी बदल रहा है. मोदी सरकार के इस सिस्टम को लागू करने के कारण राज्यों में बैठे नकारा और भ्रष्ट अफसरों के लिए केन्द्रीय प्रतिनियुक्ति के अवसर बंद हो गए. इस सिस्टम के तहत सरकार डेपुटेशन पर आने वाले अफसर का पूरा रिकार्ड चेक करती है और इसके लिए फीडबैक अफसर के साथ पहले काम कर चुके अफसरों से भी लिया जाता है और उसके बाद रिपोर्ट तैयार की जाती है.
भ्रष्ट अफसरों को जबरन किया रिटायर
केन्द्र सरकार ने अपने आठ साल के कार्यकाल में कई अफसरों को जबरन रिटायर किया है. भारतीय नौकरशाही के इतिहास में पहली बार इतने बड़े स्तर पर अफसरों को जबरन रिटायर किया गया है. कुछ महीनों पहले ही केन्द्र सरकार ने 9 आईपीएस अफसरों को जबरन रिटायर किया गया. हालांकि केन्द्र सरकार ने जबरन रिटायर्ड आईपीएस अफसरों के नाम सार्वजनिक नहीं किए. केन्द्र सरकार ने 21 अफसरों की सूची तैयार की थी और इसमें 10 आईपीएस अधिकारी और 11 आईएएस अफसरों के नाम शामिल थे. जिन्हें जबरन रिटायर किया गया था. जबकि कुछ दिनों पहले ही नरेन्द्र मोदी सरकार ने आयकर विभाग के 12 आईआपएस अफसरों को जबरन रिटायर किया था. केन्द्र सरकार ने इन अफसरों से साफ कह दिया था कि रिश्वतखोरी और दागी अफसरों के खिलाफ कार्रवाई करने में कोताही नहीं की जाएगी. असल में सरकार लंबे समय से ऐसे अफसरों के खिलाफ जानकारी जुटा रही थी और सबूत हाथ में आने के बाद आयकर विभाग के 12 अफसरों को रिटायर कर दिया गया. इसमें कमिश्नर और ज्वाइंट कमिश्नर स्तर के अफसर शामिल थे.
सेंट्रल डेपुटेशन रद्द करा अफसरों ने स्टेट कैडर में जाना समझा बेहतर
केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार ऐसी पहली सरकार है. जिसमें सेंट्रल डेपुटेशन में आए अफसरों ने अपनी प्रतिनियुक्ति को रद्द कराकर वापस अपने स्टेट कैडर में ही जाना बेहतर समझा. आम तौर पर पूर्वोत्तर के ज्यादा अफसर दिल्ली या अन्य राज्यों में अपना ज्यादातर समय व्यतीत करते हैं. लेकिन नरेन्द्र मोदी सरकार के बनने के बाद पूर्वोत्तर के नौकरशाह अपने ही स्टेट में रहना ज्यादा पसंद करने लगे. यही नहीं उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों के आईएएस और आईपीएस अफसर अपनी प्रतिनियुक्ति को बीच में ही छोड़कर वापस स्टेट लौटे. ये जानते हुए भी इसके बाद उन्हें केन्द्रीय प्रतिनियुक्ति में जाने का मौका नहीं मिलेगा.

सोर्स - tv9hindi.com

Rani Sahu

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