- Home
- /
- अन्य खबरें
- /
- सम्पादकीय
- /
- कैप्टन अमरिंदर सिंह...
x
पंजाब की राजनीति में कितना उलटफेर कर सकेंगे?
संयम श्रीवास्तव।
पंजाब (Punjab) में कैप्टन अमरिंदर सिंह (Captain Amarinder Singh) ने अपनी नई पार्टी बनाने का ऐलान तो कर दिया है, लेकिन सवाल उठता है कि क्या वह पंजाब में इतना सियासी उलटफेर कर पाएंगे कि वापस सत्ता में आ जाएं. या फिर कांग्रेस पार्टी (Congress Party) को सत्ता से बाहर कर दें. दरअसल कैप्टन अमरिंदर सिंह का मकसद इस वक्त सिर्फ एक है कि किसी भी तरह से कांग्रेस पार्टी को पंजाब की सियासत से बाहर कर दिया जाए. कांग्रेस नेतृत्व ने जिस तरह से इतने सीनियर नेता को अपमानित किया और उन्हें मजबूर किया कि व सीएम पद का त्याग कर दें, उसे कैप्टन अमरिंदर सिंह भूल नहीं सकते हैं
और ना ही कैप्टन अमरिंदर सिंह भूल सकते हैं नवजोत सिंह सिद्धू को, जिन्होंने कांग्रेस आलाकमान को ऐसा करने पर मजबूर किया. कैप्टन अमरिंदर सिंह इस बार कसम खा चुके हैं कि कुछ भी हो जाए 2022 के पंजाब विधानसभा चुनाव में नवजोत सिंह सिद्धू को पंजाब का सरताज नहीं बनने देना है. इसके लिए उन्होंने अपनी सियासी बिसात बिछा दी है. एक तरफ अकाली दल के विद्रोही गुटों को साध रहे हैं तो दूसरी तरफ बीजेपी के साथ गठजोड़ का इशारा कर रहे हैं. लेकिन कैप्टन अमरिंदर सिंह की यह तिकड़ी पंजाब विधानसभा चुनाव में कितनी कामयाब होगी यह तो वक्त ही बताएगा.
क्या कांग्रेस को कैप्टन से लगने वाला है बड़ा झटका
पंजाब विधानसभा चुनाव को देखते हुए कैप्टन अमरिंदर सिंह ने अपनी नई पार्टी बनाने की घोषणा तो कर ही दी है, इसके साथ ही उन्होंने अपने साथ शिरोमणि अकाली दल से अलग हो चुके रणजीत सिंह ब्रह्मपुरा और सुखदेव सिंह ढींडसा को भी शामिल करने की बात कही है. इसके साथ ही अमरिंदर सिंह भारतीय जनता पार्टी के साथ भी गठबंधन करने की फिराक में हैं. हालांकि इसके लिए उन्होंने एक शर्त रखी है कि बीजेपी को किसान आंदोलन के मसले को हल करना होगा.
समझने वाली बात यह है कि अगर बीजेपी ने कैप्टन अमरिंदर सिंह की बात मान ली और किसानों के मुद्दे को हल कर दिया तो फिर किसानों का एक बड़ा वर्ग कैप्टन अमरिंदर सिंह के साथ आ जाएगा और यह मौजूदा कांग्रेस सरकार के लिए विधानसभा चुनाव में घातक साबित हो सकता है. क्योंकि किसान आंदोलन को खड़ा करने में सबसे बड़ा योगदान कैप्टन अमरिंदर सिंह का ही रहा है और अगर वह इसके निवारण का कारण बनते हैं तो जाहिर सी बात है पंजाब के किसानों का पूरा समर्थन कैप्टन अमरिंदर सिंह के साथ रहेगा.
कैप्टन अमरिंदर सिंह के साथ जुड़ने पर बीजेपी को भी फायदा
पंजाब में भारतीय जनता पार्टी हमेशा से छोटे भाई की भूमिका में रही है. दशकों से शिरोमणि अकाली दल के साथ गठबंधन में सरकार बनाने वाली बीजेपी इस बार कैप्टन अमरिंदर सिंह के सहारे सत्ता तक पहुंचना चाहती है. भारतीय जनता पार्टी की पकड़ पंजाब के हिंदू वोटरों में अच्छी है. 1992 की बात करें तो पंजाब में बीजेपी का वोट शेयर 16.5 फ़ीसदी हुआ करता था, लेकिन 2017 में यह घटकर 5.4 फ़ीसदी हो गया. उसका कारण अकाली दल से लोगों का गुस्सा भी था.
लेकिन अब बीजेपी कैप्टन अमरिंदर सिंह के साथ खड़ी होती नजर आएगी और कैप्टन अमरिंदर सिंह ने भारतीय जनता पार्टी को एंटी मुस्लिम या फिर सांप्रदायिक पार्टी होने के नाम पर पहले ही क्लीन चिट दे दी है. बीजेपी कैप्टन अमरिंदर सिंह के साथ राष्ट्रवाद के मुद्दे पर आ रही है. जिसके लिए कैप्टन अमरिंदर सिंह पहले से बात करते आए हैं. नवजोत सिंह सिद्धू को पंजाब विधानसभा चुनाव में घेरने का एक मुद्दा राष्ट्रवाद भी रहेगा. क्योंकि सिद्धू की नजदीकी पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान से कितनी है वह किसी से छुपी नहीं है.
अकाली दल के विद्रोही गुट से कैप्टन अमरिंदर सिंह को कितना होगा फायदा
कैप्टन अमरिंदर सिंह ने बहुत सोच समझकर अकाली दल के विद्रोही गुट रणजीत सिंह ब्रह्मपुरा और सुखदेव सिंह ढींडसा को अपने साथ लाने की बात की है. दरअसल सुखदेव सिंह ढिंसा का जनाधार और पकड़ पंजाब के मालवा क्षेत्र के संगरूर, पटियाला, बरनाल जैसे जिलों में माना जाता है. सबसे बड़ी बात है कि पंजाब की सियासत का पावर सेंटर मालवा को ही कहा जाता है. क्योंकि इस रीजन से लगभग 4 दर्जन से ज्यादा सीटें आती हैं. आपको बता दें पिछले साल फरवरी में जब शिरोमणि अकाली दल ने सुखदेव सिंह ढींडसा और रणजीत सिंह ब्रह्मपुरा को निकाल दिया था तो उन्होंने अपनी एक अलग पार्टी 'शिरोमणि अकाली दल संयुक्त' बना लिया था. इस पार्टी की पकड़ माझा क्षेत्र में अच्छी खासी है. जिसमें पंजाब की लगभग 25 विधानसभा सीटें आती हैं.
जबकि रणजीत सिंह ब्रह्मपुरा की पकड़ खडूर साहिब में है. सुखदेव सिंह ढींडसा और रणजीत सिंह ब्रह्मपुरा दोनों ही नेता अकाल तख्त से जुड़े नेता हैं, इसलिए इनकी पकड़ कट्टर सिखों में भी है. जिसका फायदा आगामी विधानसभा चुनाव में कैप्टन अमरिंदर सिंह को होने वाला है.
राष्ट्रवाद का मुद्दा क्या अमरिंदर सिंह को पंजाब का कैप्टन बनाएगा
पंजाब विधानसभा चुनाव में इस बार राष्ट्रवाद का मुद्दा जमकर उठेगा. क्योंकि मुख्यमंत्री रहते हुए भी कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कई बार यह मुद्दा उठाया था कि पाकिस्तान की तरफ से पंजाब की स्थिरता को नुकसान पहुंचाने का षड्यंत्र रचा जा रहा है. उन्होंने कई बार यह बयान दिया है कि पाकिस्तान की तरफ से ड्रोन के जरिए पंजाब में ड्रग्स, हथियार और रुपए जैसी चीजों के भेजने का काम तेजी से हो रहा है.
कुल मिलाकर कैप्टन अमरिंदर सिंह का कहना है कि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई पंजाब में खालिस्तानी मूवमेंट को हवा दे रही है और उसे फिर से खड़ा करने की कोशिश कर रही है. और अगर समय रहते इसे नहीं रोका गया तो आने वाले समय में 1980 के दशक का माहौल पंजाब में फिर बन सकता है. इन मुद्दों को लेकर कैप्टन अमरिंदर सिंह गृह मंत्री अमित शाह से भी मुलाकात कर चुके हैं.
यहां तक कि इसी को लेकर वह नवजोत सिंह सिद्धू पर आरोप भी लगाते रहे हैं कि उनकी मित्रता हिंदुस्तान से ज्यादा पाकिस्तान के साथ है. आगामी विधानसभा चुनाव में कैप्टन अमरिंदर सिंह अपने राष्ट्रवादी छवि और राष्ट्रवाद के मुद्दे को भुनाने की पूरी कोशिश करेंगे. हालांकि इस मुद्दे पर पंजाब की जनता उनका कितना समर्थन करेगी यह तो चुनाव परिणाम ही बताएंगे.
कांग्रेस से और नेताओं को तोड़कर अपने साथ ले सकते हैं कैप्टन अमरिंदर सिंह
कैप्टन अमरिंदर सिंह ने भले ही कांग्रेस पार्टी छोड़ दी हो, लेकिन पंजाब कांग्रेस के अंदर अभी भी लगभग दो दर्जन विधायक ऐसे हैं जो कैप्टन अमरिंदर सिंह के एक इशारे पर उनके साथ खड़े हो जाएंगे. कांग्रेस पार्टी विधायकों को कैप्टन के साथ जाने से रोक पाएगी ऐसा फिलहाल तो होता हुआ नहीं दिखाई दे रहा है. क्योंकि जब कैप्टन अमरिंदर सिंह और नवजोत सिंह सिद्धू के बीच आपसी विवाद चल रहा था उस वक्त भी पंजाब कांग्रेस में दो गुट थे. एक गुट कैप्टन अमरिंदर सिंह का और दूसरा गुट नवजोत सिंह सिद्धू का. सिद्धू की जीत के बाद से ही कैप्टन अमरिंदर सिंह का गुट पार्टी आलाकमान से नाराज है और इस गुट को जरा सा भी अंदाजा हुआ कि पंजाब विधानसभा चुनाव में कैप्टन अमरिंदर सिंह का पलड़ा भारी है, तो यह गुट आसानी से कैप्टन अमरिंदर सिंह के साथ चला जाएगा.
सही मायनों में देखें तो पंजाब कांग्रेस कहीं ना कहीं कैप्टन अमरिंदर सिंह के नई पार्टी की घोषणा से डरी हुई है. क्योंकि उसे पता है कि कैप्टन अमरिंदर सिंह भले ही पंजाब में अपनी सरकार ना बना पाएं, लेकिन वह ऐसी परिस्थितियां खड़ी कर सकते हैं कि पंजाब में कांग्रेस पार्टी भी सरकार नहीं बना पाएगी. यानि पंजाब में कैप्टन अमरिंदर सिंह उस कहावत को सच कर देंगे जो हमारे गांवों में अक्सर बोली जाती है, 'न खेलब ना खेलैय देब खेलवै बिगाड़ देब'.
Next Story