- Home
- /
- अन्य खबरें
- /
- सम्पादकीय
- /
- किसान आंदोलन को यूपी...
संयम श्रीवास्तव .
लखीमपुर खीरी कांड के बाद जिस किसान आंदोलन का जिक्र केवल पश्चिमी उत्तर प्रदेश में था अब उसके बारे में चर्चा पूरे उत्तर प्रदेश में होने लगी है. हालांकि इस चर्चा में दो पक्ष है, एक जो किसानों के पक्ष में हैं और दूसरे वो जो इन पर सवाल उठा रहे हैं. राजनीतिक पार्टियों की बात करें तो समाजवादी पार्टी, कांग्रेस पार्टी और बहुजन समाज पार्टी जैसी तमाम विपक्षी पार्टियों ने लखीमपुर खीरी हत्याकांड की पूरी तरह से भर्त्सना की और इस पर जमकर सियासत भी की. राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने जिस तरह से मारे गए किसानों के घर जाकर उनके परिवार वालों से मुलाकात की उसने कांग्रेस को उस वर्ग के थोड़ा करीब ला दिया है, जो किसानों के पक्ष में हैं.
हालांकि साफ तौर पर देखें तो किसान आंदोलन से किसी भी राजनीतिक पार्टी को इतना फायदा नहीं होगा की वह सूबे में सिर्फ उस मुद्दे के दम पर सत्ता परिवर्तन कर सके. हां यह जरूर कह सकते हैं कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में किसान आंदोलन का असर जरूर दिखाई देगा और यहां जिस तरह से समाजवादी पार्टी ने आरएलडी से गठबंधन किया है, उसे कुछ बेहतर परिणाम मिल सकते हैं. भारतीय किसान यूनियन भी पश्चिमी उत्तर प्रदेश में ही ज्यादा प्रभावी नजर आती है. लेकिन पश्चिमी उत्तर प्रदेश से निकलते ही जैसे ही आप पूर्वांचल या बुंदेलखंड की तरफ आते हैं भारतीय किसान यूनियन का सिक्का चलना बंद हो जाता है. क्योंकि इन क्षेत्रों के कुछ और मुद्दे हैं.