सम्पादकीय

सख्त कानून से कितना लाभ?

Gulabi
25 Jan 2021 11:40 AM GMT
सख्त कानून से कितना लाभ?
x
साल 2019 में मोटर व्हीकल कानून में संशोधन किया गया था।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। साल 2019 में मोटर व्हीकल कानून में संशोधन किया गया था। उसमें ट्रैफिक नियमों को तोड़ने वालों पर भारी जुर्माना लगाने का प्रावधान किया गया। कानून में संशोधन का मकसद लोगों में ट्रैफिक नियमों को तोड़ने को लेकर भय भरना बताया गया था। इससे पहले तक जुर्माने की राशि आज की तुलना में बहुत कम होती थी। संशोधित कानून के मुताबिक कुछ नियमों को तोड़ने पर जुर्माना कई गुना तक बढ़ा दिया गया। लेकिन हादसों और मृतकों की संख्या देखने पर नहीं लगता है कि इससे ज्यादा लाभ हुआ। अब भी लोग कानून को लेकर गंभीर नहीं हुए हैं, यह साफ है। राष्ट्रीय अपराध ब्यूरो के आंकड़ों 2019 के आंकड़ों को गौर करना अहम है। इसके मुताबिक उस साल 4,37,396 सड़क दुघर्टनाएं हुईं। इन हादसों में 1,54,732 लोगों की मौत हुई। 4,39,262 अन्य लोग घायल हुए। आंकड़ों के मुताबिक 59.6 फीसदी हादसे ओवर स्पीडिंग के कारण हुए।


लेकिन उसके बाद स्थिति सुधरी है, ऐसा अनुभव नहीं है। 2020 के आंकड़े आएंगे, तब इस बारे में एक ठोस सूरत उभरेगी। बहरहाल, अभी अनुभव यह है कि सख्त जुर्माने का असर भ्रष्टाचार में इजाफे के रूप में सामने आया है। ट्रैफिक पुलिस से "डील" करके के निकलने की दर बढ़ गई है। बहरहाल, लोगों को सड़क सुरक्षा के बारे में जागरूक करने और सड़क दुर्घटनाओं में कमी लाने के उद्देश्य से इस साल सड़क सुरक्षा सप्ताह की जगह सड़क सुरक्षा माह का आयोजन किया जा रहा है। केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने हाल में कहा- "आप ये जानकर हैरान होंगे कि सड़क दुर्घटनाओं में मरने वाले लोगों से हमारे देश को जीडीपी के 3.14 फीसदी के बराबर आर्थिक नुकसान होता है।" बात जायज है। लेकिन हल क्या है? जागरूकता बढ़ाने की कोशिश सही कदम है। लेकिन साथ ही सख्त जुर्माने के नजरिए पर पुनर्विचार की जरूरत है। इसलिए कि इससे कोई समाधान नहीं निकला है, बल्कि ऐसे लोग भी भ्रष्टाचार में शामिल होने लगे हैं, जो पहले चालान कटवाना पसंद करते थे। सड़क हादसे की समस्या गंभीर है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक देश में हर साल सड़क दुर्घना में करीब 1.5 लाख लोगों की मौत होती है। गडकरी के मुताबिक सड़क दुर्घटना में जान गंवाने वाले 70 फीसदी लोग 18-45 वर्ष के आयु वर्ग में आते हैं। यानी देश में प्रतिदिन इस आयु वर्ग के 415 लोगों की मौत होती है। यह हृदयविदारक तस्वीर है।


Next Story