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पंकज कुमार। तालिबान सरकार (Taliban Government) के सामने गंभीर चुनौतियां हैं जिनसे निपटना तालिबान के लिए मुश्किल ही नहीं बल्कि नामुमकिन है. अफगानिस्तान (Afghanistan) में राशन की भारी कमी है, लेकिन अस्त्र शस्त्र और हथगोले वहां भारी मात्रा में मौजूद हैं. ऐसे में तालिबान के लिए स्थाई सरकार देना तो दूर एक देश की शक्ल में एकजुट रहना नामुमकिन मालूम पड़ता है. वहां मौजूद अंतविर्रोध बगावत की शक्ल लेकर तबाही मचा सकता है. तालिबान में कंधार ग्रुप और पूर्वी अफगानिस्तान ग्रुप प्रमुख, दो ग्रुप हैं. जिनके बीच वर्चस्व की लड़ाई कभी भी हो सकती है. कांधार ग्रुप तालिबान का कोर ग्रुप है और इसके ज्यादातर सदस्य मदरसे से तालीम लेकर बाहर निकले हैं.
तालिबान का दूसरा ग्रुप हक्कानी नेटवर्क और हेकमतयार लड़ाकों से पटा पड़ा है जो आतंकवादी गतिविधियों के लिए जाने जाते रहे हैं. हक्कानी और हेकमतयार ग्रुप प्रमुख तौर पर खतरनाक उग्रवादी समूह हैं जो तालिबान में चरमपंथी गतिविधियों की वजह से ज्यादा प्रभाव रखते हैं. इन दोनों के बीच की लड़ाई पहले भी सामने आ चुकी है और सरकार में शामिल दोनों ग्रुप एक दूसरे से वर्चस्व की लड़ाई नहीं लड़ेंगे इसकी संभावना नहीं के बराबर दिखाई पड़ती है.