सम्पादकीय

कैसे बना पानी?

Gulabi
6 Dec 2021 12:55 PM GMT
कैसे बना पानी?
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संसार में कुछ ऐसे आधारभूत खोज हैं, जिनके पीछे सदियों से वैज्ञानिक लगे हुए हैं
संसार में कुछ ऐसे आधारभूत खोज हैं, जिनके पीछे सदियों से वैज्ञानिक लगे हुए हैं। इन्हीं खोजों में से एक है पानी की खोज, मतलब यह पता लगाना कि धरती पर पानी कहां से आया और अगर कहीं से आया नहीं, तो यहीं धरती पर कैसे बना? नेचर एस्ट्रोनॉमी में प्रकाशित एक नए शोध के अनुसार, पृथ्वी पर सौर हवा के प्रभाव से ही पानी बना है। इटोकावा नामक छोटे ग्रह या तारे से पृथ्वी पर लाए गए नमूनों में पाए गए पानी के अणुओं से यह खोज संभव हुई है। शोध का नेतृत्व करने वाले ग्लासगो विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक ल्यूक डेली के अनुसार, यह हर कप पानी में आधा कप धूप का मामला है। इस पर आगे शोध हो, तो पृथ्वी पर जल की उत्पत्ति का रहस्य खुल सकता है। हर पानी में ड्यूटेरियम की एक मात्रा होती है, यह हाइड्रोजन का एक भारी रूप है। यह कोई आम हाइड्रोजन नहीं है। धरती पर जो पानी है, उसमें ड्यूटेरियम टु हाइड्रोजन का एक विशेष अनुपात है। हालांकि, खगोलविद जब खोज करते हैं, तो सौर तंत्र में ड्यूटेरियम टु हाइड्रोजन का अनुपात अलग मिलता है। हालांकि, कुछ अपवाद भी हैं, विशेष रूप से सी-टाइप के छोटे ग्रह पर जो जल तत्व मिलते हैं, वह पृथ्वी के जल तत्व के समान हैं।
गौर करने की बात है कि पानी संबंधी इस खोज में जापान का बड़ा योगदान है। 2010 में जापानी एयरोस्पेस एजेंसी के हायाबुसा मिशन ने छोटे ग्रह इटोकावा से नमूने जुटाए थे, यह पत्थर के प्रकार का छोटा ग्रह है। अभी इस ग्रह में पानी बहुत कम है, क्योंकि यह सूर्य के बहुत करीब है। वैज्ञानिकों ने इटोकावा से लिए गए सैंपल में माइक्रोन आकार के धूल के परमाणुओं और अणुओं का विश्लेषण करने के लिए टोमोग्राफी नामक तकनीक का उपयोग किया है। वैज्ञानिकों के अनुसार, पानी अंतरिक्ष अपक्षय द्वारा निर्मित होता है। हाइड्रोजन आयन - प्रोटॉन - सौर हवा में स्थित धूल के कणों में प्रवेश करते हैं, जहां वे खनिजों का ऑक्सीकरण करते हैं, पहले हाइड्रॉक्सिल (एचओ) और फिर पानी (एच2ओ) बनाते हैं। डेली की टीम ने सी-प्रकार के छोटे ग्रहों के प्रभावों द्वारा समर्थित, प्रारंभिक सौर मंडल में युवा पृथ्वी पर बरसते पानी से भरे धूल के बादलों की परिकल्पना की है।
हालांकि, इस दिशा में और शोध की जरूरत है। पारंपरिक रूप से भारत में सूर्य को प्रात: जल अर्पित कर आभार जताया जाता है। सूर्य से ही जल व अग्नि को संभव माना गया है और विज्ञान निरंतर इसे प्रमाणित करने में लगा है। हालांकि, विज्ञान को अभी लंबा सफर तय करना है। रिजोना स्टेट यूनिवर्सिटी के स्टीवन डेस्च, जो अध्ययन में शामिल नहीं थे, इस परिणाम को दिलचस्प बताते हैं, लेकिन वह पूरी तरह से आश्वस्त नहीं हैं। वैज्ञानिकों को अभी और काम करना होगा, तभी वे दुनिया को सही मायने में जल के जन्म के बारे में आश्वस्त कर पाएंगे। एक विचार यह भी है कि सूर्य तो जल को शोषित करता है, वह जल की वजह कैसे बन सकता है। कुछ वैज्ञानिक मानते हैं कि हां, सूर्य के प्रभाव से पानी तैयार होता है, लेकिन इतना नहीं, जितना पृथ्वी पर है। पृथ्वी का 71 प्रतिशत हिस्सा पानी है। फिर भी शोध से इतना तो प्रमाणित हो गया है कि सौर कणों से जल की प्राप्ति संभव है। डेली को उम्मीद है, यह खोज भविष्य के अंतरिक्ष यात्रियों के लिए काम की हो सकती है, शायद वे चंद्रमा पर भी जल बना पाएंगे।
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