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- आखिर कहां तक जाएगा...
सूर्यकांत द्विवेदी। नौ महीने से दिल्ली में चल रहे किसान आंदोलन का दायरा देशव्यापी होता जा रहा है। तीन कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलित संयुक्त किसान मोर्चा ने भारत बंद करके अपने आक्रोश की आग को और हवा दे दी है। कभी डंकल कानून के खिलाफ भी देश भर का किसान एकजुट हुआ था, लेकिन तब भारत बंद का बहुत अधिक असर नहीं हुआ था। सोमवार के भारत बंद से पहले 26 मार्च को भी किसान संयुक्त मोर्चा ने बंद का आह्वान किया था, लेकिन इसका असर दिल्ली, पंजाब, हरियाणा तक सीमित था। 18 फरवरी को रेल रोको आंदोलन हुआ था, जो लगभग सफल रहा था, लेकिन सोमवार के भारत बंद से ऐसा लगता है कि कृषि कानूनों के खिलाफ बंद ने दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, बिहार से कर्नाटक और केरल तक पैठ जमा ली है। किसान आंदोलनों के इतिहास में यह सबसे बड़ा आंदोलन साबित हो रहा है। वर्तमान आंदोलन के दौरान अब तक पांच बार चक्का जाम, तीन दर्जन से अधिक महापंचायतें हो चुकी हैं। सड़कों पर किसान हैं और आम लोग परेशान हैं। रोजाना मोटा आर्थिक नुकसान हो रहा है। सबसे ज्यादा असर मंडियों की अर्थव्यवस्था पर पड़ा है।