सम्पादकीय

रेमडेसिवीर इंजेक्शन का पैरासिटामॉल की तरह लोगों के लिए उपलब्ध कराना कहां तक संभव है

Gulabi
13 April 2021 3:16 PM GMT
रेमडेसिवीर इंजेक्शन का पैरासिटामॉल की तरह लोगों के लिए उपलब्ध कराना कहां तक संभव है
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रेमडेसिवीर (Remdesivir) को लेकर भारी मांग के बीच गुजरात हाईकोर्ट (Gujarat High Court) ने सरकार से कहा है कि

सुष्मित सिन्हा। पंकज कुमार। रेमडेसिवीर (Remdesivir) को लेकर भारी मांग के बीच गुजरात हाईकोर्ट (Gujarat High Court) ने सरकार से कहा है कि रेमडेसिवीर को पैरासिटामॉल (Paracetamol) की तरह उपलब्ध कराया जाना चाहिए. कोर्ट की इस बात को लेकर बहस छिड़ गई है कि क्या रेमडेसिवीर को पैरासिटामॉल की तरह उपलब्ध कराया जाना उचित होगा. वहीं कोरोना के मद्देनजर इसे सबको दिया जाना कहां तक जायज है. रेमडेसिवीर कोविड के पेशेंट के लिए महत्तवपूर्ण दवा के रूप में इस्तेमाल किया जाने लगा है. कई डॉक्टर्स का मानना है कि लंग्स कंप्रोमाइज होने पर इस दवा के इस्तेमाल की जरूरत पड़ती है और रोगी को सीरियस कंडीशन से बचाया जा सकता है.


पटना में हजारों कोविड पेशेंट का इलाज कर रहे डॉ प्रभात रंजन के मुताबिक रेमडेसिवीर 100 में से 70 वैसे रोगियों पर काम करता है जिनका लंग्स कोरोना की बीमारी की वजह से प्रभावित हुआ है. डॉ प्रभात कहते हैं कि अमेरिका का सीडीएस हो या यूके का हेल्थ एजेंसी एनएचएस या फिर यूरोपियन मेडिकल एजेंसी, तमाम हेल्थ एजेंसी रेमडेसिवीर के इस्तेमाल की बात करते हैं. इसलिए गुजरात सरकार द्वारा ये कहा जाना कि डॉक्टर बेमतलब इसे लोगों को इस्तेमाल करने की सलाह दे रहे हैं वो सरकार की असफलता का सूचक है.

क्या कहते हैं विशेषज्ञ
दिल्ली अस्पताल में कार्यरत एक डॉक्टर के मुताबिक जो नाम नहीं छापने की शर्त पर कहते हैं कि इंजेक्शन की कमी और उसकी उपलब्धता नहीं कराने के एवज में गुजरात सरकार सारी दिक्कतों का ठीकरा डॉक्टर पर फोड़ रही है जबकि हकीकत में लोग डेढ़ किलोमीटर कर लाइन में खड़े होकर दवा के लिए मारे मारे फिर रहे हैं. वैसे डॉ प्रभात रंजन समेत कई डॉक्टर्स इस बात को लेकर असहमत दिखे कि रेमडेसिवीर की उपलब्धता बिना डॉक्टर की सलाह के और Prescription के नहीं दिया जाना चाहिए क्योंकि ये गलत तरीके से इस्तेमाल होना शुरू हो जाएगा जिसका परिणाम और भी गलत सामने आएगा.

नोएडा के नामचीन डॉ विनय भट्ट रेमडेसिवीर को कोविड के परिप्रेक्ष्य में बेहद उपयोगी दवा मानते हैं और कहते हैं कि कोविड के लिए उपयोगी दवा है लेकिन इसका इस्तेमाल विवेकपूर्ण तरीके से होना चाहिए . ज़ाहिर है हाई एंड एंटीवाइरल ड्रग के इस्तेमाल के लिए डॉक्टर की सलाह जरूरी है और इसके लिए उनकी सलाह के बगैर किसी को भी दवा उपलब्ध कराना एक्सपर्ट की निगाह में कतई उचित नहीं कहा जा सकता है.

ब्लैक मार्केटिंग सरकार की नाकामी है
रेमडेसिवीर के स्टॉक को बढ़ाए जाने की जरूरत से इन्कार नहीं किया जा सकता है. सरकार अपनी नाकामी छिपा रही है और ब्लैक मार्केटिंग और ओवरप्राइसिंग को रोक नहीं पा रही है. यही वजह है कि मार्केट में रेमडेसिवीर मुश्किल से उपलब्ध हो रहा है और 1200 रूपये की दवा 40 हजार में मिल रही है. दरअसल रेमडेसिवीर बनाने का पेटेंट अमेरिका की गिलियाड कंपनी को मिला हुआ है और ये देश के सात कंपनियों के साथ करार कर हर महीने 38.30 लाख रेमडेसिवीर इंजेक्शन तैयार करती है.

दिसबंर महीने में केसेज कम होने की वजह से प्रोडक्शन में कमी आई. वहीं सूत्रों के मुताबिक 11 लाख इंजेक्शन एक्सपोर्ट कर दिया गया. ज़ाहिर है मार्च महीने में दोबारा सर्ज आने पर मांग बढ़ गई और मार्केट में इसकी कमी दिखने लगी है. वैसे सरकार सप्लाइ चेन सिस्टम को दुरुस्त करे और कंपनी के स्टॉक पर पैनी नजर रखे तो एक्टिव केसेज की संख्या को देखते हुए रेमडेसिवीर की कमी से निपटा जा सकता है.

क्या कहते हैं डॉ शाह
बिहार के मशहूर चिकित्सक डॉ अरूण शाह कहते हैं कि स्टडी में पाया गया है कि रेमडेसिवीर कोरोना बीमारी की अवधि कम करता है लेकिन मौत की दर को नहीं घटा सकता है. ये जरूरी ड्रग है और लंग्स कंप्रोमाइज होने की अवस्था में इस्तेमाल होता है. इसलिए अंधाधुंध इस्तेमाल से बचने के लिए डॉक्टर की सलाह के बाद ही दी जानी चाहिए. डॉ शाह के मुताबिक कोविड ट्रीटमेंट के चार स्टेजेज होते हैं जिनमें पहला ऑक्सीजन थिरैपी,दूसरा स्टेरॉयड, तीसरा ऐंटीकॉगुलेंट और चौथा रेमडेसिवीर का इस्तेमाल है. इसलिए कई रोगी को जब वेंटिलेटर की जरूरत पड़ जाती है तो उन्हें रेमडेसिवीर नहीं दिया जाता है.

ज़ाहिर है रेमडेसिवीर के इस्तेमाल को लेकर भारतीय डॉक्टर्स की राय विश्व स्वास्थ्य संगठन से अलग भले ही हो लेकिन कोविड के ट्रीटमेंट में इसकी जरूरत पड़ती है इसपर डॉक्टर्स की राय एक है. वैसे डॉक्टर्स गुजरात सरकार की राय से इत्तेफाक नहीं रखते कि डॉक्टर्स गैरजिम्मेदार तरीके से रेमडेसिवीर इस्तेमाल करने की सलाह दे सकते हैं लेकिन इसका इस्तेमाल विवेकपूर्ण तरीके से डॉक्टर्स की सलाह पर ही हो ये पुख्ता जरूर किया जाना चाहिए.

सरकार के लिए पैरासिटामॉल की तरह उपलब्ध कराना कैसे है मुश्किल
दरअसल रेमडेसिवीर का पेटेंट अमेरिकन कंपनी गिलियाड (Gilead) को मिला है. गिलियाड का करार यहां की कंपनी के साथ है लेकिन प्रोडक्शन के लिए जिन Ingredients की जरूरत पड़ती है वो गिलियाड ही मुहैया करा सकता है. साथ ही पेटेंट की अपनी बाध्यता होती है और सरकार कंपलसरी लाइसेंसिंग के जरिए ही इस बाध्यता को तोड़कर अन्य कंपनियों को इंजेक्शन बनाने का काम सौंप सकती है. जाहिर है ये प्रॉसेस काफी जटिल होता है और इसके लिए वर्ल्ड ट्रेड ऑरगेनाइजेशन ट्रीटी की बाध्यता समेत कई चीजें बाधक होती हैं. इसलिए रेमडेसिवीर की उपलब्धता पैरासिटामॉल की तरह कराना सरकार के लिए आसान नहीं है. वहीं मेडिकल साइंस भी इसके विवेकपूर्ण इस्तेमाल की सलाह देता है . इसलिए डॉक्टर्स की सलाह के बैगर ऐसी दवा का इस्तेमाल खतरनाक भी हो सकता है.


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