सम्पादकीय

सरकारी कर्मचारियों के घरों से कैसे मिलती है करोड़ों की संपत्ति?

Shiddhant Shriwas
12 Oct 2021 3:51 AM GMT
सरकारी कर्मचारियों के घरों से कैसे मिलती है करोड़ों की संपत्ति?
x
देशभर में ट्रक ड्राइवर सालाना 48,000 करोड़ की रिश्वत देते हैं. 82 फीसदी ट्रक ड्राइवर सड़क पर चलने के लिए रिश्वत देते हैं.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। मध्य प्रदेश के देवास में डिप्टी कलेक्टर के घर चोर घुसे थे. डिप्टी कलेक्टर घर बंद कर बाहर गए थे. चोरों को पूरा घर खंगालने के बाद भी कुछ नहीं मिला. जब चोर मायूस हो गए तो उन्होंने डिप्टी कलेक्टर साहब के लिए एक नोट लिखा. नोट में चोरों ने लिखा कि जब पैसे नहीं थे तो लॉक ही नहीं करना था कलेक्टर. हालांकि चोर खाली हाथ नहीं गए. वो जाते-जाते डिप्टी कलेक्टर के घर से एक अंगूठी, चांदी की पायल, 30 हजार नगद और कुछे सिक्के ले गए, लेकिन उन्हें जितना पैसा मिलने की उम्मीद थी उतना नहीं मिला.

SDM साहेब के घर बेशक चोरों को रुपया-पैसा नहीं मिला, लेकिन मध्य प्रदेश के कुछ सरकारी महकमो का ये है कि जब उनके किसी कर्मचारी पर छापा पड़ा तो वो करोड़पति निकला. ये वाक्या एक बार का नहीं है, अनेक बार हुआ है. इसी साल 9 जुलाई 2021 को ग्वालियर में सरकारी इंजीनियर के घर छापेमारी हुई. इस छापेमारी में 4 करोड़ का बंगला, 5 KG चांदी, 3.5 लाख रुपए मिले.
मई 2021 को भोपाल में मध्य प्रदेश के एक क्लर्क के घर छापेमारी हुई. इस छापेमारी में 1 नोट गिनने की मशीन, 3 करोड़ रुपए समेत कई संपत्तियों का खुलासा हुआ. मार्च 2021 को बैतूल में सरकारी शिक्षक के घर छापा पड़ा. ये सरकारी शिक्षक 5 करोड़ के ज्यादा की संपत्ति का मालिक निकला. फरवरी 2021 में सितपुरा सहायक समिति प्रबंधक पर छापेमारी हुई. इस छापेमारी में 2 करोड़ से ज्यादा की संपत्ति, 3 लाख नगद मिले. ये चंद मामले हैं जो मध्य प्रदेश में कुछ सरकारी कर्मचारियों की काली कमाई की पोल खोलते हैं.
देशभर में ट्रक ड्राइवर सालाना देते हैं 48,000 करोड़ की रिश्वत
वैसे ये हाल देशभर का है आपको जानकार आश्चर्य कि देशभर में ट्रक ड्राइवर सालाना 48,000 करोड़ की रिश्वत देते हैं. 82 फीसदी ट्रक ड्राइवर सड़क पर चलने के लिए रिश्वत देते हैं. ट्रक ड्राइवरों को हर ट्रिप के दौरान औसतन 1,257 रुपए की रिश्वत देनी पड़ती है. एक स्टडी के मुताबिक, ट्रक डाइवरों से सबसे ज्यादा वसूली में गुवाहाटी है. वह 97.5 फीसदी के साथ पहले नंबर पर रहा. चेन्नई से गुजरने वाले 89 फीसदी ट्रक ड्राइवरों को रिश्वत देनी पड़ी.
राजधानी दिल्ली में भी 84.4 फीसदी ट्रक ड्राइवरों को रिश्वत देकर काम चलाना पड़ा. ये सिर्फ एक स्टडी है. यहां हमने आपको सिर्फ ट्रक ड्राइवरों से हुई वसूली की जानकारी दी. अगर दूसरे क्षेत्रों को मिलाकर बात करें तो ये रकम लाखों-करोड़ की होगी. CMS-ICS के एक सर्वे में खुलासा हुआ कि आम आदमी की तरफ से सरकारी कामकाज के लिए 2017 में 10 विभागों को 6,350 करोड़ की रिश्वत दी गई, जिन सरकारी विभागों ने रिश्वत वसूली उनमें PDS, स्वास्थ्य, स्कूल, बिजली, पानी सप्लाई, हाउसिंग, पुलिस, बैंकिंग, न्याय विभाग, टैक्स महकमा शामिल है. ये महज 10 विभागों की बात है, जिनसे आम आदमी का वास्ता हमेशा पड़ता है. हालांकि इसमें राहत की बात ये है कि 2017 में लोगों ने 2005 के मुकाबले कम रिश्वत दी थी. 2005 में 20 हजार 500 करोड़ की रिश्वत वसूल की गई थी.
साल 2018 में रिश्वत देने वालों की संख्या 11 फीसदी बढ़ी
आपको एक और सर्वे की जानकारी देते हैं ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल इंडिया और लोकल सर्कल्स ने 2018 में अपने एक सर्वे ने बताया कि 2017 में 45 फीसदी लोगों ने रिश्वत दी. 2018 में 56 फीसदी लोगों ने रिश्वत दी. 2018 में रिश्वत देने वालों की संख्या 11 फीसदी बढ़ी. जिन लोगों ने रिश्वत दी उनका कहना था कि पैसे देने से इनका काम जल्द हुआ और समय की बचत हुई
Next Story