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अब राज़ खुला है कि गरीब देशों को पहुंचाई जाने वाली वैक्सीन की वैधता जल्द ही समाप्त हो जानी थी
अब राज़ खुला है कि गरीब देशों को पहुंचाई जाने वाली वैक्सीन की वैधता जल्द ही समाप्त हो जानी थी। यानी जब वैक्सीन डोज एक्सपाइरी डेट के करीब पहुंच गए, तो धनी देशों ने उन्हें गरीब देशों को देने का फैसला किया। उसी तरह जैसे धनी लोग खराब भोजन को गरीब लोगों में बांटने लगते हैँ।
इस खबर पर गौर करें। दुनिया के कई देश अपनी आबादी को कोविड वैक्सीन का तीसरा और चौथा टीका उपलब्ध करा रहे हैं। लेकिन उसी समय कुछ देश ऐसे भी हैं, जिन्होंने उपलब्ध करवाए गए कोविड वैक्सीन्स को ठुकरा दिया है। आखिर उन्होंने ऐसा क्यों किया? खबर यह है कि दुनिया के कुछ गरीब देशों ने पिछले महीने कोरोना वैक्सीन की दस करोड़ से ज्यादा खुराक लेने से इनकार कर दिया। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने दुनियाभर को टीके उपलब्ध कराने के लिए 'कोवैक्स' कार्यक्रम चलाया हुआ है। इसी के तहत इन गरीब देशों को कोविड वैक्सीन मुहैया कराई जानी थी। अब ध्यान दीजिए। उन देशों ने किसी जिद या वैक्सीन विरोधी अपने रुख के कारण यह ये कदम नहीं उठाया। बल्कि अब खुद यूनिसेफ के एक अधिकारी राज़ खोला है कि इन देशों को पहुंचाई जाने वाली इन वैक्सीन की वैधता जल्द ही समाप्त हो जानी थी। यानी जब वैक्सीन डोज एक्सपाइरी डेट के करीब पहुंच गए, तो धनी देशों ने उन्हें गरीब देशों को भेजने का फैसला कर लिया। उसी तरह जैसे धनी लोग खराब हो रहे भोजन को गरीब लोगों में बांटने लगते हैँ। तो गरीब देशों के पास क्या चारा था।
उन्होंने उचित ही इन्हें लेने से इनकार कर दिया। आखिर उन गरीब देशों में टीकों के रख-रखाव की भी पर्याप्त व्यवस्था नहीं है।र फ्रिज भी कम हैं। इतनी छोटी अवधि में वे अपनी आबादी को वैक्सीन लगवा पाने में वे अक्षम हैं। तो वे यह कदम उठाने को मजबूर हुए। आखिर वे धनी देशों की ऐसी दरियादिली को क्यों स्वीकार करते! आंकड़े बताते हैं कि दुनियाभर में टीकों की आपूर्ति तो लगातार बढ़ रही है, लेकिन पूरी दुनिया को वैक्सीन लगाने की राह में अभी कई रोड़े हैं। एक तरफ ऐसे देश हैं, जो वैक्सीन के लिए तरह रहे हैं, तो दूसरी तरफ अमेरिका जैसे देश हैं, जहां बड़ी संख्या में लोग ये टीके लगवाना ही नहीं चाहते। वे वैक्सीन विरोधी हैँ। अमेरिका में सुप्रीम कोर्ट ने बीते हफ्ते राष्ट्रपति जो बाइडेन के उस फैसले को रोक दिया, जिसमें बाइडन ने बड़ी कंपनियों में कर्मचारियों के लिए टीका लगवाना अनिवार्य कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट को वैक्सीन विरोधियों की ये बात जंची कि जबरन टीका लगाना उनकी आजादी का हनन है। सवाल है कि इस सूरत में कोरोना महामारी कैसे खत्म होगी? क्या इसके बीच दुनिया हर कुछ महीनों पर नए वैरिएंट का कहर झेलने से बच पाएगी?
नया इण्डिया
Tagsवैक्सीन
Gulabi
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