सम्पादकीय

केरल में लव जिहाद से शुरू मामला नारकोटिक्स जिहाद तक कैसे पहुंचा?

Rani Sahu
18 Sep 2021 10:33 AM GMT
केरल में लव जिहाद से शुरू मामला नारकोटिक्स जिहाद तक कैसे पहुंचा?
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केरल (Kerala) के पलाई इलाक़े के सीरियन मालाबार कैथोलिक चर्च के पादरी जोसेफ कल्लारंगट (Joseph Kallarangatt) ने कुछ मुस्लिम आतंकी समूहों पर नारकोटिक्स जिहाद (Narcotics Jihad) का आरोप लगाया है

शंभूनाथ शुक्ल। केरल (Kerala) के पलाई इलाक़े के सीरियन मालाबार कैथोलिक चर्च के पादरी जोसेफ कल्लारंगट (Joseph Kallarangatt) ने कुछ मुस्लिम आतंकी समूहों पर नारकोटिक्स जिहाद (Narcotics Jihad) का आरोप लगाया है. इससे केरल की राजनीति गर्मा गई है. पादरी ने कहा है कि सार्वजनिक स्थानों, जैसे स्कूल, कॉलेज, टी स्टाल और आइसक्रीम पार्लर पर ऐसे आतंकी समूहों के उग्रवादी सक्रिय हैं. ये लोग हमारे युवाओं को निशाना बनाते हैं.

हालांकि उन्होंने किसी विशेष मुस्लिम समुदाय पर निशाना नहीं साधा है लेकिन यह साफ़ कहा है कि राज्य में इस तरह की आतंकी गतिविधियां ख़तरनाक हैं. ग़ैर मुस्लिम युवाओं को ये मुस्लिम समूह नशे का आदी बना कर उन्हें आतंकी गतिविधियों में संलिप्त कर लेते हैं. उन्होंने यह भी कहा कि ईसाई समुदाय की लड़कियों को भी ऐसे लोग लव-जिहाद का निशाना बना रहे हैं.
इस्लामोफोबिया का असर
राज्य सरकार और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी इसे इस्लामोफोबिया (Islamophobia) बता रहे हैं तथा उनका आरोप है कि इसके पीछे संघ परिवार का हाथ है. किंतु अंदरखाने चिंतित वे भी हैं और राज्य सरकार ने ऐसे सार्वजनिक स्थलों पर निगाह रखनी शुरू कर दी है. ख़ासकर स्कूल व कालेजों में जहां लड़के-लड़कियां मिलते रहते हैं. राज्य सरकार की चिंता का सबब अफ़ग़ानिस्तान के तालिबानी भी हैं. वह कहीं न कहीं यह स्वीकार रही है कि तालिबानी असर यहां भी पड़ सकता है.
पादरी जोसेफ कल्लारंगट के इस आरोप से पूरे प्रदेश में हड़कंप मच गया है. माकपा और मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस तथा बीजेपी इस विवाद पर कूद पड़े हैं. साथ ही कई धार्मिक संगठन भी. पादरी का बयान आने के हफ़्ते भर के भीतर 15 सितंबर को केरल के कोट्टायम में एक पादरी और इमाम ने साझा प्रेस कांफ्रेंस कर पारस्परिक सद्भाव पर ज़ोर दिया तथा कहा कि ऐसे बयानों से समाज में दरार पैदा होती है. ऐसे बयान ग़ैर मुस्लिमों के अंदर मुस्लिमों के प्रति घृणा को पुख़्ता करते हैं.
ध्रुवीकरण का ख़तरा
लेकिन पादरी जोसेफ कल्लारंगट के इस बयान से पहले से ही संवेदनशील केरल में ध्रुवीकरण का ख़तरा बढ़ा है. केरल देश का अकेला ऐसा राज्य हैं, जहां हिंदू, मुस्लिम और ईसाई की आबादी क़रीब-क़रीब बराबर है. यहां पर बहुत पहले से वोटरों का रुझान साफ़ रहा है. आम तौर पर ईसाई आबादी कांग्रेस को वोट करती रही है, मुस्लिम मतदाताओं में से कुछ केरल की मुस्लिम लीग को और एक हिस्सा कांग्रेस को जाता है. इसके अलावा दलितों का एक बड़ा वर्ग भी. सवर्ण हिंदू वामपंथी दलों को वोट करता है. इसके अलावा मुस्लिमों का एक वर्ग भी. हिंदुओं द्वारा कम्युनिस्ट पार्टी को वरीयता देने की एक वज़ह थी, यहां की कम्युनिस्ट पार्टी पर ब्राह्मणों तथा नायरों की बढ़त.
ईएमएस नम्बूद्रीपाद से लेकर नयनार तक इन जातियों के बूते हिंदू वोटरों के दिलों पर राज करते रहे. चूंकि तीनों समुदायों के राजनीतिक हित अलग-अलग रहे किंतु सामाजिक तौर पर पारस्परिकता रही है, इसलिए कभी कोई दुराव नहीं आया. लेकिन पिनरायी विजयन जब मुख्यमंत्री बने तो अनजाने में इन्होंने कभी सॉफ़्ट हिंदुत्त्व अपनाया तो कभी प्रो-इस्लामिक हो गए, यही खेल इनको महंगा पड़ गया. चार साल पहले आरएसएस के सफ़ाये की नीयत से माकपा के मंचों से कृष्ण जन्माष्टमी मनाई गई तो अब मुख्यमंत्री इस्लामिक त्योहारों को लेकर उदार हो गए हैं. नतीजा सामने है. वोटर हिंदू, मुस्लिम और ईसाई बन गया है.
सोशल मीडिया पर तूफ़ान
केरल में मुख्य विरोधी दल कांग्रेस के नेता वीडी सतीशन ने मुख्यमंत्री से आग्रह किया है, कि पादरी जोसेफ कल्लारंगट के बयान से सोशल मीडिया में तूफ़ान मचा है, इसलिए वे तत्काल सभी धर्मों के नेताओं की बैठक कर स्थिति पर क़ाबू करें. उन्होंने इस बात पर दुःख जताया कि मुख्यमंत्री इतने गम्भीर मामले पर चुप हैं. पादरी के बयान से कांग्रेस के परंपरागत वोटरों में असंतोष है. सीरियन कैथोलिक ईसाई समुदाय में भय भी है. मालूम हो कि लव-जेहाद का मामला भी केरल में ही सबसे पहले उठा था.
वहां सीरियन कैथोलिक ईसाई समुदाय ने आरोप लगाया था, कि मुस्लिम उनकी लड़कियों को प्रेम जाल में फंसा कर निकाह कर लेते हैं और उनका धर्म बदलवा देते हैं. बाद में आरएसएस ने इस मुद्दे को पश्चिमी उत्तर प्रदेश में उठाया, जहां हिंदू-मुस्लिम आबादी में तनातनी रहती आई है. कांग्रेस के लिए समस्या यह भी है कि ईसाई और मुस्लिम दोनों उसके वोटर हैं. यूं भी कांग्रेस नीत यूडीएफ (UDF) में यही दोनों समुदाय प्रमुख तौर पर हैं, इसलिए कांग्रेस बेचैन है.
ईसाई अब कांग्रेस से छिटक रहा
लेकिन इधर कुछ वर्षों से केरल के ईसाई समुदाय का कांग्रेस से मोहभंग हुआ है. यही कारण रहा कि केरल में फिर से वाम दलों का मोर्च एलडीएफ (LDF) सत्ता में आ गया. जबकि आम तौर पर वहां एक बार यूडीएफ और दूसरी बार एलडीएफ सत्ता में आती है, लेकिन इस बार यह क्रम टूट गया. कांग्रेस का मानना है कि ऐसा मध्य केरल में ईसाई समुदाय की नाराज़गी रही. नेता विरोधी दल सतीशन और केरल में कांग्रेस के अध्यक्ष के सुधाकरण दोनों ईसाई समुदाय से हैं. इसके अतिरिक्त पूर्व मुख्यमंत्री ओमान चांडी तथा पूर्व केंद्रीय मंत्री एके एंटोनी भी. लेकिन यह सच है कि केरल में कांग्रेस का ईसाई वोट बैंक खिसक रहा है.
ईसाई बनाम मुस्लिम
केरल में ईसाई और मुसलमानों के बीच विवाद पुराना है. अधिकतर गरीब और निचली श्रेणी के हिंदू वहां ईसाई में कन्वर्ट हुए हैं, इसलिए सवर्ण हिंदुओं के प्रति तो वे अधिक टिप्पणी नहीं करते परंतु मुसलमानों पर सीधा हमला करते हैं. मुस्लिम समाज वहां अधिक पैसे वाला है. अधिकतर मुस्लिम खाड़ी देशों में नौकरी कर पैसा लाते हैं इसलिए बड़े-बड़े व्यापारी, बिल्डर सब वही लोग हैं. ईसाई समुदाय अपेक्षाकृत गरीब है और धर्मांतरण को लेकर दोनों में होड़ मचती है. यही कारण है दोनों के बीच सदैव द्वन्द रहता है. कम्युनिस्ट दलों में ब्राह्मणों की संख्या अधिक रहने के कारण केरल में ब्राह्मण अन्य दक्षिणी राज्यों की तुलना में बेहतर स्थिति में रहा और है भी. उसके दबाव के चलते हिंदू वोटरों के बीच आरएसएस (RSS) वहां फैल नहीं पा रहा. इसलिए पादरी जोसेफ कल्लारंगट के बयान में आरएसएस के सूत्र तलाशने की बात से सिवाय माकपा के कोई सहमत नहीं.
कोरोना को ढकने का मंत्र
अधिकांश लोगों का मानना है, कि पादरी जोसेफ कल्लारंगट का बयान मुख्यमंत्री पिनरायी विजयन के लिए लाभदायक साबित हुआ. केरल वह राज्य है, जहां सबसे पहले 29 जनवरी 2020 को कोरोना का मरीज़ मिला था और आज भी वह राज्य कोरोना से मुक्त नहीं हो पा रहा. आज भी वहां रोज़ाना 20 हज़ार से ज़्यादा कोरोना संक्रमित मिल रहे हैं. ऊपर से नेपाह के मामले भी मिले. पिछले कोरोना काल में स्वास्थ्य मंत्री शैलजा टीचर ने बहुत अच्छा बंदोबस्त किया था. किंतु मुख्यमंत्री ने उन्हें हटा दिया. इसके बाद कोरोना बेक़ाबू हो गया. ऐसे में पादरी द्वारा नारकोटिक्स जिहाद का मुद्दा गर्म कर देने से सभी का ध्यान उधर चला गया और कोरोना बंदोबस्त की नाकामी छिप गई.


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