सम्पादकीय

चीन के एक बड़े बिल्डर का संकट कैसे दुनिया भर को परेशान कर सकता है?

Rani Sahu
26 Sep 2021 2:12 PM GMT
चीन के एक बड़े बिल्डर का संकट कैसे दुनिया भर को परेशान कर सकता है?
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आर्थिक रूप से मजबूत टॉप के देशों में चीन का भी नाम आता है

संयम श्रीवास्तव आर्थिक रूप से मजबूत टॉप के देशों में चीन का भी नाम आता है. या यूं कहें कि चीन वैश्विक आर्थिक वृद्धि में किसी एक देश के द्वारा किए जाने वाले योगदान में शिखर पर है तो गलत नहीं होगा. चीन के इसी दबदबे के चलते पूरी दुनिया में जब कभी व्यापारिक या आर्थिक बदलाव आते हैं तो इसके पीछे कहीं ना कहीं चीन का ही हाथ होता है. इस साल वैश्विक वृद्धि में चीन का एक तिहाई से अधिक के योगदान रहने का अनुमान है. इसका साफ अर्थ है कि चीन की अर्थव्यवस्था जिस करवट बैठेगी दुनिया पर भी वैसा ही असर पड़ेगा. यानि अगर चीन में मंदी आई तो पूरी दुनिया में मंदी आने की संभावना बढ़ जाएगी और चीन में यदि किसी वस्तु की मांग कम हुई तो पूरी दुनिया में उस वस्तु की कीमत घट सकती है.

यही वजह है कि चीन की एक आवासीय कंपनी एवरग्रैंड (Evergrande) पूरी दुनिया के लिए मुसीबत का सबब बनी हुई है. दरअसल चीन की सबसे बड़ी प्राइवेट रियल स्टेट कंपनी दिवालिया होने की कगार पर खड़ी है. एवरग्रैंड दुनिया की 500 सबसे बड़ी कंपनियों में से एक है. जिन्हें फॉर्चून 500 का खिताब दिया जाता है. लेकिन फिलहाल इसी कंपनी पर 300 बिलीयन डॉलर्स यानि भारतीय रुपयों में 22 लाख 50 हजार करोड़ रुपए का कर्ज है. इस कर्ज का आंकड़ा इतना बड़ा है कि भारत के कारोबारी जगत के कुल कर्ज के लगभग बराबर है. फिलहाल इस कंपनी के 16 लाख आवास निर्माणाधीन हैं यानि वह पूरी तरह से बन कर तैयार नहीं हुए हैं.
एवरग्रैंड के घटते बॉन्ड की कीमत बहुतों के लिए मुश्किल खड़ी करेगा
चीन की सबसे बड़ी रियल स्टेट कंपनी एवरग्रैंड के शेयरों की कीमत पहले ही एक वर्ष पहले की तुलना में 1 बटा 6 ही रह गई है. यानि उसके एक बॉन्ड की कीमत 1 डॉलर से घटकर 26 सेंट हो गई है. कंपनी फिलहाल अपने कर्मचारियों के वेतन भुगतान में भी विफल है. यहां तक कि वह अपने वेंडरों के बिल भी नहीं चुका पा रही है. कंपनी के साथ समस्या यह है कुछ स्थानीय सरकारों ने नए अपार्टमेंटों की बिक्री पर भी रोक लगा दी है. अगर यह कंपनी अपनी खस्ता हालत से उबरने में नाकाम होती है तो इसका असर चीन की कई आवासीय कंपनियों पर पड़ेगा. यहां तक कि इससे उभरते बाजारों के बॉन्ड का जोखिम प्रीमियम भी बढ़ेगा.
इस कंपनी की वजह से इसमें निवेश करने वाले लोगों की हालत ऐसी है कि वह आत्महत्या तक करने के कगार पर आ गए हैं. दरअसल चीन के Shenzhen शहर में एवरग्रैंड के दफ्तर के बाहर कुछ दिनों पहले ही एक महिला ने आत्महत्या करने की कोशिश की. जब इस महिला के आत्महत्या के पीछे की वजह तलाशी गई तो पता चला कि यह महिला भी उन 15 लाख लोगों में से एक है जिन्होंने इस कंपनी से घर खरीदा है और जिसका निर्माण फिलहाल चल रहा है. पूरे चीन में अब इस कंपनी के खिलाफ लोग जगह-जगह धरना प्रदर्शन कर रहे हैं. जानकारों का कहना है कि अगर यह कंपनी अपना कर्ज नहीं चुका पाई तो पूरी दुनिया 2008 में आई आर्थिक मंदी के बाद फिर से एक बार इसका शिकार हो सकती है.
एक बड़ी मंदी के लिए तैयार रहे दुनिया
जब दुनिया के किसी बड़े देश में किसी बड़ी कंपनी को इतना भारी नुकसान होता है तो इसका असर पूरी दुनिया के अर्थव्यवस्था पर पड़ता है. 2008 में इसी तरह अमेरिका का एक बहुत बड़ा वित्तीय संस्थान जिसका नाम Lehman Brothers था जब डूबी तो पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था में लगभग 6 फ़ीसदी की गिरावट दर्ज की गई थी और पूरी दुनिया में लगभग 6 करोड़ लोगों की नौकरियां चली गई थीं. भारत में भी इसकी वजह से लगभग 5 लाख लोग बेरोजगार हुए थे. उसी वक्त की देन थी कि भारत में आमदनी घट गई थी और खर्चा बढ़ गया था और यह अंतर आज तक बरकरार है. दरअसल आज के वक्त में दुनिया के हर देश की अर्थव्यवस्था प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से आपस में जुड़ी हुई है. इसलिए जब भी किसी देश में ऐसी विपदा आती है तो उसका नुकसान दूसरे देशों को भी उठाना पड़ता है.
चीन की एक कंपनी भारत के 25 लाख परिवारों को प्रभावित कर सकती है
चीन की एवरग्रैंड कंपनी एक रियल स्टेट कंपनी है, जिसका काम है बिल्डिंगों का निर्माण करना. भारत की ज्यादातर स्टील कंपनियां अपना 90 फ़ीसदी माल चीन को बेचती हैं. Iron Ore और मेटल का निर्माण करने वाली भारतीय कंपनियां भी अपना 90 फ़ीसदी माल चीन को ही बेचती हैं और इन सामानों का सबसे बड़ा खरीददार एवरग्रैंड कंपनी ही है जो बिल्डिंगों के निर्माण में इनका इस्तेमाल करती है. इसलिए जब यह कंपनी डूबेगी तो भारत के स्टील और आयरन उद्योग से जुड़े लगभग 25 लाख लोग सीधे तौर पर प्रभावित होंगे. इसके साथ ही भारत में निवेश करने वाली चीन की कई कंपनियां भी एवरग्रैंड के डूबने से प्रभावित होंगी. चीन की कंपनियों ने फिलहाल भारत में लगभग 60 हजार करोड़ रुपए का निवेश किया हुआ है और भारत के बड़े स्टार्ट-अप्स में चीन की कंपनियों के लगभग 42 हजार करोड़ रुपए लगे हैं जो सब एवरग्रैंड के डूबने से प्रभावित हो सकते हैं.
क्या चीन की सरकार दुनिया को मंदी से बचाएगी
बिजनेस स्टैंडर्ड में छपी एक खबर के अनुसार एवरग्रैंड पर इतना बड़ा संकट इसलिए आया क्योंकि वह एक बड़ी समस्या का हिस्सा है, जिसने पिछले वर्ष चीन को अत्यधिक कर्ज के खिलाफ कदम उठाने पर मजबूर किया था. दरअसल चीन का कर्ज उसकी जीडीपी का तकरीबन 3 गुना है जो बहुत खतरनाक स्तर पर है. हाल के कुछ वर्षों में कर्ज और जीडीपी का अनुपात दोगुना हो गया था. अब चीनी सरकार के सामने एक सवाल खड़ा हो गया है कि क्या वह एवरग्रैंड को इस मुसीबत से बाहर निकाल लेगी. क्योंकि एवरग्रैंड का कुल कर्ज चीन के कुल कर्ज के 1 फ़ीसदी से भी कम का है. लेकिन चीनी सरकार के सामने ऐसा करने के बाद और मुसीबतें खड़ी हो सकती हैं क्योंकि चीन में ऐसी ही कई कंपनियां हैं जो दिवालिया होने के कगार पर खड़ी हैं. ऐसे में अगर चीनी सरकार एक कंपनी की मदद करती है तो उसे और भी कंपनियों की मदद करनी होगी.


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