सम्पादकीय

बीजेपी के लिए कितने फायदेमंद होंगे जितिन प्रसाद ? क्या यूपी की दूसरी पार्टियों पर भी होगी सर्जिकल स्ट्राइक?

Gulabi
9 Jun 2021 1:34 PM GMT
बीजेपी के लिए कितने फायदेमंद होंगे जितिन प्रसाद ? क्या यूपी की दूसरी पार्टियों पर भी होगी सर्जिकल स्ट्राइक?
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यूपी में बीजेपी (UP BJP) ने कांग्रेस पार्टी (Congress Party) पर सर्जिकल स्ट्राइक कर

संयम श्रीवास्तव। यूपी में बीजेपी (UP BJP) ने कांग्रेस पार्टी (Congress Party) पर सर्जिकल स्ट्राइक कर के 2022 में होने वाले विधानसभा चुनावों (2022 UP Assembly Election) की शुरुआत कर दी है. यूपी में कांग्रेस पार्टी के लिए ब्राहम्ण चेहरा माने जाते रहे जितिन प्रसाद (Jitin Prasada) को बीजेपी में शामिल करा कर पार्टी ने अपने खतरनाक इरादों का विपक्ष को संकेत दे दिया है. पार्टी का संदेश स्पष्ट है कि विपक्ष इस मुगालते में न रहे कि बीजेपी अंतर्कलह का शिकार होकर 2022 के यूपी चुनावों के लिए मैदान खाली छोड़ने वाली है. जितिन प्रसाद को लाने का मतलब साफ है कि भविष्य में विपक्ष की हर पार्टी में सर्जिकल स्ट्राइक होनी है. इससे अछूती समाजवादी पार्टी और बहुजन समाजवादी पार्टी भी नहीं रहने वाली है.

5 जून को यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (UP CM Yogi Adityanath) को बर्थडे विश कर जितिन प्रसाद ने ये संकेत पहले ही दे दिया था. पर पार्टी लेवल पर योगी आदित्यनाथ की स्थिति खुद डावांडोल चल रही थी इसलिए किसी ने इसे बहुत महत्व नहीं दिया. दरअसल उस दिन लोग ट्विटर पर केवल पीएम नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह और बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा का ही विश ढूंढ रहे थे. जो दिन बीतने के बाद भी नहीं आया. इससे यह निष्कर्ष लगाया गया कि योगी की स्थित पार्टी में कमजोर पड़ रही है. ऐसे मौकों पर विपक्ष से सहानुभूति मिलनी बढ़ जाती है. इसलिए जितिन प्रसाद के जन्मदिन की बधाई वाले ट्वीट को किसी ने तवज्जो नहीं दी. पर अब उस ट्वीट का निहितार्थ समझ में आ रहा है कि कांग्रेस पर इस सर्जिकल स्ट्राइक की तैयारी महीनों से चल रही होगी.
क्यों नाराज थे जितिन प्रसाद
दरअसल कांग्रेस पार्टी में एक परंपरा रही है कि जो आगे बढ़कर जनता के बीच में जाने की कोशिश कर रहा हो उसकी टांग खींच लो ताकि उसका कोई व्यक्तिगत स्टेटस न बन जाए. इसी का शिकार हो गए जितिन प्रसाद भी. पिछले कई सालों से यूपी में कांग्रेस सत्ता में नहीं थी. यूपी में कांग्रेस की जड़ें मजबूत करने के लिए जितिन प्रसाद ने ब्रहम संवाद यात्रा शुरू की. यात्रा का उद्दैश्य था कि पार्टी से छिटके ब्राह्मण समुदाय के वोटों को फिर से एकजुट किया जाए. दरअसल कांग्रेस पार्टी के परंपरागत वोटर रहे हैं ब्राह्मण और ब्राह्मणों के वोट हथियाकर ही बीजेपी को यूपी में सत्ता मिली है. वेस्ट यूपी के जानकार पत्रकार विनोद शर्मा का कहना है कि जितिन प्रसाद के शुभ कर्म पार्टी हाईकमान को पसंद नहीं आए और उनको बंगाल में प्रभारी बना दिया गया. दूसरी ओर जबसे यूपी को प्रियंका गांधी संभाल रही हैं तब से उन्हें कोई तवज्जो नहीं मिल रही थी. खुद को उपेक्षित महसूस करते हुए उन्होंने कांग्रेस पार्टी में असंतुष्टों के ग्रुप 23 में शामिल हो जाना बेहतर समझा. इसलिए उनका पार्टी छोड़कर जाना कोई बहुत आश्चर्य की बात नहीं है.
जितिन प्रसाद बीजेपी के लिए कितने फायदेमंद होंगे
अब सवाल यह उठता है कि बीजेपी के लिए कितने वोटों का जुगाड़ कर सकेंगे जितिन प्रसाद. इस सवाल के उत्तर के पहले एक और सवाल कि कौन सा कांग्रेसी नेता अपने पीछे वोट बैंक रखता है? इसका सीधा सा उत्तर है कि कांग्रेस पार्टी चाहती ही नहीं है कि कोई भी नेता अपने पीछे वोट बैंक भी लेकर चले. पार्टी का सीधा सा फंडा है कि वहां वोटबैंक के लिए नेहरु-गांधी परिवार है ना. अगर ऐसा नहीं होता तो पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह जैसे वरिष्ठ नेता को इसी हफ्ते दिल्ली बुलाकर नीचा नहीं दिखाया जाता. दूसरी ओर भारतीय जनता पार्टी को किसी भी ऐसे शख्स को शामिल करना है जिससे सामने वाली पार्टी का मनोबल टूटे. उस नेता से पार्टी को कितने वोट मिलने वाले हैं यह गुणा गणित करने की जरूरत नहीं होती भारतीय जनता पार्टी को. वैसे यूपी में योगी सरकार बनने के बाद से ही कहा जा रहा है कि ब्राह्मणों की यहां उपेक्षा हो रही है. जितिन प्रसाद के आने से पार्टी कम से कम जनता के बीच यह कह सकेगी दूसरी पार्टियों में देखो ब्राहम्णों की पूछ नहीं हो रही है. कांग्रेस मे ब्राह्मणों की अगर पूछ होती तो जितिन प्रसाद बीजेपी ज्वॉइन नहीं करते.
कांग्रेस में युवा चेहरों की पूछ न होने से निराशा
कांग्रेस पार्टी में लगातार युवा नेताओं की हो रही उपेक्षा को देखकर जितिन प्रसाद को भी यह लग रहा था कि इस पार्टी में उनका कोई भविष्य नहीं रह गया है. राजस्थान में सचिन पायलट, मध्यप्रदेश में ज्योतिरादित्य सिंधिया, महाराष्ट्र में मिलिंद देवड़ा आदि का हश्र देखकर उन्होंने अपना अलग रास्ता बनाना उचित समझा. हो सकता है कि उत्तर प्रदेश में बीजेपी उनको कोई खास भूमिका न दे पर बीजेपी अभी सत्ता में है और संभव है कि केंद्र में उनके लिए कोई भूमिका तलाशने की बात की गई हो. दरअसल पार्टी में सोनिया और राहुल के 2 गुटों के बीच संघर्ष काफी समय से चल रहा है. राहुल गांधी के खास लोगों की पार्टी में होने वाली दुर्गति किसी से छिपी नहीं है. यूपी में प्रियंका गांधी के सक्रिय होने के बाद अजय कुमार लल्लू और इमरान प्रताप गढ़ी जैसे लोगों को लगातार तवज्जो मिलता देख कई पुराने कांग्रेसी निराश बताए जाते हैं. ये तय है कि आने वाले दिनों में उनमें कई बीजेपी के साथ आएंगे.
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