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- फिर मंडराता संकट
सरकार ने आगामी 1 अप्रैल से कोविड-19 टीकाकरण अभियान में नए आयु वर्ग को शामिल करते हुए अब 45 वर्ष से ऊपर के सभी नागरिकों को टीके लगवाने की इजाजत दे दी है। यकीनन, यह सुकूनदेह खबर है और इससे टीकाकरण की रफ्तार बढे़गी। अब तक 60 साल से ऊपर के ही सभी लोगों को यह सुविधा हासिल थी। अलबत्ता, दूसरे गंभीर रोगों के कमउम्र मरीजों को भी टीके लगवाने की छूट थी। लेकिन जिस तेजी से देश में फिर से संक्रमण के मामले बढ़ रहे हैं, उसे देखते हुए इसका दायरा बढ़ाने की जरूरत महसूस की जा रही थी। पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने केंद्र से अपील की थी कि नौजवानों को भी टीके लगवाने की इजाजत दी जाए। पंजाब उन सूबों में एक है, जहां कोरोना की नई लहर ज्यादा चिंता पैदा कर रही है। हालात की गंभीरता का अंदाज इसी से लग जाता है कि मुख्यमंत्री ने चेतावनी दी है कि राज्य में पहले ही कई पाबंदियां लगी हैं और यदि लोग कोविड-प्रोटोकॉल के प्रति संजीदा नहीं हुए, तो सरकार और प्रतिबंधों के लिए बाध्य होगी। आज से ठीक एक साल पहले भारत में पहले लॉकडाउन की शुरुआत हुई थी। उसके बाद देश किन-किन कठिनाइयों से जूझा, उसे याद दिलाने की जरूरत नहीं होनी चाहिए, क्योंकि हम सबके जेहन से वह अभी उतरा भी नहीं है। लेकिन टीकाकरण अभियान की शुरुआत के समय देश-दुनिया के तमाम विशेषज्ञों ने आगाह किया था कि टीके के साथ-साथ एहतियाती उपाय जारी रहने चाहिए, मगर उस मोर्चे पर हुई लापरवाही की तस्दीक आंकड़े कर रहे हैं। पिछले 24 घंटों में देश में नए पॉजिटिव मामलों की संख्या 40,700 के ऊपर चली गई है। अकेले महाराष्ट्र में लगभग 25,000 मामले रोजाना आने लगे हैं। पंजाब, गुजरात, छत्तीसगढ़, कर्नाटक और तमिलनाडु मं् भी तेज उभार दिख रहा है। महाराष्ट्र के स्वास्थ्य मंत्री ने कहा है कि यदि अगले कुछ दिनों में भी यह वृद्धि जारी रही, तो राज्य सरकार मुंबई और कुछ अन्य शहरों में पूर्ण लॉकडाउन जैसे विकल्प पर विचार करेगी। यानी एक साल बाद आज हम फिर उसी मोड़ पर खड़े हैं, जहां एक अनिश्चितता हमारे ऊपर डोलने लगी है। तब तो हमारे पास कोई दवा, वैक्सीन नहीं थी, जबकि आज देश में करीब पांच करोड़ लोगों को टीके की पहली खुराक मिल चुकी है, बल्कि कई लोगों को तो दोनों खुराकें मिल चुकी हैं और अब रोजाना टीके लेने वालों की तादाद भी 30 लाख के पार जा चुकी है। ऐसे में, इस समय देश को अपने नागरिकों के सच्चे सहयोग की दरकार है। कोविड-प्रोटोकॉल का ईमानदारी से निबाह ही इस समय सबसे बड़ा देशप्रेम है। याद रखें, लॉकडाउन जैसी कोई भी स्थिति सबसे ज्यादा मध्यवर्ग, निम्न मध्यवर्ग और गरीबों के लिए मारक होगी। पिछले एक साल में इन वर्गों की माली हालत खस्ता हो चुकी है। आर्थिक गतिविधियों के धीरे-धीरे पटरी पर लौटने के साथ उनकी उम्मीदें भी जीने लगी थीं, तब इस नई लहर ने चिंता बढ़ा दी है। जिन सूबों में यह वायरस सबसे तेजी से पांव फैला रहा है, वे देश की अर्थव्यवस्था को गति देने वाले अहम प्रदेश हैं। इसलिए टीकाकरण अभियान को विस्तार और रफ्तार देने के साथ-साथ इसे प्रभावी बनाने के लिए अगले कुछ माह हमें अनिवार्य रूप से मास्क पहनने, दूरी बरतने और हाथ धोते रहने के मंत्र को अपनाना होगा। इस संकट से मुक्ति सामूहिक सहयोग से ही संभव है।