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हिंदुत्व के खिलाफ खौफनाक विषवमन, इन कुत्सित प्रयासों की खुलकर निंदा की जाए
तिलकराज| इतिहासकार केएस लाल के अनुसार, वर्ष 1009 में महमूद गजनी के भारत आक्रमण और 1526 में पानीपत की पहली लड़ाई के बीच लगभग आठ करोड़ हिंदू लोग मुस्लिम आक्रांताओं द्वारा मारे गए। इंडोलाजिस्ट कूइनराड एल्स्ट के अनुसार, अब्दाली के भारत आक्रमण तक लगभग दो करोड़ हिंदू हताहतों की संख्या आसानी से जोड़ी जा सकती है। विभाजन और बांग्लादेश मुक्ति तक यह सिलसिला कायम रहा। चाहे चितौड़ का किला हो या नोआखली, सोमनाथ हो या हिंदूकुश पर्वत श्रृंखला, उपमहाद्वीप का इतिहास इतने लंबे और जघन्य नरसंहार का गवाह रहा है। इतनी बड़ी संख्या में हुए हिंदू नरसंहार के कारण ही अमेरिकी इतिहासकार विल ड्यूरेंट ने भारत पर मुस्लिम आक्रमण को मानव इतिहास का सबसे खूनी अध्याय बताया था। पाकिस्तानी लेखक इरफान हुसैन कहते हैं कि आक्रांताओं ने हिंदुओं पर लेश मात्र भी दया नहीं दिखाई। वह लिखते हैं कि मुस्लिम आक्रांताओं के हाथ इस कदर खून से सने हैं कि इतिहास का यह कलंक मिटाना संभव नहीं। ऐसे निरंतर नरसंहार का जितना बड़ा कारण मजहबी कट्टरता थी, उतना ही हिंदुओं से घृणा भी। हिंदुओं के प्रति ऐसी ही घृणा अंग्रेजी साम्राज्यवाद और सुनियोजित मतांतरण का कारण बनी।