सम्पादकीय

क्रिप्टो करेंसी को लेकर संशय के बीच उम्मीदें कायम हैं

Rani Sahu
26 Nov 2021 7:21 AM GMT
क्रिप्टो करेंसी को लेकर संशय के बीच उम्मीदें कायम हैं
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क्रिप्टो करेंसी (Cryptocurrency) पर बैन की खबरों ने जैसे ही रफ्तार पकड़ी

संयम श्रीवास्तव क्रिप्टो करेंसी (Cryptocurrency) पर बैन की खबरों ने जैसे ही रफ्तार पकड़ी, वैसे ही क्रिप्टो का मार्केट तेजी से गिरने लगा और यह सिलसिला अभी तक जारी है. दरअसल मंगलवार को लोकसभा की तरफ से जारी एक बुलेटिन में कहा गया था कि सरकार क्रिप्टो करेंसी पर आने वाले समय में कुछ निर्णय ले सकती है. यानी क्रिप्टो करेंसी को लेकर कानून बना सकती है. यहां तक कहा गया कि प्राइवेट क्रिप्टो करेंसी जिनके सोर्स का कुछ अता पता नहीं है, उन्हें बैन भी किया जा सकता है. हालांकि जानकार फिलहाल क्रिप्टो करेंसी से संबंधित किसी भी विधेयक पर कुछ भी बोलने को जल्दबाजी कह रहे हैं. उनका कहना है कि किसी भी निष्कर्ष पर पहुंचने से पहले हमें संसद का सत्र शुरू होने का इंतजार करना चाहिए.

लेकिन कुछ लोग क्रिप्टो करेंसी को भारत जैसे देशों के लिए खतरनाक मानते हैं. चीनी ने पहले ही इसे पूरी तरह से बैन कर दिया है. ऐसा नहीं है कि भारत सरकार पहली बार क्रिप्टो करेंसी को लेकर बातचीत कर रही है. यूपीए सरकार के दौरान भी रिजर्व बैंक ने क्रिप्टो के आसन्न संकट पर बैंक को एनबीएफसी और पेमेंट सेवा कंपनियों को चेताया था. हालांकि इसके बावजूद भी इस पर आज तक कानून नहीं बन पाया.
दरअसल तेजी से मुनाफा कमाने की इस दौड़ में लोगों ने अपनी गाढ़ी कमाई इन बिटकॉइन और क्रिप्टो करेंसी कंपनियों के हवाले कर दिया और जमकर मुनाफा कमाया. लेकिन अब जब इसे बैन करने की बातचीत हो रही है तो इन लोगों में हाय तौबा मची है. हालांकि जानकार मानते हैं कि भारत जैसे देश में जहां क्रिप्टो करेंसी के सबसे ज्यादा मालिक हैं, इसे बंद करना इतना आसान नहीं होगा. भारत सरकार जरूर कुछ बीच का रास्ता निकालेगी और शायद कोई ऐसा रेगुलेटरी सिस्टम बनाए जहां से इसे रेगुलेट किया जा सके.
क्या क्रिप्टो करेंसी पर लगेगा बैन
लोकसभा के बुलेटिन में साफ तौर पर कहा गया कि प्राइवेट क्रिप्टो करेंसी पर प्रतिबंध लगाया जा सकता है. क्योंकि भारत में सभी निजी मुद्राओं पर प्रतिबंध लगा दिया गया है, इसलिए लोगों को लग रहा है कि क्रिप्टो करेंसी पर भी प्रतिबंध लगाया जा सकता है. हालांकि अगर हम पूर्व केंद्रीय वित्त सचिव सुभाष गर्ग के द्वारा कही गई कुछ बातों को ध्यान में रखें तो लगता है कि शायद भारत में क्रिप्टो करेंसी को लेकर बीच का कोई रास्ता निकलेगा. क्योंकि सुभाष गर्ग ने कुछ समय पहले कहा था कि क्रिप्टो के लिए मुद्रा शब्द का इस्तेमाल नहीं होना चाहिए. लेकिन क्रिप्टो को यूटिलिटी या प्रतिभूति के रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है. यानी एक उद्योग के रूप में हम इस तथ्य पर विचार कर सकते हैं. साफ शब्दों में समझें तो क्रिप्टो करेंसी को हम मुद्रा नहीं मान सकते, बल्कि इसे एक परिसंपत्ति या यूटिलिटी कह सकते हैं जिसे लोग खरीदते और बेचते हैं.
क्रिप्टो करेंसी में कोई कंट्रोल नहीं है
जिस चीज पर कोई कंट्रोल नहीं होता उसका कोई सिस्टम नहीं होता वह या तो तेजी से आपको मुनाफा देती है या तेजी से आपको घाटा देती है. क्रिप्टो करेंसी के साथ भी ऐसा ही है. साल 2008 में शुरू हुए इस आभासी करेंसी में कब आपको कई हजार गुना मुनाफा हो जाए और कब आप कई हजार गुने घाटे में चले जाएं कुछ कहा नहीं जा सकता. बिटकॉइन की कीमतें बीते 11 साल में लगभग एक लाख गुना से ज्यादा बढ़ी हैं, जबकि कुछ क्रिप्टो करेंसी ने सिर्फ पिछले एक साल में ही 10 हजार गुना तक का रिटर्न दिया है. लेकिन अगर आप मई 2021 के आंकड़े को देखें तो क्रिप्टो करेंसी के मार्केट के क्रैश होने की वजह से निवेशकों को लगभग 73 लाख करोड़ रुपए का चूना भी लगा था.
अब जब से क्रिप्टो करेंसी के बैन होने की खबर भारत में आई है, दुनिया भर में तेजी से क्रिप्टो करेंसी का मार्केट गिर रहा है. और लोगों को लगातार लाखों करोड़ों का चूना लग रहा है. इसलिए सरकार के साथ-साथ क्रिप्टो करेंसी में निवेश करने वाले लोग भी मानते हैं कि अगर भारत सरकार इसे बंद करने की जगह एक रेगुलेटरी सिस्टम बना दे, जहां से इसके ट्रेड को रेगुलेट किया जा सके तो यह सरकार और ट्रेडर्स दोनों के हित में होगा.
कुछ पक्ष में तो कुछ विपक्ष में खड़े हैं
क्रिप्टो करेंसी को लेकर दुनिया भर में राय बटी हुई है. एलन मस्क जैसे कारोबारी क्रिप्टो करेंसी को जहां तकनीकी क्रांति मानते हैं और इसे डिजिटल संपत्ति के आधुनिक पहलू के तौर पर देखने की बात करते हैं. वहीं अमेरिका के राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार हिलेरी क्लिंटन इसे लोगों और देश की अर्थव्यवस्था के लिए खतरनाक मानती हैं. भारत में भी कुछ लोग जहां इसके पक्ष में खड़े हैं, वहीं कुछ लोगों का कहना है कि क्रिप्टो करेंसी का इस्तेमाल टेरर फंडिंग, हवाला और कई गैर कानूनी कामों के लिए किया जा रहा है. दरअसल क्रिप्टो करेंसी में सब कुछ गोपनीय तरीके से होता है. क्रिप्टो करेंसी में ट्रेड करने वाले ट्रेडर्स को भी इसके सोर्स का कुछ पता नहीं होता है ना ही इसका कोई ठोस रूप है. इसलिए इसे ट्रैक कर पाना किसी भी देश की सरकारों के लिए और भी ज्यादा मुश्किल हो जाता है.
कानून बनाने वालों पर भरोसा रखने की जरूरत
क्रिप्टो करेंसी का काम करने वाले ज्यादातर लोगों का कहना है कि लोगों को कानून बनाने वालों पर भरोसा करना चाहिए इस तरह से किसी एक खबर के आने से पैनिक सेलिंग नहीं करनी चाहिए. क्योंकि वह ऐसा कर के अपना ही नुकसान करते हैं. द क्विंट से बात करते हुए वजीरएक्स के सीईओ निश्चल शेट्टी कहते हैं कि अगर पार्लियामेंट में यह बिल आता है तो इस पर बहस और विचार विमर्श किए जाएंगे. इसके साथ उन्होंने अपने निवेशकों से आग्रह किया है कि केवल एक खबर को लेकर पैनिक सेलिंग ना करें. बल्कि कानून बनाने वाले लोगों पर भरोसा रखें. क्रिप्टो रेगुलेशन की प्रक्रिया पर काम चालू है. वहीं दूसरी ओर यूनो कॉइन के फाउंडर और सीईओ सात्विक विश्वनाथ मानते हैं कि क्रिप्टो करेंसी एक देश से दूसरे देश में पैसे भेजने और ई-कॉमर्स स्पेस में क्रांतिकारी साबित हो सकता है. इसलिए इस पर बैन नहीं लगाना चाहिए.

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