सम्पादकीय

बेहतर की उम्मीद : नए साल में दक्षिण की चुनौतियां

Neha Dani
4 Jan 2022 1:42 AM GMT
बेहतर की उम्मीद : नए साल में दक्षिण की चुनौतियां
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फिर भी लोगों को उम्मीद है कि नए साल में एक नई शुरुआत होगी और यह साल नई उम्मीदें लाएगा।

पलक झपकते ही एक और साल बीत गया। लोग नए साल के बेहतर होने की उम्मीद कर रहे हैं। लेकिन हाल में जब चीजें बेहतर होती दिख रही थीं, तब ओमिक्रॉन वैरिएंट के कारण कोरोना संक्रमितों की संख्या में वृद्धि एक बड़ी चिंता बनकर सामने आई है। जहां तक तमिलनाडु का संबंध है, तो ओमिक्रॉन से निपटना फिलहाल उसकी सबसे बड़ी चुनौती है। सरकार ने नए साल के दिन समुद्र तटों पर प्रवेश प्रतिबंधित कर दिया था।

इसके बावजूद राज्य में रोज का संक्रमण औसतन 1,500 है। स्टालिन सरकार का कहना है कि पूरे राज्य में सरकारी और निजी अस्पतालों में 1.15 लाख बिस्तर तैयार हैं। राज्य में 50,000 और बिस्तर के साथ विशेष कोविड केंद्र तैयार करने के आदेश जारी किए गए हैं। राज्य के डॉक्टर्स एसोसिएशन ने मुख्यमंत्री से अपील की है कि वायरस के प्रसार को नियंत्रित करने के लिए वह एहतियात के तौर पर स्कूलों और कॉलेजों में ऑनलाइन पढ़ाई का निर्देश जारी करें।
राज्य सरकार पहले ही घोषणा कर चुकी है कि 'जोखिम वाले देशों' से राज्य में प्रवेश करने वाले विदेशी यात्रियों को अनिवार्य रूप से सात दिन के क्वारंटीन में रहना होगा। कर्नाटक के बंगलूरू में स्थिति चिंताजनक है। सोमवार को राज्य में नए संक्रमितों का आंकड़ा 1,187 था, जिनमें से अकेले बंगलूरू के शहरी क्षेत्र में 923 संक्रमित थे। राज्य में पिछले सात दिनों में संक्रमण में 241 फीसदी की भारी बढ़ोतरी हुई है। मुख्यमंत्री विशेषज्ञों से विचार करने के बाद सख्त प्रतिबंधों की घोषणा कर सकते हैं।
केरल में रविवार को संक्रमण के 2,800 से अधिक मामले आए और 78 मौतें हुईं। ओमिक्रॉन से संक्रमितों की संख्या भी वहां अधिक है। राज्य में आंशिक लॉकडाउन लगाया जा चुका है। इसके बावजूद नववर्ष की पूर्वसंध्या पर सबरीमला स्थित अयप्पा मंदिर में भारी भीड़ थी। तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में भी संक्रमण बढ़ा है, जिसे देखते हुए कुछ प्रतिबंध लगाए गए हैं। ओमिक्रॉन के भय के अलावा, ऐसे कई स्थानीय मुद्दे हैं, जिनसे दक्षिणी राज्यों को इस नए साल में निपटना होगा।
क्रिसमस के दौरान भाजपा शासित कर्नाटक में गिरजाघरों पर हमले के कई मामले सामने आए, जिससे सामाजिक माहौल बिगड़ा। इससे पहले भी इस दक्षिणी राज्य में सामाजिक समरसता बिगाड़ने के प्रयास हुए। नए साल में भी कर्नाटक के इस माहौल से मुक्त होने की उम्मीद नहीं है। कर्नाटक का धार्मिक स्वतंत्रता अधिकार संरक्षण विधेयक, 2020, जिसे 'धर्मांतरण विरोधी विधेयक' भी कहा जाता है, नए साल में राज्य का सबसे गर्म विषय होगा।
इस विधेयक की अल्पसंख्यक समुदायों, खासकर ईसाइयों ने तीखी आलोचना की है। विपक्षी नेताओं के विरोध के बीच इस विधेयक को राज्य विधानसभा में ध्वनि मत से पारित कर दिया गया। हालांकि, इसे विधान परिषद में नहीं लाया गया और अगले सत्र के लिए टाल दिया गया, जो संभवतः इसी महीने आयोजित होगा। कर्नाटक के गृहमंत्री अरागा ज्ञानेंद्र ने कहा, 'हमने इसके लिए जोर नहीं दिया, क्योंकि हमारे पास इसे पारित कराने के लिए पर्याप्त संख्याबल नहीं है।
चूंकि इसे चर्चा के लिए सूचीबद्ध किया गया था, इसलिए इसे पेश किया जा रहा है। हम अगले सत्र में इस पर बहस करेंगे, जब हम बहुमत जुटा लेंगे।' हालांकि, कानून मंत्री जेसी मधुस्वामी ने कहा कि सरकार अध्यादेश पर जोर देने से पहले संयुक्त सत्र के समय पर विचार करेगी। उन्होंने कहा कि 'हमारे पास अगले विधानसभा सत्र के दौरान (विधानसभा और विधान परिषद की संयुक्त बैठक, जो जनवरी या फरवरी में होगी) इसे विधान परिषद में पारित कराने का विकल्प है।
लेकिन अगर विधानसभा के सत्र में देरी होती है, तो हम अध्यादेश जारी करने का विकल्प अपनाएंगे।' संसदीय नियमों के अनुसार, सरकार लंबित विधेयक का अध्यादेश ला सकती है, यदि इसे दोनों सदनों में से किसी एक में खारिज नहीं किया जाता है। लेकिन अध्यादेश जारी होने के बाद इसे अगले सत्र में विधायिका की मंजूरी मिलनी चाहिए। कर्नाटक जहां कानून पारित करने पर ध्यान केंद्रित करेगा, वहीं केरल को कानून-व्यवस्था को मजबूत करने पर जोर देना होगा, क्योंकि राज्य में एक के बाद एक हाल ही में दो राजनीतिक कार्यकर्ताओं की हत्या हुई है।
राजनीतिक हिंसा के लिए कुख्यात केरल में विगत 18 दिसंबर को सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (एसडीपीआई) के राज्य सचिव के. एस. शान की हत्या के प्रतिशोध में 19 दिसंबर को भाजपा नेता रणजीत श्रीनिवासन की उनके घर में हत्या कर दी गई थी। पुलिस का कहना है कि शान की हत्या आरएसएस कार्यकर्ता नंदू कृष्ण की हत्या का बदला लेने के लिए की गई थी, जो 2021 की शुरुआत में हुई थी। शान की हत्या के संदेह में अभी तक 15 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है।
गौरतलब है कि पिछले साल केरल में एसडीपीआई और संघ परिवार के कार्यकर्ताओं की झड़पों में पांच हत्याएं हुईं। पिछले महीने हुई दो राजनीतिक हत्याओं के बाद सोशल मीडिया के जरिये सांप्रदायिक नफरत फैलाने वाले संदेश प्रसारित किए जाने की बात सामने आई है। इसे देखते हुए सरकार ने फैसला लिया है कि सांप्रदायिक घृणा भड़काने की अनुमति देने वाले सोशल मीडिया समूहों के व्यवस्थापकों पर मामला दर्ज किया जाएगा।
राज्य पुलिस की साइबर शाखा को ऐसे दुष्प्रचार को रोकने के लिए सभी जिलों में अपनी निगरानी तेज करने को कहा गया है। इस बीच, दो अलग-अलग मामलों की जांच कर रहे विशेष जांच दल (एसआईटी) का नेतृत्व कर रहे एडीजीपी (कानून व्यवस्था) विजय सखारे ने कहा कि अपराध में सीधे तौर पर शामिल सभी लोग राज्य से बाहर भागने में सफल रहे, केरल पुलिस ने पड़ोसी राज्यों की पुलिस से उन्हें पकड़ने के लिए मदद मांगी है।
सखारे ने मीडिया को बताया कि 'हम इस बात का ब्योरा नहीं दे सकते कि वे किन राज्यों में छिपे हैं। वे जहां भी जाएंगे, हम उनका पीछा करेंगे और उन्हें पकड़ लेंगे। इसको लेकर साइबर जांच भी तेज कर दी गई है।' यह एक ऐसा मुद्दा है, जिसे केरल 2022 में जल्द से जल्द निपटना चाहेगा। हालांकि 2022 में आगे और भी कई चुनौतियां हैं, फिर भी लोगों को उम्मीद है कि नए साल में एक नई शुरुआत होगी और यह साल नई उम्मीदें लाएगा।
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