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- निजीकरण की घर...
राजनीतिक रूप से ज्वलनशील मुहावरा 'निजीकरण' एक बार फिर से सार्वजनिक बहस में लौट आया है। आम तौर पर इतिहास पर नजर डालें, तो यह मुहावरा और निजीकरण का विचार राजनीतिक लाभ के साथ घटता-बढ़ता रहता है। 19वीं सदी में ऑस्ट्रिया में इस्तेमाल किए गए जर्मन शब्द 'प्रिवतिसेरंग'(Privatiserung) से उत्पन्न यह मुहावरा थैचर युग के दौरान प्रचलन में आया। निजीकरण भारत की राजनीतिक अर्थव्यवस्था में 1991 की बेलआउट कंडिशनलिटीज (राहत संबंधी आर्थिक सुधार) के साथ आया और तबसे राजनीतिक लाभ के लिए इसका आना-जाना लगा रहता है। वर्ष 2021 में इसके प्रकटीकरण का महत्व यही है कि यह विचार निजी व सार्वजनिक बहस के दायरे से परे चला गया है। बजट भाषण में भी इसका जिक्र किया गया और सबसे महत्वपूर्ण बात है कि पिछले बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मुखर होकर इसका समर्थन करने से इसने राजनीतिक मुकाम हासिल कर लिया है, जब उन्होंने घोषणा की कि 'व्यवसाय चलाना सरकार का काम नहीं है।'