सम्पादकीय

रंग-उमंग के साथ उल्लास-आनंद का संचार करने होली आई रे...

Gulabi Jagat
18 March 2022 7:40 AM GMT
रंग-उमंग के साथ उल्लास-आनंद का संचार करने होली आई रे...
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रंग-उमंग के साथ उल्लास-आनंद का संचार करने वाले अनूठे त्योहार होली की महत्ता इस बार इसलिए और बढ़ी दिखती है
रंग-उमंग के साथ उल्लास-आनंद का संचार करने वाले अनूठे त्योहार होली की महत्ता इस बार इसलिए और बढ़ी दिखती है, क्योंकि लगभग दो साल बाद ऐसा मौका आया है, जब कोरोना संकट का साया दूर होता दिख रहा है। इस अवसर का लाभ उठाते हुए रंगों के इस पर्व को पूरे उत्साह के साथ मनाया जाना चाहिए। ऐसा करते हुए यह ध्यान रखना भी आवश्यक है कि कोरोना संकट खत्म होने की कगार पर भले दिख रहा हो, लेकिन अभी वह पूरी तौर पर समाप्त नहीं हुआ है। ऐसे में अपेक्षित सतर्कता का परिचय दिया जाना आवश्यक है, क्योंकि न तो इसकी अनदेखी की जा सकती है कि पिछले वर्ष होली के बाद किस तरह कोरोना के मामले बढ़ गए थे और न ही इसकी कि चीन, दक्षिण कोरिया, जापान के साथ कुछ यूरोपीय देशों में कोरोना संक्रमण के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। इसके चलते केंद्र सरकार अंतरराष्ट्रीय उड़ानों को पूरी तरह खोलने के अपने फैसले पर नए सिरे से विचार करती दिख रही है।
चूंकि अन्य देशों में कोरोना संक्रमण में वृद्धि चिंता का विषय है, इसलिए जहां केंद्र और राज्य सरकारों के लिए यह आवश्यक है कि वे हालात पर नजर बनाए रखें, वहीं आम जनता के लिए भी यह जरूरी है कि वह टीकाकरण की रफ्तार में कमी न आने दे। अब न केवल 12 से 14 साल के बच्चों को भी टीका लगने लगा है, बल्कि 60 साल और उससे ऊपर के सभी लोगों को सतर्कता डोज भी दी जा रही है। इसका लाभ उठाया ही जाना चाहिए।यह सुखद है कि कोरोना संक्रमण में लगातार गिरावट के चलते न केवल बाजारों में चहल-पहल दिखने लगी है, बल्कि होली को लेकर उल्लास का भाव भी अधिक गहरा दिख रहा है। वैसे तो हमारे हर त्योहार जीवन की एकरसता को तोड़ते हैं और अपनी समृद्ध परंपराओं से जुड़ने के साथ प्रकृति की महत्ता से परिचित कराने का अवसर प्रदान करते हैं, लेकिन होली यह काम कहीं अधिक अच्छे से करती है और इसीलिए उसकी प्रतीक्षा रहती है।
होली केवल रंगों का त्योहार नहीं, बल्कि राग-द्वेष तजकर सद्भावना जगाने का भी उत्सव है। होली न केवल अपने-पराये का भेद मिटाती है, बल्कि अपनत्व और बंधुत्व के भाव को बल भी देती है। एक ऐसे समय जब राष्ट्र जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में नकारात्मकता बढ़ती दिख रही है, तब इसकी आवश्यकता कहीं अधिक है कि होली के माध्यम से आपसी एकता, शांति एवं सद्भाव के रंगों को और चटख किया जाए।
दैनिक जागरण के सौजन्य से सम्पादकीय
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