सम्पादकीय

रंगों का त्योहार होली इस बार भी कोरोना संकट के साये के चलते सावधानी से मनानी होगी, शारीरिक दूरी का करना होगा पालन

Triveni
30 March 2021 12:52 AM GMT
रंगों का त्योहार होली इस बार भी कोरोना संकट के साये के चलते सावधानी से मनानी होगी, शारीरिक दूरी का करना होगा पालन
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हमारे सारे पर्व जीवन की जड़ता और एकरसता तोड़ते हैं, लेकिन रंगों का त्योहार होली यह काम कहीं अनूठे ढंग से करती है और इसीलिए इसकी प्रतीक्षा रहती है

जनता से रिश्ता वेबडेस्क | हमारे सारे पर्व जीवन की जड़ता और एकरसता तोड़ते हैं, लेकिन रंगों का त्योहार होली यह काम कहीं अनूठे ढंग से करती है और इसीलिए इसकी प्रतीक्षा रहती है। हालांकि पिछली बार की तरह इस बार भी कोरोना संकट के साये के चलते होली सावधानी से मनानी होगी। हम सबको ऐसा कुछ करने से बचना होगा, जिससे कोरोना का संक्रमण बढ़े। चूंकि होली मिलने-जुलने और समूह में एकत्रित होकर आनंद की अनुभूति करने का त्योहार है, इसलिए इस सबसे बचना एक कठिन काम है, लेकिन समय की मांग यही है कि शारीरिक दूरी का यथासंभव पालन किया जाए। इसके बाद भी यह अच्छे से स्मरण रहे कि होली सामाजिक दूरी के निषेध का विशेष संदेश देती है। इस संदेश को ग्रहण करते हुए हमें इस तथ्य को ओझल भी नहीं करना चाहिए कि अतीत में त्योहारों के बाद कोरोना के मरीजों की संख्या में वृद्धि देखने को मिली। ऐसे में यह जरूरी है कि होली अपेक्षाकृत छोटे समूहों में मनाएं। कोरोना ने रंगोत्सव के समक्ष अनचाही बंदिशें अवश्य खड़ी कर दी हैं, लेकिन हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि होली उल्लास, उमंग और अपनत्व का पर्व है। यह हर तरह के भेद मिटाने और सबको अपना बनाने-समझने का त्योहार है। इन भावनाओं के प्रकटीकरण करने में कुछ भी आड़े नहीं आना चाहिए-कोरोना संक्रमण का भय भी नहीं।

वास्तव में कोरोना संकट ने हमें यह एक अवसर प्रदान किया है कि होली को हम परंपरागत तरीके से मनाएं और ऐसा करते हुए अपनी परंपराओं के साथ हजारों साल पुरानी उस महान विरासत का स्मरण करें, जिसके हम वारिस हैं और जो हमें विशिष्ट बनाती है। होली पर हम केवल रंगों से ही नहीं, उमंग, अपनत्व और सद्भाव की रसधार से भी भीगते हैं। होली हमारी संस्कृति का एक ऐसा उत्सव है, जो हमारे भीतर के बंधनों को खोलता है, मन को उल्लास से भरता है और आनंद की आस पूरी करता है। देश ही नहीं, दुनिया में हर कोई अपने जीवन में जिस खुशी की तलाश में रहता है, उसे यदि कोई अच्छे से पूरा करता है तो वह है होली का आगमन। हमारे अन्य पर्वो की तरह होली भी बुराई पर अच्छाई की जीत का संदेश देती है। यह प्रकृति को सहेजने और उसकी रक्षा का भी संदेश देती है। होली में रंग-उमंग के साथ जो अपनापन समाहित है, उसे पाने और दर्शाने के लिए यह आवश्यक है कि हम अपने अंदर की बुराइयों का शमन करें। इससे ही घर, परिवार, समाज और देश में सद्भाव और सुख-शांति का संचार होगा। आज इसकी कहीं अधिक आवश्यकता है। इस आवश्यकता की पूर्ति ही होली को और अधिक उल्लासमय बनाएगी।



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