सम्पादकीय

जलवायु परिवर्तन की मार

Gulabi
20 May 2021 4:51 PM GMT
जलवायु परिवर्तन की मार
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जलवायु परिवर्तन

पिछले एक दशक में अरब सागर और बंगाल की खाड़ी में उठने वाले चक्रवाती तूफानों की संख्या में 11 प्रतिशत वृद्धि हुई है। 2014 और 2019 के बीच चक्रवातों में 32 प्रतिशत बढ़ोतरी हुई है। चक्रवातों की संख्या और उनकी मारक क्षमता बढ़ने के पीछे ग्लोबल वॉर्मिंग एक साफ वजह है।

कोरोना महामारी के बीच अरब सागर में उठे चक्रवाती तूफान ताउते ने भारत के अलग-अलग राज्यों पर एक गहरी चोट की है। इस सिलसिले में फिर से कुछ अहम सवाल उठे हैं। गौरतलब यह है कि भारत और दुनिया के दूसरे हिस्सों में में चक्रवाती तूफानों की संख्या बढ़ती जा रही है। भारत में अमूमन मई और अक्टूबर के बीच चक्रवात आते हैं। पश्चिम बंगाल, ओडीशा, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और केरल इनसे सबसे ज्यादा प्रभावित होने वाले में राज्यं में हैं। सवाल है कि अब अरब सागर में भी लगातार चक्रवाती तूफानों का सिलसिला क्यों बढ़ रहा है और उनकी संख्या और ताकत अधिक क्यों हो रही है? ताउते पिछले दो दशकों के सबसे ताकतवर तूफानों में है। राहत की बात सिर्फ है कि इसकी तट से दूरी बनी रही। इससे पहले 2007 में दोनू और 2019 में क्यार नाम के दो सुपर साइक्लोन अरब सागर में ही उठे थे, लेकिन दोनों ही समुद्र तट से दूर ही रहे। उनसे ज्यादा नुकसान नहीं हुआ। लेकिन जो चक्रवात तट के करीब आए, उन्होंने काफी तबाही मचाई।
पुणे स्थित भारतीय मौसम विभाग के मुताबिक पिछले एक दशक में अरब सागर और बंगाल की खाड़ी में उठने वाले चक्रवाती तूफानों की संख्या में 11 प्रतिशत वृद्धि हुई है। 2014 और 2019 के बीच चक्रवातों में 32 प्रतिशत बढ़ोतरी हुई है। चक्रवातों की संख्या और उनकी मारक क्षमता बढ़ने के पीछे ग्लोबल वॉर्मिंग एक साफ वजह है। मौसम विज्ञानियों के मुताबिक जलवायु परिवर्तन के कारण समुद्र का तापमान पूरी दुनिया में बढ़ रहा है। समुद्र सतह का तापमान बढ़ने से चक्रवात अधिक शक्तिशाली हो जाते हैं। मिसाल के तौर पर अरब सागर में समुद्र सतह का तापमान 28-29 डिग्री तक रहता है, लेकिन अभी ताउते तूफान के वक्त यह 31 डिग्री है। वैज्ञानिकों के मुताबिक जैसे जैसे समुद्र गर्म होते जाएंगे वहां उठे कमजोर चक्रवात तेजी से शक्तिशाली और विनाशकारी रूप लेंगे। अम्फन, फानी और ओखी तूफानों से यह बात साबित हुई है। जलवायु परिवर्तन के कारण समुद्री सतह में हो रही बढ़ोतरी भी चक्रवात की मार बढ़ाती है, क्योंकि इससे पानी अधिक भीतर तक आता है। वैज्ञानिकों ने ध्यान दिलाया है कि ताउते लगातार चौथे साल मॉनसून से पहले अरब सागर में उठा चक्रवात है। दरअसल, पिछली एक सदी में अरब सागर के तापमान में वृद्धि हुई है। इससे यहां चक्रवातों की संख्या और मारक क्षमता बढ़ी है।

क्रेडिट बाय नया इंडिया

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