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- सामंतों के शिकंजे से...
हृदयनारायण दीक्षित। इतिहास का आदर्श सत्य होता है। यह तटस्थ होता है। यह विजित और पराजित में भेद नहीं करता। राष्ट्रबोध का मूलाधार इतिहास बोध है। इतिहास भूत के साथ अनुभूत भी होता है। इसका एक भाग अकरणीय होता है और बड़ा भाग अनुकरणीय। इतिहास संकलन में सत्य और तटस्थता का मूल्य है। भारत का इतिहास गौरवशाली है, मगर विदेशी सत्ता के दौरान इतिहास का विरूपण हुआ। स्वतंत्रता के बाद भी इतिहास के ये सामंत सक्रिय रहे हैं। कथित उदारवादियों व वामपंथियों ने इतिहास का विरूपण किया। वे राष्ट्रीय गौरव की प्रत्येक घटना और अवसर के विरुद्ध सक्रिय रहे हैं। संप्रति इतिहास के विद्वान विक्रम संपत द्वारा वीर सावरकर पर लिखी पुस्तक को लेकर हंगामा है। आदित्य मुखर्जी सहित कई वामपंथी विद्वानों व कांग्रेसजनों ने किताब व उसके लेखक संपत पर हमला बोल दिया। उन्होंने सावरकर द्वारा ब्रिटिश सत्ता से माफी मांगने का तथ्यहीन विषय उठाया है।