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divyahimachal .
कैराना से करीब 300 हिंदू परिवारों का 2016 में पलायन हुआ था। बल्कि उन्हें असामाजिक तत्त्वों ने घर छोड़ कर भागने को विवश किया था। हिंदू व्यापारियों के घर-कारोबार जला दिए गए थे। फिरौतियां मांगी गई थीं। कई मामलों में गोलियां तक चला दी गई थीं। औरतों के साथ दुष्कर्म किए गए थे। हालात ऐसे बन गए थे कि घरों के बाहर लिखना पड़ा था-'यह मकान बिकाऊ है।' वे सियासी बयान नहीं थे, हालांकि उनकी व्याख्या ऐसी ही की गई थी। कैराना के तत्कालीन भाजपा सांसद हुकुम सिंह ने संसद के भीतर और बाहर पलायन का यह मुद्दा उठाया था। 2017 के विधानसभा चुनाव में इसका भाजपा को खूब फायदा मिला। आज सांसद दिवंगत हैं, लेकिन तब राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने भी ऐसे 346 परिवारों की सूची तैयार कराई थी। पलायन से कुछ समय पहले मुजफ्फरनगर में हिंदू-मुसलमान भीषण दंगे भड़के थे। पलायन को दंगों की ही परिणति माना जाता रहा है। कैराना में 5 लाख से ज्यादा मुस्लिम आबादी बसी है। हिंदू विभिन्न जातियों, संप्रदायों में बंटे हैं। गुर्जर और जाट आबादी भी प्रभावशाली है। पलायन को बहुसंख्यक द्वारा की गई प्रताड़ना से भी जोड़ कर देखा जा रहा है।