सम्पादकीय

टीम इंडिया को एक सूत्र में पिरोने वाली हिंदी विविधता भरे भारत को बांधे रखने में सक्षम

Gulabi Jagat
11 April 2022 8:48 AM GMT
टीम इंडिया को एक सूत्र में पिरोने वाली हिंदी विविधता भरे भारत को बांधे रखने में सक्षम
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लोगों का मानना है कि क्रिकेट, भारत को एक सूत्र में बांधता है
अरूप घोष |
लोगों का मानना है कि क्रिकेट, भारत (Pan India) को एक सूत्र में बांधता है. जब भारत की क्रिकेट टीम (Cricket Team) कोई मैच खेलती है तो वह आपसी बातचीत किस भाषा में करती है? हिंदी में. भारतीय क्रिकेट टीम में देश के हर कोने से आए खिलाड़ी शामिल होते हैं. और यह हिंदी (Hindi) ही है जो सभी को एक सूत्र में बांधती है. यही तर्क दूसरे खेलों पर भी लागू होता है, जहां वास्तव में भारत की विविधता एक छत के नीचे नजर आती है. संचार की भाषा क्या होनी चाहिए, इस पर कोई विवाद या असहमति नहीं है. और यह सब बिना किसी फरमान के होता है.
हिंदी सिनेमा की पहुंच पर ध्यान दीजिए. देश के हर इलाके में इन्हें देखा जाता है. इनमें से बहुत सी फिल्में लोकप्रिय होतीं हैं, प्रेरणादायक होतीं हैं और ये दर्शक जुटातीं हैं. अब, अभिनेताओं के एक ही प्लेटफॉर्म पर आने से हिंदी और क्षेत्रीय भाषाओं के बीच का अंतर कम हो चुका है. हिंदी को जुड़ाव की भाषा बनाने में टेलीविजन शो भी इसी तरह की भूमिका निभाते हैं.
क्या हिंदी क्षेत्रीय भाषाओं की जगह ले लेगी
सरकार कहीं नहीं कह रही है कि हिंदी क्षेत्रीय भाषाओं की जगह ले लेगी. यह भी नहीं कहा जा रहा है कि स्कूलों में अंग्रेजी को कमतर किया जाए. तो, अतीत में क्यों जाया जाए? समय बदल गया है. दक्षिणी राज्यों में पहले की पीढ़ियों ने हिंदी को अपनी सांस्कृतिक और भाषाई पहचान के लिए एक खतरे के तौर पर देखा. अब, बदलते सामाजिक तानेबाने के कारण ये विरोध, जो ज्यादातर राजनीतिक प्रकृति के हैं, मंद पड़ते जा रहे हैं. तमिलनाडु, जो राज्य में हिंदी को थोपने का लंबे वक्त तक विरोध करता रहा, वहां 2011 की जनगणना के मुताबिक, 2001 से 2011 के बीच हिंदी बोलने वाले तमिलों की संख्या में 50 फीसदी का इजाफा हुआ.
इसके बावजूद, 2019 में, नई शिक्षा नीति के मसौदे पर प्रतिक्रिया देते हुए, जिसके तहत हिंदी को अनिवार्य बनाने के लिए त्रिभाषायी फॉर्मूला पेश किया गया, डीएमके प्रमुख एमके स्टालिन ने कहा, "तमिलनाडु पर हिंदी थोपना मधुमक्खी के छत्ते पर पत्थर फेंकने के समान होगा." स्टालिन अब राज्य के मुख्यमंत्री हैं. जबकि, इसी अवधि में हिंदी बोलने वाले दक्षिण भारतीयों की संख्या में 13 फीसदी की बढ़ोतरी हुई.
तमिलों के लिए हिंदी सीखने के कई कारण हैं
माइग्रेशन, जिसके कारण दूसरे राज्यों से प्रवास करने वाले लोगों की वजह से एक बड़ा बदलाव आया है. टीवी शो ने तमिल लोगों को कुछ हद तक हिंदी समझने और बोलने के लिए प्रेरित किया है. यह बदलाव तब शुरू हुआ जब दूरदर्शन पर रामायण और महाभारत सीरियल का प्रसारण हुआ. केवल प्रवासी मजदूर ही हिंदी नहीं बोलते, बल्कि कारखानों और राज्य सरकार के ऑफिस में भी हिंदी ही बोली जाती है. यह तर्क बंगाल के साथ-साथ बाकी के दक्षिणी राज्यों पर भी लागू होता है.
भारत के उत्तर, उत्तर-पूर्व और उत्तर-पश्चिम से बड़े पैमाने पर ब्लू कॉलर और व्हाइट कॉलर कामगारों के माइग्रेशन के साथ 1960 के दशक की हिंदी विरोधी भावना अब कमजोर पड़ चुकी है. अमित शाह के मुताबिक, पूर्वोत्तर के आठ राज्यों में 22 हजार हिंदी शिक्षकों की भर्ती की गई है. साथ ही, उत्तर पूर्व के नौ आदिवासी समुदायों ने अपनी बोलियों की लिपियों को देवनागरी में बदल दिया है और उत्तर पूर्व के सभी आठ राज्य दसवीं कक्षा तक हिंदी को अनिवार्य बनाने पर सहमति व्यक्त कर चुके हैं.
'हिंदी' भारत की राष्ट्रीय भाषा
चाहे कांग्रेस हो या भाजपा, सभी सरकारों ने यही बात कही कि 'हिंदी' भारत की राष्ट्रीय भाषा है. 2018 में, मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने सभी केंद्रीय विश्वविद्यालयों को स्नातक कार्यक्रमों में हिंदी को अनिवार्य पाठ्यक्रम के रूप में लागू करने के निर्देश जारी किए थे.
भारत की कोई राष्ट्रभाषा नहीं है और इसलिए, हिंदी (राजभाषा) को इसका दर्जा देना कानून के खिलाफ है. एक 'राष्ट्रीय भाषा' देश की सांस्कृतिक विरासत और इतिहास का प्रतिनिधित्व करती है. इससे यह पता चलता है कि देश के नागरिक उस भाषा को जानते और बोलते हैं.'राजभाषा' का प्रयोग केंद्र और राज्य सरकारों के आधिकारिक उद्देश्यों के लिए किया जाता है. एक देश में एक से अधिक राजभाषा हो सकती है, लेकिन राष्ट्रभाषा एक होती है.
स्वतंत्रता संग्राम के दौरान महात्मा गांधी ने हिंदी को राष्ट्रभाषा बताया था और इसे अपनाने का आह्वान किया था. वह हिंदी को देवनागरी या फारसी लिपि में लिखे गए हिंदुस्तानी (हिंदी और उर्दू का मिश्रण) के रूप में देखते थे. संविधान सभा में भी उनकी राय शामिल थी. लेकिन भारत के विभाजन के साथ, हिंदुस्तानी भाषा का मकसद खो गया. जैसे-जैसे भारत आगे बढ़ा, उसे अपने आधिकारिक उद्देश्यों के लिए अंग्रेजी और हिंदी का उपयोग करना पड़ा, जबकि राज्य सरकारों को अपने लिए एक या अधिक आधिकारिक भाषाओं को चुनने का अधिकार दिया गया.
तमिलनाडु में भी विरोध कम हुआ है
लेकिन 2017 में, तमिलनाडु में राष्ट्रीय राजमार्गों पर माइलस्टोन को अंग्रेजी से हिंदी में बदल दिया गया. इससे पहले, सरकार के विमुद्रीकरण अभियान के बाद जारी किए गए नए नोटों में देवनागरी अंकों का इस्तेमाल किया गया. ध्यान देने वाली बात यह है कि स्वतंत्रता के बाद, संविधान निर्माताओं के सामने एक ऐसी राष्ट्रीय भाषा चुनने की समस्या थी जो एक देश को एकजुट कर सके, क्योंकि यहां 1,600 से अधिक बोली जाने वाली भाषाएं थीं.
इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है कि हिंदी शक्तिशाली भाषा है, 54 फीसदी भारतीय हिंदी बोलते हैं. 2011 की जनगणना के अनुसार, 121 करोड़ लोगों में से 52 करोड़ लोगों ने हिंदी को अपनी भाषा बताया. लगभग 32 करोड़ लोगों ने हिंदी को अपनी मातृभाषा कहा. करीब 44 फीसदी भारतीयों के लिए हिंदी बोलचाल की भाषा है और भारत में 25 फीसदी से अधिक लोगों की यह मातृभाषा है. इसलिए, यह कहना तर्कसंगत होगा कि हिंदी को भारत की लोकभाषा होना चाहिए.
(लेखक NNIS के सीईओ हैं. आर्टिकल में व्यक्त विचार लेखक के निजी हैं )
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