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- बुकर को छूता हिंदी...
साहित्य की जमीन पर कांटे महकते हैं और फूल भी कई बार शूल हो जाते हैं, लेकिन शब्द की अपनी मर्यादा और गरिमा है, जो करीने से अगर बिछ जाए तो शताब्दियां अपनी हसरत लिए इसी सफर से गुजरती हुईं उस नाम का स्मरण करती हैं, जो वक्त के दर्पण पर ईजाद हुए। गीतांजलि श्री के उपन्यास 'रेत समाधि' के अंग्रेजी रूपांतरण 'टॉम्ब ऑफ सैंड' को मिला बुकर पुरस्कार दक्षिण एशिया के साहित्य को उसके हर संदर्भ में विस्तृत कर देता है। भारतीय भाषाआंे और खासकर हिंदी के परिप्रेक्ष्य में यह पुरस्कार इसकी पृष्ठभूमि संवार देता है और उन संभावनाओं को आगे बढ़ा देता है जहां लेखकीय ऊर्जा का ध्येय अपने नजदीकी संसार के हर पहलू में सादगी, सहजता और यथार्थ को छूना है। 'रेत समाधि' में ऐसा सब कुछ है, जो भारतीय अनुभूतियों का संसार रच देता है। यह औरत के मन को पढ़ती हुई ऐसी शब्दाबली का प्रयोग है, जो मानस पटल पर अंकित विकृतियों, टकरावों और मध्यमवर्गीय नोंकझांेक को अनावृत करता है।
सोर्स-divyahimachal