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- पर्वतीय विकास मंत्रालय...
एक रिवायत जिसके सदके हिमाचल अपनी माटी का कर्ज तो उतार रहा है, लेकिन आगे बढ़ने का संकल्प भी तैयार करना होगा। पूर्ण राज्यत्व के पच्चास साल का जिक्र हमें श्रद्धा से भर देता है और हम हिमाचलवासी गर्व से कह सकते हैं कि यह हमने करके दिखाया, लेकिन यह हमारा आरंभ भी है। हिमाचल ने शुक्रवार को राज्यपाल और राष्ट्रपति की आंखों से देखा, तो शब्द आत्मविभोर करते हैं। हमारा समाज-हमारा विकास, हमारे नेता-हमारी नीतियां, हमारे सैनिक-हमारा शौर्य, हमारे स्वतंत्रता सेनानी-हमारी क्रांतियां, हमारी सरकारें-हमारे सरोकार, हमारे कर्मचारी-अधिकारी-हमारा सुशासन, हमारे तमाम मुख्यमंत्री और हमारी लोकतांत्रिक जागरूकता उस वक्त अपने परचम फहरा रही थी, जब देश के राष्ट्रपति के सामने एक आदर्श राज्य के पच्चास सालों का स्वर्णिम इतिहास खुद रू-ब-रू था। राज्य केवल ईंट-पत्थर से नहीं बनते और न ही विकास के शिलालेख अपनी श्लाघा कर सकते हैं, लेकिन जब आप पर्वतीय विडंबनाओं का सीना चीरते हैं, तो सामाजिक ताकत का एहसास होता है। इसलिए प्रदेश के कारनामे यहां के नागरिक समाज का माथा ऊंचा करते हैं। स्वतंत्र भारत का पहला मतदाता श्याम शरण नेगी के रूप में हिमाचल पैदा करता है, तो देश की हिफाजत में शहादत का पहला परम वीरचक्र प्रदेश की छाती पर मेजर सोमनाथ लगाते हैं। राष्ट्रपति ने वजीर राम सिंह पठानिया का जिक्र किया, तो देश को मालूम होना चाहिए कि अंग्रेजों के विरुद्ध पहली क्रांति का उद्घोष इसी शख्स ने किया था।
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