सम्पादकीय

हाईराइज इमारतें या ताश घर

Subhi
21 Feb 2022 3:22 AM GMT
हाईराइज इमारतें या ताश घर
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हर कोई चाहता है कि उसको रहने के​ लिए एक सुन्दर सा आशियाना मिल जाए। तमाम उम्र लोग परिवार के​ लिए धन हासिल करने के​ लिए संघर्ष करते हैं।

आदित्य नारायण चोपड़ा: हर कोई चाहता है कि उसको रहने के​ लिए एक सुन्दर सा आशियाना मिल जाए। तमाम उम्र लोग परिवार के​ लिए धन हासिल करने के​ लिए संघर्ष करते हैं। पाई-पाई जोड़ कर अपनी इच्छाओं में कटौती कर एक अदद फ्लैट खरीदते हैं ताकि जीवन में सुकून पा सकें। देखने में हाईराइज सोसायटियां बहुत आकर्षक लगती हैं। बहुमंजिला इमारतें देखने पर सबकी कल्पनाएं उड़ान भरने लगती हैं। कोई अपनी भविष्य निधि का धन निकाल कर, जीवन भर की बचत निकाल कर तो कोई बैंकों से ऋण लेकर बिल्डर कम्पनियों से फ्लैट खरीद लेते हैं। देशभर में लाखों लोग ​बिल्डरों की धोखाधड़ी का शिकार हो चुके हैं क्योंकि अधिकांश नामीगिरामी कम्पनियों के प्रोजैक्ट कई वर्षों से अधूरे पड़े हैं। परियोजनाओं के नाम पर जो ढांचे खड़े हैं, उनमें इस्तेमाल किए गए लोहे को जंग खा चुका है। निर्माण कार्य न होने से दीवारें भी जर्जर हो चुकी हैं। ग्राहकों को निवेश के बदले न घर ​मिला न ही धन।नोएडा में कई वर्षों से खड़ी आवासीय परियोजनाओं के ढांचे क्रूर हंसी हंसते नजर आ रहे हैं। ​बिल्डर कम्पनियों के​ निदेशक अरबों रुपए के घोटालों में जेल जा चुके हैं और अनेक अदालतों के चक्कर काट रहे हैं। आर्थिक रूप से सम्पन्न लोग तो लाखों का झटका सहन कर लेंगे लेकिन मध्यम वर्गीय परिवार आज भी आंसू बहा रहे हैं। उनकी सभी पूंजी लुट चुकी है। उन्हें आज भी किराये के मकानों में जीवन गुजरना पड़ रहा है। बैंक लोन की किश्तें भी चुकानी पड़ रही हैं। अनेक लोग तो बैंक के डिफाल्टर बन चुके हैं। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने एक नामीगिरामी बिल्डर कम्पनी के भ्रष्टाचार के दो टावर गिराने का आदेश दिया। अदालतों ने कई महत्वपूर्ण फैसले भी दिए हैं कि जो बिल्डर खरीदारों को फ्लैट नहीं देते उन्हें पूरा पैसा लौटना होगा। इसके बावजूद खरीदार अपनी जूतियां घिस रहे हैं और बिल्डर बच निकलने के रास्ते तलाश कर रहे हैं। खरीदारों के स्वप्न खंडित हो चुके हैं।गुरुग्राम की चिटेल पैराडाइसो सोसाइटी में पिछले दिनों एक साथ कई फ्लोर की छतें ढहने के बाद इन इमारतों की सुरक्षा जांच का आदेश दे​ दिया गया। जिस तरह से गुरुग्राम की सोसाइटी की ​बिल्डिंग में छठी मंजिल से लेकर पहली मंजिल तक की छतें ढहती चली गईं उससे कई तीखे सवाल उठ खड़े हुए हैं। इस हादसे में दो लोगों की मौत हो गई जबकि इस हादसे से प्रभावित परिवारों की तो बुरी हालत है ही, इस सोसाइटी में रहने वालों को अपने घरों में चैन की नींद सोना मुश्किल हो गया है। कई अन्य टावरों में भी कंस्ट्रक्शन क्वालिटी को लेकर ​सही शिकायतें सामने आ रही हैं, इसलिए स्वाभाविक ही सबके मन में आशंकाएं घर कर गई हैं। संपादकीय :पंजाब के मतदान का निष्कर्षदेख तेरे ​इन्सान की हालत क्या हो गई भगवानआतंकवादियों को 'सजा-ए-मौत'अदृश्य योगी का मायाजालकर्नाटक में नया तिरंगा विवादबच्चों की सुरक्षा के लिए नए नियमअब गुरुग्राम के ही 37 डी सैक्टर में ग्रीन व्यू सोसाइटी की दीवारों में दरारें आने की खबरें सामने आ रही हैं। इन हादसों से बिल्डरों की हकीकत तो सामने आई है वहीं वह सारे विभाग भी जिम्मेदार हैं जिन पर बहुमंजिला इमारतों की निर्माण सामग्री और डिजाइन की गुणवत्ता परखने की जिम्मेदारी है। वे भी अपराध में भागीदार हैं। सच तो यह है कि हाईराइज सोसाइटियों में रहने वाले लोग अन्दर फ्लैट में दरार आने, स्ट्रम्बर में खोट, पाइप लाइन लीक होने की​ शिकायतें करते हैं। इन शिकायतों पर कभी प्राथमिकता से गौर नहीं किया जाता। क्योंकि बिल्डर कम्पनियां, रखरखाव करने वाली एजैंसियां और ​प्रशासन ऊंचा सुनता है। गुरुग्राम की ​चिंटेल पैराडाइसो सोसाइटी में बालकानी के एक हिस्से के टूटने की शिकायत की गई थी। काश तभी इस इमारत की गुणवत्ता की खामियों पर ध्यान दिया होता।अब जिन सोसाइटियों में दरारों की खबरें आ रही हैं, उनमें रहने वालाें को घर खाली करने के नोटिस दे दिए गए हैं। अब इन आशियानों में रहने वाले लोग सामान लेकर कहां जाएं। नोएडा-ग्रेटर नोएडा में​ बिल्डर कम्पनियों और निर्माण से जुड़ी नियामक संस्थाओं के अधिकारियों की मिलीभगत से भ्रष्टाचार का खेल सब देख चुके हैं। गुरुग्राम के हादसों से सबक लेकर नोएडा-ग्रेटर नोएडा अथार्टी ने भी बहुमंजिला इमारतों की मजबूती की जांच के लिए कमेटी बना दी है। अब तक अथार्टी में स्ट्रक्चरल आडिट करवाए जाने की कोई व्यवस्था नहीं थी। जिन सोसाइटी के रेजिडेन्स स्ट्रक्चरल आडिट की मांग करते थे केवल वहां की ही जांच करवाई जाती थी। बहुमंजिला इमारतों के निर्माण में गुणवत्ता की जांच तो होनी ही चाहिए और इसके लिए विभागों की जिम्मेदारी तय की जानी चाहिए। अब बिल्डरों और जवाबदेह अफसरों पर शिकंजा कसने की जरूरत है। अन्यथा लोगों की जान जोखिम में डालते रहेंगे।

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