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- तेल के ऊंचे दाम : लाभ...
वर्ष 2015 में विश्व बाजार में तेल के दाम उछल रहे थे और 111 अमरीकी डालर प्रति बैरल के स्तर पर थे। इसके बाद 2020 में कोविड संकट के दौरान इनमें भारी गिरावट आई और दाम केवल 23 डालर प्रति बैरल रह गए। वर्तमान में पुनः इसमें कुछ वृद्धि हुई है और ये मूल्य आज 76 डॉलर प्रति बैरल के स्तर पर आ गए हैं। इसी अवधि में देश के घरेलू बाजार में पेट्रोल के दाम की चाल बिल्कुल अलग रही है। 2015 में घरेलू बाजार में पेट्रोल के दाम 70 रुपए प्रति लीटर थे। जब 2020 में विश्व बाजार में तेल के दाम घटकर 23 डालर प्रति बैरल हो गए थे, उस समय हमारे बाजार में तेल के दाम घटे नहीं, बल्कि 70 रुपए प्रति लीटर के लगभग ही बने रहे। कारण यह कि जैसे-जैसे विश्व बाजार में तेल के दाम में गिरावट आई, उसी के समानांतर हमारी केंद्र सरकार ने तेल पर वसूल की जाने वाली एक्साइज ड्यूटी एवं राज्य सरकारों ने तेल पर वसूल किए जाने वाले सेल टैक्स में वृद्धि की। नतीजा यह हुआ कि विश्व बाजार में जितने दाम में गिरावट आई, उतना ही घरेलू टैक्स में वृद्धि हुई और बाजार में पेट्रोल का दाम 70 रुपए प्रति लीटर पर ही टिका रहा। इसके बाद इस वर्ष 2021 में विश्व बाजार में तेल के दाम पुनः बढ़े हैं और जैसा कि ऊपर बताया गया है, वर्तमान में ये 76 डालर प्रति बैरल पर आ गए हैं। लेकिन इस समय घरेलू दाम स्थिर नहीं रहे। विश्व बाजार में तेल के दाम के समानांतर घरेलू बाजार में पेट्रोल के दाम बढ़ रहे हैं।