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- गहलोत गुट पर गिरेगी...

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पंजाब में जिस तरह से सियासी उठापटक चला उससे कांग्रेस आलाकमान ने सबक ले लिया है
संयम श्रीवास्तव पंजाब में जिस तरह से सियासी उठापटक चला उससे कांग्रेस आलाकमान ने सबक ले लिया है. यही वजह है कि समय रहते अब गांधी परिवार राजस्थान की स्थिति को संभालना चाहता है. क्योंकि आने वाले 2 सालों में राजस्थान विधानसभा का चुनाव है और अगर पंजाब जैसी स्थिति राजस्थान में भी हो गई तो, वहां पार्टी का जीतना नामुमकिन हो जाएगा. इसीलिए खबर आ रही है कि राजस्थान में कांग्रेस पार्टी एक व्यक्ति एक पद के सिद्धांत को लागू करने वाली है. और अगर ऐसा हुआ तो इस फैसले से सबसे ज्यादा नुकसान अशोक गहलोत के गुट का होगा.
क्योंकि ऐसा होते ही गहलोत कैबिनेट से कई मंत्री बाहर हो जाएंगे. जिनमें मुख्य नाम रघु शर्मा, हरीश चौधरी और गोविंद सिंह डोटासरा का होगा. जो अशोक गहलोत के बेहद खास लोगों में से हैं. फिलहाल गहलोत कैबिनेट में नौ मंत्रियों की जगह खाली है और अगर इन तीन मंत्रियों की भी छुट्टी हो गई तो यह संख्या बढ़कर 12 हो जाएगी. वर्तमान में गहलोत सरकार में 21 मंत्री हैं. अशोक गहलोत ने हाल ही में सोनिया गांधी के साथ मुलाकात की थी और राजस्थान में पार्टी और सरकार की स्थिति से उन्हें अवगत कराया था. अब अशोक गहलोत सोनिया गांधी के फैसले का इंतजार कर रहे हैं. क्योंकि आखिरी निर्णय उन्हीं का होगा.
गहलोत खेमे का काम खराब होगा
इंडियन एक्सप्रेस में छपी एक खबर के मुताबिक गहलोत सरकार में कैबिनेट का लगभग आधा हिस्सा बदलने वाला है. क्योंकि कांग्रेस पार्टी ने राजस्थान में एक व्यक्ति एक पद के सिद्धांत को लागू करने का फैसला किया है. इस फैसले के बाद कैबिनेट मंत्री रघु शर्मा, हरीश चौधरी और गोविंद सिंह डोटासरा के पद चले जाएंगे. क्योंकि यह तीनों मंत्री होने के साथ-साथ संगठन में भी जिम्मेदारी निभा रहे हैं. राजस्थान सरकार में स्कूल शिक्षा और पर्यटन मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा राजस्थान कांग्रेस इकाई के अध्यक्ष भी हैं. वहीं स्वास्थ्य मंत्री रघु शर्मा को हाल ही में गुजरात का एआईसीसी प्रभारी नियुक्त किया गया है और राजस्थान सरकार में राजस्व मंत्री हरीश चौधरी फिलहाल पंजाब कांग्रेस के प्रभारी हैं. जबकि अगर सचिन पायलट के गुट को देखें तो उनके ज्यादातर साथी फिलहाल एक ही पद पर मौजूद हैं. इसलिए यह कहना कि आलाकमान के इस नए फैसले से गहलोत गुट पर बड़ी चोट पहुंचेगी गलत नहीं होगा.
नए मंत्रियों में सचिन पायलट के वफादार होंगे
गांधी परिवार को पता है कि अगर राजस्थान की स्थिति को अभी नहीं संभाला गया तो गहलोत और पायलट गुट आपस में लड़कर पंजाब जैसी स्थिति बना लेंगे. इसलिए आलाकमान ने फैसला किया है कि गहलोत सरकार में नए मंत्रियों की नियुक्ति में सचिन पायलट के गुट का खासा ध्यान रखा जाएगा और उनके गुट से लगभग 4 से 5 विधायकों को मंत्री बनाया जाएगा. राजस्थान कांग्रेस के पास फिलहाल 102 विधायक हैं. इसके साथ ही बहुजन समाज पार्टी के 6 विधायकों ने भी कांग्रेस का हाथ थाम लिया है. ऊपर से गहलोत सरकार को 12 निर्दलीय उम्मीदवारों का भी समर्थन प्राप्त है अब ऐसे में आने वाले समय में राजस्थान में क्या स्थिति बनेगी यह तो आलाकमान का निर्णय ही तय करेगा.
मंत्रिमंडल विस्तार के पक्ष में नहीं हैं अशोक गहलोत
सीएम अशोक गहलोत की बात करें तो वह फिलहाल मंत्रिमंडल के विस्तार के पक्ष में नहीं हैं. हां यह जरूर है कि खाली पड़े 9 मंत्री पदों को भरने के पक्ष में हैं. लेकिन जैसा कि सभी जानते हैं कांग्रेस में वही होता है जो आलाकमान चाहती है और आलाकमान चाहती है कि गहलोत सरकार के मंत्रिमंडल में फेरबदल हो और कुछ वरिष्ठ मंत्रियों को बाहर का रास्ता दिखाया जाए. जो संगठन और कैबिनेट दोनों में जगह बनाए हुए हैं. उनकी जगह कांग्रेस पार्टी कुछ नए चेहरों को जगह देना चाहती है. नए चेहरों को जगह देने का प्लान सचिन पायलट का है. हाल ही में उन्होंने दौसा में एक सवाल का जवाब देते हुए कहा था कि 'अगर कांग्रेस पार्टी को राजस्थान में अगला विधानसभा चुनाव जीतना है तो कांग्रेस संगठन और सरकार दोनों को एक साथ मिलकर काम करना होगा. इसके साथ ही उन कार्यकर्ताओं और नेताओं को सम्मान भी देना होगा जिन्होंने पिछली बार सत्ता दिलाई थी.' सचिन पायलट के इस कथन का साफ मतलब था कि मठाधीशों को हटाकर कुछ नए चेहरों को कैबिनेट में जगह दी जाए.
आलाकमान का फैसला मंजूर
बुधवार को अशोक गहलोत ने प्रदेश कांग्रेस प्रभारी अजय माकन, कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल और कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा के साथ मंत्रिमंडल में फेरबदल और विस्तार को लेकर चर्चा की थी. इसके बाद अशोक गहलोत कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात करने पहुंचे. सोनिया गांधी से मिलने के बाद अशोक गहलोत ने साफ कहा कि उन्होंने राजस्थान की स्थिति को लेकर अपनी रिपोर्ट हाईकमान को दे दी है और हाईकमान जो भी फैसला करेगा उन्हें वह मंजूर होगा.
सचिन पायलट को मिलेगी कोई जिम्मेदारी?
सचिन पायलट को कोई जिम्मेदारी मिलेगी या नहीं फिलहाल उस पर स्थिति स्पष्ट नहीं है. लेकिन राजस्थान कांग्रेस प्रभारी अजय माकन और केसी वेणुगोपाल सचिन पायलट को मंत्रिमंडल में शामिल किया जाए या फिर उन्हें संगठन में कोई भूमिका दी जाए, इस पर सोनिया गांधी से चर्चा करेंगे. हालांकि एक बात स्पष्ट है कि इस मंत्रिमंडल विस्तार में सचिन पायलट के खेमे से चार से पांच विधायकों को मंत्री बनाया जाएगा और अशोक गहलोत के खेमे से कुछ वरिष्ठ मंत्रियों की छुट्टी होगी. इंडियन एक्सप्रेस में छपी खबर की माने तो यह सब 14 नवंबर के बाद हो सकता है. क्योंकि फिलहाल राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र दिल्ली में है और वह 13 नवंबर को जयपुर लौटेंगे.
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